सोमवार, 30 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 79 चित्र में छिपे हिन्दी लेखक और उसकी कृति पहचानो

प्रिय पाठकगण
आज की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको नीचे दिये गये चित्र में छिपे हिन्दी के एक महान लेखक और उसकी कृति को पहचानना है।
संकेत के रूप में आपको बताना चाहेगें कि हिन्दी साहित्य की इस अनुपम विभूति ने
अपनी एक सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जनपद में प्रवास के दौरान लिखा था।

चित्र में छिपी कृति इस महान लेखक की आत्मकथा का एक भाग है संभवतः अब तक आप पहचान गये होंगे इस महान लेखक को तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

बुधवार, 25 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 78 का परिणाम और विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली में बहुत आसान सा सवाल पूछने के बाद भी प्राप्त हुये उत्तरों की संख्या उत्साहजनक नहीं रही। बहरहाल इस पहेली का उत्तर है कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी जिनका असली नाम धनपत राय था और अपनी डायरी में सन् 1930 में उन्होंने डी राय लिखकर ही हस्ताक्षर किया था जो हमने संकेत के रूप में आप सब सुधी जनों के अवलोकनार्थ दिया था ।


/>और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।  
                     

मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 78 के हल हेतु संकेत

हिन्दी साहित्य पहेली 78 के हल हेतु संकेत

प्रिय पाठकगण
इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली को हल करने का मंत्र गूगल बाबा के पास उपब्ध हो सकता था परन्तु इस पहेली के जारी होने के बाद अब तक चौबीस घंटे हो चुके हैं परन्तु किसी भी पाठक का सही हल प्राप्त नहीं हो सका है इसलिये पहेली के सही हल हेतु आपको संकेत देना चाहता हूँ जो इस प्रकार है

(1)इन्दिरा जी को अंग्रजी में लिखे पत्रों के मूल लेखक तो जवाहरलाल नेहरू थे परन्तु इन पत्रों का हिन्दी में अनुवाद करने वाले प्रसिद्ध हिन्दी लेखक के हस्ताक्षर नीचे दिये गये हैं


मेरा विश्वास है कि अब तक यह दोनो संकेत आपको पहेली के हल तक पहुंचने में सहायक हो चुका होगा सो देर किस बात की तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन बैठै।
अग्रिम शुभकामनाओं सहित

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 78 अनुवादक को पहचानों

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की पहेली भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुडे एक ऐसे व्यक्तित्व की है जो हमारे देश का पहला प्रधान मंत्री भी बना। जी हां हम बात कर रहे है चाचा नेहरू की । जब जवाहरलाल नेहरू जी की पृत्री इन्दिरा जी मात्र दस वर्ष की थीं तो नेहरू जी स्वतत्रता आंदोलन के सिलसिले में जेल में थे । नेहरू जी ने जेल से अपनी पुत्री इन्दिरा जी को कुछ बुनियादी बातें समझाने के लिये कुल तीस पत्र लिखे जो अंग्रजी भाषा में थे। कालान्तर में नेहरू जी के द्वारा लिखे गये वे तीस पत्र ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम ’ के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुये । इन पत्रों के आधार पर दूरदर्शन पर धारावाहिक का निर्माण भी हुआ ।
अब बात करते हैं आज की हिन्दी साहित्य पहेली इन्हीं पत्रो पर आधारित है, जैसा कि उपर बताया जा चुका है कि जवाहर लाल नेहरू द्वारा इन्दिरा जी को लिखे गये ये पत्र अंग्रेजी में थे। कालान्तर में इन पत्रों का अनुवाद हिन्दी में हुआ और हिन्दी में अनुदित ये पत्र आम भारतीय जन के साथ साथ विश्व भर में लोकप्रिय हुये। आपको यह बताना है कि जवाहरलाल नेहरू जी के इन पत्रों का अनुवाद किसने किया था।
संकेत के रूप में आपको बता दे इन पत्रों का अनुवाद करने वाले अनुवादक लेखक तत्कालीन हिन्दी साहित्य जगत की अनुपम विभूति थे । संकेत के रूप मे नीचे दिये गये चित्र में उस महान अनुवादक की हस्त लिपि में उनकी डायरी का एक पन्ना दृष्टव्य है जिसमें उन्होने सामान्य दिनचर्या के साथ अनुवाद से संबंधित अपनी साहित्यिक कार्ययोजना के बारे में भी अंकन किया है।
उनकी यह डायरी एक विरासत के रूप में इलाहाबाद के राजकीय संग्रहालय की वीथिका में जन साधारण के अवलोकनार्थ सुरक्षित रखी है।

है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस अनुवादक लेखक को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 77 का परिणाम और विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली में बहुत आसान सा सवाल पूछने के बाद भी प्राप्त हुये उत्तरों की संख्या उत्साहजनक नहीं रही। बहरहाल इस पहेली का उत्तर है कथाकार श्री अमृत लाल नागर ।
हिन्दी के लोकप्रिय कथाकार अमृत लाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 ई0 को आगरा (उ0प्र0) में हुआ। आपके पिता का नाम राजाराम नागर था। नागर जी का निधन 1990 ई0 में हुआ। आपने इण्टरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण की। नागर जी की भाषा - सहज, सरल दृश्य के अनुकूल है। मुहावरों, लोकोक्तियों, विदेशी तथा देशज शब्दों का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया गया है। भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक शैली का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है।


इनकी प्रमुख रचनाओं में सेठ बाँकेमल, बूँद और समुद्र्र, सतरंज के मोहरे, सुहाग के नूपुर, अमृत और विष, सात घूँघट वाला मुखड़ा, एकदा नैमिषारण्ये, मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल (उपन्यास ) प्रमुख हैं , व्यंग्य, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी आदि विधाओं में आपने महत्वपूर्ण कार्य किया।

सुनीति सिनेमा समाचार, हास्य व्यंग्य साप्ताहिक चकल्लस नया साहित्य, प्रसाद मासिक पत्रों आदि का संपादन भी किया।

1940 से 1947 तक फिल्म सेनेरियो का लेखन कार्य किया। 1953 से 1956 तक आकाशवाणी लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर रहे।


आपको साहित्य अकादमी सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, बटुक प्रसाद पुरस्कार, प्रेमचन्द पुरस्कार, वीर सिंह देव पुरस्कार, विद्या वारिघि, सुधाकर पदक तथा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया।

आपको भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


और बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद्य जी




सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी सुश्री साधना वैद्य जी ,को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।  
                     

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 77 रचनाकार को पहचानों

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


पिछले हफ्ते एक थोडी सी कठिन पहेली के उपरांत आज फिर प्रस्तुत है अपेक्षाकृत सरल साहित्य पहेली
आज की पहेली में इस पुस्तक के मुख पृष्ठ में लेखक के नाम को छिपा दिया गया है आपको आपको इस मुख पृष्ठ को देखकर लेखक का नाम पहचानना है।

संकेत-1
आज की पहेली में पुस्तक का शीर्षक ही उसका संकेत है अतः कोई अतिरिक्त संकेत न देते हुये आपको इस पुस्तक के लेखक को पहचानना है।
है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस लेखक को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

हिंदी साहित्य पहेली 76 का परिणाम और विजेता श्री अजय सिंह जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

पहेली संख्या 76 में आपको पद्यांश पंक्तियों के लेखन / अनुवाद से जुडी महान विभूतियों को को पहचानना था

इस पहेली का परिणाम

प्रस्तुत पद्यांश सुमित्रानंदन पंत जी की पुस्तक मधुज्वाल का है जो उमर ख़ैयाम जी की रुबाइयों का भावानुवाद है|


और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुए हैं श्री अजय सिंह जी


और आधा सही उत्तर देकर आज की प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद्य जी




विजेता श्री अजय सिंह जी , उपविजेता सुश्री साधना वैद्य जी को हार्दिक बधाई

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 76 के हल हेतु संकेत

हिन्दी साहित्य पहेली 76 के हल हेतु संकेत

प्रिय पाठकगण
इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली को हल करने का मंत्र गूगल बाबा के पास उपब्ध हो सकता था परन्तु इस पहेली के जारी होने के बाद अब तक चौबीस घंटे हो चुके हैं परन्तु किसी भी पाठक का सही हल प्राप्त नहीं हो सका है इसलिये पहेली के सही हल हेतु आपको बहुबिकल्पीय संकेत देना चाहता हूँ जो इस प्रकार है

(1)पहेली में पूछे गये पद्यांश के मूल लेखक निम्नलिखित तीन में से ही कोई एक है
1 हरिवंशराय बच्चन जी
2 उमर ख़ैयाम जी
3 सुमित्रानंदन पंत जी

(2)और पहेली में पूछे गये पद्यांश के अनुवादक निम्नलिखित तीन में से ही कोई एक है

1 सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी
2 सुमित्रानंदन पंत जी
3 उमर ख़ैयाम जी

(3)और जिस पुस्तक से इस अंश को लिया गया है वह पुस्तक भी निम्नलिखित तीन में से ही कोई एक है
1 मधुशाला
2 मिलन यामिनी
3 मधुज्वाल

मेरा विश्वास है कि अब तक यह दोनो संकेत आपको पहेली के हल तक पहुंचने में सहायक हो चुका होगा सो देर किस बात की तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन बैठै।
अग्रिम शुभकामनाओं सहित

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 76 रचनाकार को पहचानों

प्रिय पाठकगण
इस बार की पहेली आपको नशे में पहुंचा सकती है क्योकि यह मदिरा पर आधारित है ।
जीहां प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने के लिये मदिरा और साकी लंबे समय से कवियों का प्रिय विषय रहा है।
आज की पहेली में साकी और शराब पर लिखी दो कविताओ की कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं जिसके आधार पर आपको इसके मूल लेखक को पहचानना है।
तो यह रहीं वह नशीली पंक्तियां

(1)

वह प्याला भर साक़ी सुंदर,

मज्जित हो विस्मृति में अंतर,

धन्य उमर वह, तेरे मुख की

लाली पर जो सतत निछावर!


जिस नभ में तेरा निवास

पद रेणु कणों से वहाँ निरंतर

तेरी छबि की मदिरा पीकर

घूमा करते कोटि दिवाकर!


(2)

बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास,

पिलाता जा, बढ़ती जा प्यास!

सुनेगा तू ही यदि न पुकार

मिलेगा कैसे पार?


स्वप्न मादक प्याली में आज

डुबादे लोक लाज, जग काज,

हुआ जीवन से, सखे, निराश,

बाँध, निज भुज मद पाश!
संकेत के रूप में यह बताना चाहेंगे कि इन नशीली पंक्तियां के रचयिता और अनुवादक दोनों साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है।

अब तक शायद आप पहचान गये होंगे रचयिता और अनुवादक दोनों को !

तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

हिंदी साहित्य पहेली 75 का परिणाम और विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

पहेली संख्या 75 में आपको गद्दांश पंक्तियों को लेखन से जुडे को पहचानना था
प्रस्तुत गद्दांश तसलीमा नसरीन जी की पुस्तक छोटे छोटे दुख का है|



और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


और आज थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर उपविजेता पद पर विराजमान हुए है श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी



विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी, उपविजेता श्री दर्शन लाल बावेजा जी को हार्दिक बधाई

बुधवार, 4 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 75 के हल हेतु एक और संकेत

हिन्दी साहित्य पहेली 75 के हल हेतु एक और संकेत
प्रिय पाठकगण
इस बार की पहेली 75 के हल हेतु बीते कल पहला बहुबिकल्पीय संकेत देने के बाद अब चौबीस घंटे बीत चुके हैं परन्तु अब भी किसी पाठक का सही जवाब नहीं प्राप्त हुआ है । इसलिये इस पहेली के हल हेतु एक और संकेत दिया जा रहा है जिससे कि इस पहेली का हल पहचानना आसान हो जाय ।
तो यह रहा दूसरा संकेत
जिस पुस्तक से इस अंश को लिया गया है वह पुस्तक और लेखिका निम्नलिखित तीन में से कोई एक है

1 अमृता प्रीतम जी की पुस्तक दिल्ली की गलियां

2 हरकीरत हीर जी की पुस्तक दर्द की महक

3 तसलीमा नसरीन जी की पुस्तक छोटे छोटे दुख

एक और संकेत देते हैं कि इस पहेली में दिये गये पद्यांश की लेखिका का पासपोर्ट एक समय में बंगलादेश सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था।

मेरा विश्वास है कि अब तक यह दोनो संकेत आपको पहेली के हल तक पहुंचने में सहायक हो चुका होगा सो देर किस बात की तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन बैठै।
पुनः अग्रिम शुभकामनाओं सहित

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

हिन्दी साहित्य पहेली ७५ के हल हेतु संकेत

हिन्दी साहित्य पहेली 75 के हल हेतु संकेत

प्रिय पाठकगण
इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली में प्रस्तुत सामग्री अंतरजाल पर पूर्व से उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण इस पहेली को हल करने का मंत्र गूगल बाबा के पास उपब्ध नहीं हो सकता था। अपने कुछ सुधी सहृदय पाठकों के इस अनुरोघ एवं सुझाव पर मैने प्रिंट मीडिया से यह सामग्री जुटाकर पहेली तैयार की थी कि पूछी जाने वाली पहेली बहुत आसान नहीं होनी चाहिये।
बहरहाल इस पहेली के जारी होने के बाद अब तक चौबीस धंटे हो चुके हैं परन्तु किसी भी पाठक का सही हल प्राप्त नहीं हो सका है इसलिये पहेली के सही हल हेतु आपको बहुबिकल्पीय संकेत देना चाहता हूँ जो इस प्रकार है

(1)पहेली में पूछे गये पद्यांश की लेखिका निम्नलिखित तीन में से ही कोई एक है
1 अमृता प्रीतम जी
2 हरकीरत हीर जी
3 तसलीमा नसरीन जी

(2)और जिस पुस्तक से इस अंश को लिया गया है वह पुस्तक भी निम्नलिखित तीन में से ही कोई एक है

1 छोटे छोटे दुख
2 दर्द की महक
3 दिल्ली की गलियां

मेरा विश्वास है कि अब तक यह दोनो संकेत आपको पहेली के हल तक पहुंचने में सहायक हो चुका होगा सो देर किस बात की तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन बैठै।
अग्रिम शुभकामनाओं सहित

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

हिंदी साहित्य पहेली 75 क्या आपकी मां बहन नहीं है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
रास्ता घाट , बस ट्रेनों में अक्सर जब लडके लडकियों के प्रति अशोभन आचरण करते हैं तो लडकियों के पक्ष में कुछेक लोग जमा हो जाते हैं । आमतौर पर ये लोग लडकों की लानत मलामत करते हैं तो और सदुपदेश देते हैं। लडकों का तिरस्कार करते हुये वे लोग कहते हैं -
‘आपकी क्या मां बहन नहीं हैं?’
मर्द औरत पर अत्याचार कर रहा है, इसमें मां बहन का जिक्र करना जरूरी क्यों है, यह बात मुझे ठीक ठीक समझ नहीं आतीं सिर्फ रास्ता घाट के मर्द ही सलाहकार नहीं बनते ,ऐसी बातें बुद्धिजीवी भी करते हैं कि औरत को मां या बहन के रूप में देखा जाए। मेरा सवाल है कि औरत को इनसब रूपों में देखना क्यों जरूरी है? यह सब तो एक किस्म का रिश्ता है, औरत का सम्मान करने के लिये। किसी सामाजिक रिश्ते की सीमा में सम्मान करना क्यों जरूरी है? जिस मर्द की मां बहन नहीं हैं उनसे सम्मान पाने का क्या औरत को हक नहीं है?औरत को मर्द की मां बहन या बेटी के रूप में विराजकर, अपने लिये सुविधा क्यो वसूल करना होगा?


उपरोक्त अंश पढकर आपको लग रहा होगा कि आज पहेली के स्थान पर आलेख क्यो?
इस संबंध में आपको बता दें कि आज की पहेली एक अनोखी पहेली है जिसमें आपको उपरोक्त वक्तब्य में आम भारतीय नारी के द्वारा पूछे गये आये सवालों के जवाब तलाशने हैं और यह पहचानना है कि सामान्य से लगने वाले ये सवाल आखिर किसने पूछे हैं?
यानी इन शब्दों के आधार पर आपको इनके लेखक अथवा लेखिका को पहचानना है यानी इन शब्दों के आधार पर आपको इनके लेखक अथवा लेखिका और उस पुस्तक को पहचानना है जिसमें इन सवालों को उठाया गया है।
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।