सोमवार, 31 जनवरी 2011
रविवार, 30 जनवरी 2011
पहेली संख्या- ८
प्रिय चिट्ठाकारों,
आज का प्रश्न है -
-किस बोली का प्राचीन रूप 'डिंगल' कहलाता है -
१-मेवाती
२-मारवाड़ी
३-मालवी
४-जयपुरी
नियम व शर्ते वही .
आज का प्रश्न है -
-किस बोली का प्राचीन रूप 'डिंगल' कहलाता है -
१-मेवाती
२-मारवाड़ी
३-मालवी
४-जयपुरी
नियम व शर्ते वही .
शुक्रवार, 28 जनवरी 2011
विजेता पहेली संख्या-७ ओर उत्तर
प्रिय ब्लॉग मित्रो ,
उत्तर हमें दो ही प्राप्त हुए पर दोनों सही ओर उत्तर है-
"खडी बोली में प्रकाशित उनकी कवितायेँ"
दर्शन लाल बवेजा जी ने सही उत्तर दिया किन्तु कुछ क्षणों की देरी ने विजेता बनने का हक उनसे छीन लिया किन्तु फिर भी हम उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने इतने व्यस्त समय में से कुछ समय हमारी पहेली को भी दिया आशा है वे आगे भी प्रयासरत रहकर विजेता ज़रूर बनेगे.
तो अब बताते हैं विजेता का नाम जो हैं लगातार तीसरी बार इस पायदान पर ओर वे हैं..
"सत्यम शिवम् "
बहुत बहुत बधाई
उत्तर हमें दो ही प्राप्त हुए पर दोनों सही ओर उत्तर है-
"खडी बोली में प्रकाशित उनकी कवितायेँ"
दर्शन लाल बवेजा जी ने सही उत्तर दिया किन्तु कुछ क्षणों की देरी ने विजेता बनने का हक उनसे छीन लिया किन्तु फिर भी हम उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि उन्होंने अपने इतने व्यस्त समय में से कुछ समय हमारी पहेली को भी दिया आशा है वे आगे भी प्रयासरत रहकर विजेता ज़रूर बनेगे.
तो अब बताते हैं विजेता का नाम जो हैं लगातार तीसरी बार इस पायदान पर ओर वे हैं..
"सत्यम शिवम् "
बहुत बहुत बधाई
रविवार, 23 जनवरी 2011
पहेली संख्या-७
प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज का प्रश्न है
"भारतेंदु रचित "फूलों का गुच्छा"में संगृहीत हैं:-
१-विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके लेख,
२-खडी बोली में प्रकाशित उनकी कवितायेँ,
३-उनके अनूदित नाटकों के मुख्यांश,
४-इनमे से कोई नहीं,
सर्वप्रथम सही जवाब देने वाले को हमारी अगली प्रस्तुति में विजेता घोषित किया जायेगा.साथ ही हमारी ओर से सभी चिट्ठाकारों को गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
आज का प्रश्न है
"भारतेंदु रचित "फूलों का गुच्छा"में संगृहीत हैं:-
१-विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित उनके लेख,
२-खडी बोली में प्रकाशित उनकी कवितायेँ,
३-उनके अनूदित नाटकों के मुख्यांश,
४-इनमे से कोई नहीं,
सर्वप्रथम सही जवाब देने वाले को हमारी अगली प्रस्तुति में विजेता घोषित किया जायेगा.साथ ही हमारी ओर से सभी चिट्ठाकारों को गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
शुक्रवार, 21 जनवरी 2011
प्रिय ब्लॉग मित्रो ,
पहेली नंबर -६ में आप सभी का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा .पहेली के प्रश्न के जवाब में तीन उत्तर प्राप्त हुए और तीनो सही किन्तु ये समय की देरी रही कि हम तीनो को विजेता घोषित नहीं कर सकते किन्तु हम आभार व्यक्त करते हैं और भविष्य में भी वे हमें ऐसा ही सहयोग व मार्गदर्शन देंगे ऐसी आशा करते हैं.वे दो नाम जिन्होंने हमें बहुत विस्तार से उत्तर दिया हैं.
डॉ.रूप चन्द्र शास्त्री जी
दर्शन लाल बवेजा जी
हम आप दोनों के बहुत ही आभारी हैं .उत्तर वही है जो आपने दिया
ये पंक्तियाँ गजानन माधव मुक्तिबोध के प्रसिद्ध कविता संग्रह "चाँद का मुहं टेढ़ा है "की दीर्घ कविता ब्रह्म राक्षस से ली गयी हैं .
और विजेता हैं..
सत्यम शिवम् जी को पुनः विजेता बनने की बहुत बहुत बधाई .
पहेली नंबर -६ में आप सभी का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा .पहेली के प्रश्न के जवाब में तीन उत्तर प्राप्त हुए और तीनो सही किन्तु ये समय की देरी रही कि हम तीनो को विजेता घोषित नहीं कर सकते किन्तु हम आभार व्यक्त करते हैं और भविष्य में भी वे हमें ऐसा ही सहयोग व मार्गदर्शन देंगे ऐसी आशा करते हैं.वे दो नाम जिन्होंने हमें बहुत विस्तार से उत्तर दिया हैं.
डॉ.रूप चन्द्र शास्त्री जी
दर्शन लाल बवेजा जी
हम आप दोनों के बहुत ही आभारी हैं .उत्तर वही है जो आपने दिया
ये पंक्तियाँ गजानन माधव मुक्तिबोध के प्रसिद्ध कविता संग्रह "चाँद का मुहं टेढ़ा है "की दीर्घ कविता ब्रह्म राक्षस से ली गयी हैं .
और विजेता हैं..
सत्यम शिवम् जी को पुनः विजेता बनने की बहुत बहुत बधाई .
शनिवार, 15 जनवरी 2011
पहेली संख्या -६
प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज हम लायें हैं आपके लिए पहेली संख्या-६.तो हो जाइये कमर कस कर तैयार क्योंकि इस बार की पहेली थोड़ी कठिन है पर हम जानते हैं कि आपकी समझ के आगे कुछ भी कठिन नहीं.प्रश्न की पंक्तियाँ कहाँ से ली गयी हैं सबसे पहले और सही बताने वाले चिट्ठाकार को हम अपनी अगली ब्लॉग पोस्ट में विजेताघोषित करेंगे..
"शहर के उस ओर खंडहर की तरफ
परित्यक्त सूनी बावड़ी
के भीतर
ठन्डे अँधेरे में
बसी गहराइयाँ जल की........"
आज हम लायें हैं आपके लिए पहेली संख्या-६.तो हो जाइये कमर कस कर तैयार क्योंकि इस बार की पहेली थोड़ी कठिन है पर हम जानते हैं कि आपकी समझ के आगे कुछ भी कठिन नहीं.प्रश्न की पंक्तियाँ कहाँ से ली गयी हैं सबसे पहले और सही बताने वाले चिट्ठाकार को हम अपनी अगली ब्लॉग पोस्ट में विजेताघोषित करेंगे..
"शहर के उस ओर खंडहर की तरफ
परित्यक्त सूनी बावड़ी
के भीतर
ठन्डे अँधेरे में
बसी गहराइयाँ जल की........"
सोमवार, 10 जनवरी 2011
पहेली संख्या-५ का परिणाम और विजेता..
पहेली संख्या-५ का परिणाम और विजेता..
इस बार की पहेली का सुखद पहलू यह है कि इसमें डॉ.रूपचंद्र शास्त्री जी के अतिरिक्त एक अन्य ब्लोगर ने भी मेहनत की और विजेता की उपाधि प्राप्त की;
पहले उत्तर-
जयशंकर प्रसाद जी की कामायनी से ये पंक्तियाँ ली गयी हैं;
उत्तर रूपचंद्र शास्त्री जी ने भी सही दिया किन्तु हमारे पहेली के नियमानुसार सर्वप्रथम सही उत्तर देने वाले को ही विजेता घोषित किया जाता है इसलिए विजेता हैं:
"सत्यम शिवम्"
सत्यम शिवम् जी को हमारी और से बहुत बहुत बधाइयाँ .
इस बार की पहेली का सुखद पहलू यह है कि इसमें डॉ.रूपचंद्र शास्त्री जी के अतिरिक्त एक अन्य ब्लोगर ने भी मेहनत की और विजेता की उपाधि प्राप्त की;
पहले उत्तर-
जयशंकर प्रसाद जी की कामायनी से ये पंक्तियाँ ली गयी हैं;
उत्तर रूपचंद्र शास्त्री जी ने भी सही दिया किन्तु हमारे पहेली के नियमानुसार सर्वप्रथम सही उत्तर देने वाले को ही विजेता घोषित किया जाता है इसलिए विजेता हैं:
"सत्यम शिवम्"
सत्यम शिवम् जी को हमारी और से बहुत बहुत बधाइयाँ .
रविवार, 9 जनवरी 2011
पहेली संख्या-५
प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज हम जो पहेली आपके लिए लायें हैं वह पहले की पहेलियों से कुछ भिन्न प्रकार की है.आज की पहेली में हम लायें हैं कुछ पंक्तियाँ और आपको बताना है कि ये पंक्तियाँ किस प्रसिद्ध कवि की हैं और उनकी किस प्रसिद्ध रचना से ली गयी हैं तो अब प्रस्तुत हैं वे पंक्तियाँ-
"दुःख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात ;
एक पर्दा यह झीना नील छिपाए है जिसमे सुख गात.
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,जगत की ज्वालाओं का मूल;
ईश का वह रहस्य वरदान कभी मत जाओ इसको भूल."
अब दीजिये उत्तर सर्वप्रथम और बन जाईये विजेता.ध्यान रखिये
"गिरते हैं शहसवार ही मैदान-इ-जंग में,
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले."
उत्तरों की प्रतीक्षा में......
आज हम जो पहेली आपके लिए लायें हैं वह पहले की पहेलियों से कुछ भिन्न प्रकार की है.आज की पहेली में हम लायें हैं कुछ पंक्तियाँ और आपको बताना है कि ये पंक्तियाँ किस प्रसिद्ध कवि की हैं और उनकी किस प्रसिद्ध रचना से ली गयी हैं तो अब प्रस्तुत हैं वे पंक्तियाँ-
"दुःख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात ;
एक पर्दा यह झीना नील छिपाए है जिसमे सुख गात.
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,जगत की ज्वालाओं का मूल;
ईश का वह रहस्य वरदान कभी मत जाओ इसको भूल."
अब दीजिये उत्तर सर्वप्रथम और बन जाईये विजेता.ध्यान रखिये
"गिरते हैं शहसवार ही मैदान-इ-जंग में,
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले."
उत्तरों की प्रतीक्षा में......
शनिवार, 8 जनवरी 2011
पहेली संख्या -4,विजेता कोई नहीं
प्रिय ब्लॉग मित्रो,
पहेली संख्या २ की ही तरह इस पहेली का भी डॉ.रूप चन्द्र शास्त्रीजी के अतिरिक्त कोई जवाब नहीं दे पाया,और वे भी केवल एक ही प्रश्न का उत्तर सही दे पाए.किन्तु वे फिर भी बधाई के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने कोशिश तो की.अन्य तो ये कोशिश करने से भी डरते हैं.भला हम कौन आपसे अलग हैं आप कोशिश कीजिए सफल कभी ना कभी तो होंगे ही और इस तरह हमारा प्रयास भी सफल होगा.प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं:
१-सरहपा
२-मुल्ला दाऊद
३-सूरदास
अच्छा तो पहेली संख्या -५ में जल्द ही मिलेंगे;
पहेली संख्या २ की ही तरह इस पहेली का भी डॉ.रूप चन्द्र शास्त्रीजी के अतिरिक्त कोई जवाब नहीं दे पाया,और वे भी केवल एक ही प्रश्न का उत्तर सही दे पाए.किन्तु वे फिर भी बधाई के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने कोशिश तो की.अन्य तो ये कोशिश करने से भी डरते हैं.भला हम कौन आपसे अलग हैं आप कोशिश कीजिए सफल कभी ना कभी तो होंगे ही और इस तरह हमारा प्रयास भी सफल होगा.प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं:
१-सरहपा
२-मुल्ला दाऊद
३-सूरदास
अच्छा तो पहेली संख्या -५ में जल्द ही मिलेंगे;
सोमवार, 3 जनवरी 2011
पहेली संख्या-४
प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज हम लेकर आये हैं पहेली संख्या -४ .लेकिन उससे पहले हम क्षमा चाहते हैं डॉ.रूपचंद्र शास्त्री जी से जिन्हें हम पहेली संख्या -३ के विजेता घोषित कर बधाई देना ही भूल गए.और ये सब इंटरनेट के भली-भांति कार्य ना कर पाने के कारण हुआ और इसी कारण हम अगली पहेली नहीं ला पाए.इसलिए शास्त्री जी हमें क्षमा करें.और अगली पहेली में भी पूर्व की भांति भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन करें.पहेली संख्या -४ के प्रश्न निम्न-लिखित हैं,और सही व सर्वप्रथम उत्तर देने वाले को विजेता घोषित किया जायेगा-
१-हिंदी के प्रथम सिद्ध कवि कौन हैं?
२-हिंदी के प्रथम सूफी कवि कौन हैं?
३-अष्ट-छाप के प्रथम भक्त कवि कौन हैं?
आज हम लेकर आये हैं पहेली संख्या -४ .लेकिन उससे पहले हम क्षमा चाहते हैं डॉ.रूपचंद्र शास्त्री जी से जिन्हें हम पहेली संख्या -३ के विजेता घोषित कर बधाई देना ही भूल गए.और ये सब इंटरनेट के भली-भांति कार्य ना कर पाने के कारण हुआ और इसी कारण हम अगली पहेली नहीं ला पाए.इसलिए शास्त्री जी हमें क्षमा करें.और अगली पहेली में भी पूर्व की भांति भाग लेकर हमारा उत्साह वर्धन करें.पहेली संख्या -४ के प्रश्न निम्न-लिखित हैं,और सही व सर्वप्रथम उत्तर देने वाले को विजेता घोषित किया जायेगा-
१-हिंदी के प्रथम सिद्ध कवि कौन हैं?
२-हिंदी के प्रथम सूफी कवि कौन हैं?
३-अष्ट-छाप के प्रथम भक्त कवि कौन हैं?
सदस्यता लें
संदेश (Atom)