मंगलवार, 29 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 83 परिणाम और विजेता हैं श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी द्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पहेली संख्या 83 में आपको हिन्दी में लिखी गयी पूंजीवादी व्यवस्था के प्रति एक महान कवि की एक प्रसिद्ध रचना-अंश के आधार पर आपको इस कवि को पहचानना था

इस सहित्य पहेली 83 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत केदारनाथ अग्रवाल जी

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुए हैं-श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी


और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं सुश्री ऋता शेखर जी।




विजेता श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी को हार्दिक बधाई


सोमवार, 28 मई 2012

हिंदी साहित्य पहेली 83 कैसे जियें? यही है मसला

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की साहित्य पहेली में पूंजीवादी व्यवस्था के प्रति एक महान कवि की एक प्रसिद्ध रचना का एक अंश दिया जा रहा है जिसके आधार पर आपको इस कवि को पहचानने का प्रयास करना है

कविता का अंश इस प्रकार है

================
डंकमार संसार न बदला
प्राणहीन पतझार न बदला

बदला शासन, देश न बदला
राजतंत्र का भेष न बदला,

भाव बोध उन्मेष न बदला,
हाड़-तोड़ भू भार न बदला

कैसे जियें? यही है मसला
नाचे कौन बजाये तबला?
=================



अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 22 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 82 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पहेली संख्या 82 में आपको हिन्दी में लिखी गयी पहली लधुकथा के लेखक को पहचानना था

इस सहित्य पहेली 82 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत भारतेंदु हरिश्चन्द्र

इस पहेली का परिणाम
जिन लघ्वाकारीय गद्य कथा-रचनाओं को पहली लघुकथा में गिना जाना चाहिए, वे निम्न प्रकार हैं:-

1 अंगहीन धनी (परिहासिनी, 1876) भारतेंदु हरिश्चन्द्र

2 अद्भुत संवाद (परिहासिनी, 1876) भारतेंदु हरिश्चन्द्र

आज की पहेली के प्रतिउत्तर में सुश्री ऋताशेखर जी मधु जी ने हिन्दी लघुकथा के संबंध में अपने उत्तर के साथ यह टिप्पणी भी साझा की है कि संभवतः हिन्दी की पहली लधुकथा पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी की लघुकथा 'झलमला' है|  

इस संबंध में उल्लेखनीय है  कि  इस पहेली के उत्तर हेतु प्रस्तुत किये गये संकेत में मैने उन सभी नौ साहित्यकारों के नाम अंकित किये थे जिन्हें किसी न किसी रूप में लघुकथा के आरंभिक रूप से जोडा जाता है  इसके अतिरिक्त कुछ विद्वजन आदरणीय श्री माधवराव सप्रे (जून १८७१ - २६ अप्रैल १९२६)  जी को हिन्दी की प्रथम लघुकथा का लेखक मानते हैं  

जैसा कि मैने पहेली प्रस्तुत करते समय अंकित किया था कि प्रत्येक के संबंध में उसके प्रस्तोता का ठोस साक्ष्य अथवा तर्क उपस्थित है।

बहरहाल हम सुश्री ऋता शेखर जी के आभारी है कि उन्होंने भी अपना अमूल्य मत पहेली के प्रतिउत्तर के माध्यम से व्यक्त किया है

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर



इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद्य जी



और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं

डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी

हम सुश्री ऋता शेखर जी के इस प्रयास के कारण सुश्री ऋता जी आज की पहेली की विशिष्ट विजेता हैं।




विजेता सुश्री साधना वैद्य जी डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी को हार्दिक बधाई

सोमवार, 21 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 82 के हल हेतु संकेत

बीते कल दिये गये संकेत में प्रथम हिन्दी लघुकथा के लेखक का रचना काल 1875 से 1930 के मध्य का बताया गया था
एक और संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इस काल के प्रतिष्ठित निम्न लेखकों में से ही किसी एक के द्वारा ही इन लघुकथाओं की रचना की थी ।

इन लेखकों के नाम हैं
! भारतेंदु हरिश्चन्द्र

2 माखनलाल चतुर्वेदी

3 माधवराव सप्रे

4 छ्बीलेलाल गोस्वामी

5 पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

6 जगदीशचन्द्र मिश्र

7 जयशंकर प्रसाद

8 प्रेमचंद

9 कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’

हिन्दी साहित्य पहेली 82 हिन्दी में लिखी गयी पहली लधुकथा का लेखक कौन है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की साहित्य पहेली हिन्दी कहानी पर आधारित है । हिन्दी साहित्य प्रेमियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिन्दी भाषा में पहली कहानी के रूप में पहचाने जाने का श्रेय अब तक किसी कहानी को नहीं मिल सका है। इस पंक्ति में कथाकार किशोरी लाल गोस्वामी की प्रणयिनी से लेकर चन्दधर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था तक की लगभग 15 कहानियाँ उपलब्ध हैं। हरेक के बारे में उसके प्रस्तोता का ठोस साक्ष्य अथवा तर्क उपस्थित है परन्तु ‘पहली हिन्दी लघुकथा’ की स्थिति इससे एकदम भिन्न है।
निम्नलिखित लधुकथाओं को हिन्दी की प्रथम लघुकथा के रूप में स्थापित होने का गौरव प्राप्त है
आज की पहेली में हम हिन्दी में लिखी गयी पहली लघुकथाऐं प्रस्तुत कर रहे है जो इस प्रकार हैः-
(1)
अंगहीन धनी
एक धनिक के घर उसके बहुत-से प्रतिष्ठित मित्र बैठे थे। नौकर बुलाने को घंटी बजी। मोहना भीतर दौड़ा, पर हँसता हुआ लौटा।
और नौकरों ने पूछा,“क्यों बे, हँसता क्यों है?”

तो उसने जवाब दिया,“भाई, सोलह हट्टे-कट्टे जवान थे। उन सभों से एक बत्ती न बुझे। जब हम गए, तब बुझे।”
(2)
अद्भुत संवाद
“ए, जरा हमारा घोड़ा तो पकड़े रहो।”

“यह कूदेगा तो नहीं?”

“कूदेगा! भला कूदेगा क्यों? लो सँभालो।”

“यह काटता है?”

“नहीं काटेगा, लगाम पकड़े रहो।”

“क्या इसे दो आदमी पकड़ते हैं, तब सम्हलता है?”

“नहीं।”

“फिर हमें क्यों तकलीफ देते हैं? आप तो हई हैं।”

आज की पहेली में आपको इन लघुकथाओं के लेखक को पहचानना है और यह बताना है कि हिन्दी में लिखी गयी उक्त पहली लघुकथाओं का लेखक कौन है।
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इन रचनाओं का रचना काल 1875 से 1930 के मघ्य का है सो इस दौर के किसी रचनाकार के द्वारा ही इनकी रचना की गयी है।

क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को?
तो फिर देर किस बात की तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 15 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 81 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पहेली संख्या 81 में आपको जलियांवाला बाग काण्ड की कठोर निंदा करते हुये के प्रतिकार स्वरूप अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा उन्हें दी गयी ‘नाइटहुड’ की उपाधि को वापिस लौटाने वाले महान साहित्यकार को पहचानना था

इस सहित्य पहेली 81 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत रविन्द्रनाथ ठाकुर

इस पहेली का परिणाम



और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर



इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद्य जी





विजेता सुश्री साधना वैद्य जी को हार्दिक बधाई

सोमवार, 14 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 81 साहित्यकार को पहचानों


प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,

आज की साहित्य पहेली जलियांवाला बाग पर आधारित है याद करिये 13 अप्रैल 1919 का वह काला दिन जब अमृतसर के जलियांवाला बाग में शान्तिर्पूएा निहत्थी जनता पर अंग्रजी जनरल डायर ने गोलियां चलवायीं थीं ।
इस घटना का समूचे भारतवर्ष में विरोध हुआ और तत्कालीन साहित्कारों ने भी अपने अपने तरीके से विरोध जताया । तत्कालीन एक जाने माने साहित्यकार द्वारा इस घटना की कठोर निंदा करते हुये अंग्रेजी हुकूमत के वायसराय को एक शालीन सा पत्र लिखा और इस पत्र के साथ अंग्रजी हुकूमत द्वारा उन्हें दी गयी ‘नाइटहुड’ की उपाधि को भी प्रतिकार स्वरूप वापिस लौटा दिया गया।
आज की पहेली में आपको इस महान साहित्यकार को पहचानना है
संकेत के रूप में इस महान साहित्कार के द्वारा अपने जन्मदिन पर लिखी कविता की कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं

उतार लेना सारे अलंकार एक-एक कर,

वर्ण सज्जाहीन अंगरखे से ढक देना,

माथे पर बना देना शुभ्र तिलक की रेखा,

तुम लोग भी शामिल होना

जीवन का भरा घट लेकर,

उस अंतिम अनुष्ठान में ,


हो सकता है सुनो दूर से ,

दिगंत के उस पार से शंख की मंगल ध्वनि.............


और जैसा उन्होने इस कविता ‘जन्मदिन’ में लिखा था ठीक उसी के अनुरूप एक अभागी 7 अगस्त को इस महान साहित्यकार के निधन के तुरंत बाद उनकी देह को नई सफेद धोती और अंगरखा पहना दिया गया माथे पर सफेद चंदन का टीका लगाया गया और कंठ में रजनीगंधा की माला पहनायी गयी।

आज की पहेली में आपको इस साहित्कार का नाम बताना है।
इतने संकेतों के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस महान साहित्यकार को । तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।
शुभकामनाओं सहित

मंगलवार, 8 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 80 परिणाम और विजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पहेली संख्या 80 में आपको पद्यांश पंक्तियों के लेखन / अनुवाद से जुडी महान विभूतियों को को पहचानना था
इस सहित्य पहेली 80 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत रामधारी सिंह 'दिनकर'।

इस पहेली का परिणाम



और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

अंग्रेज़ी भाषा की यह रचना डी० एच० लारेंस आत्मा की आँखें अंग्रेज़ी भाषा से अनुवाद रामधारी सिंह 'दिनकर'

इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी



विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी को हार्दिक बधाई

सोमवार, 7 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 80 अनुवादक को पहचानों

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों





आज की पहेली अंग्रेज़ी भाषा से अनुवाद पर आधारित है, प्रसिद्ध अंग्रजी लेखक डी० एच० लारेंस की अंग्रेज़ी भाषा से हिन्दी में अनुदित कविताऐं हिन्दी में खासी लोकप्रिय हुयी थीं । आपको यह बताना है कि डी० एच० लारेंस निम्न कविता आत्मा की आँखें का अनुवाद किसने किया था।

आत्मा की आँखें

देवता हैं नहीं,

तुम्हें दिखलाऊँ कहाँ ?

सूना है सारा आसमान,

धुएँ में बेकार भरमाऊँ कहाँ ?


इसलिए, कहता हूँ,

जहाँ भी मिले मौज, ले लो ।

जी चाहता हो तो टेनिस खेलो

या बैठ कर घूमो कार में

पार्कों के इर्द-गिर्द अथवा बाजार में ।

या दोस्तों के साथ मारो गप्प,

सिगरेट पियो ।

तुम जिसे मौज मानते हो, उसी मौज से जियो ।

मस्ती को धूम बन छाने दो,

उँगली पर पीला-पीला दाग पड़ जाने दो ।


लेकिन, देवता हैं नहीं,

तुम्हारा जो जी चाहे, करो ।

फूलों पर लोटो

या शराब के शीशे में डूब मरो ।


मगर, मुझ अकेला छोड़ दो ।

मैं अकेला ही रहूँगा ।

और बातें जो मन पर बीतती हैं
,
उन्हें अवश्य कहूँगा ।


मसलन, इस कमरे में कौन है

जिसकी वजह से हवा ठंडी है,

चारों ओर छायी शान्ति मौन है ?

कौन यह जादू करता है ?

मुझमें अकारण आनन्द भरता है ।


कौन है जो धीरे से

मेरे अन्तर को छूता है ?

किसकी उँगलियों से

पीयूष यह चूता है ?


दिल की धड़कनों को

यह कौन सहलाता है ?

अमृत की लकीर के समान

हृदय में यह कौन आता-जाता है ?


कौन है जो मेरे बिछावन की चादर को

इस तरह चिकना गया है,

उस शीतल, मुलायम समुद्र के समान

बना गया है,

जिसके किनारे, जब रात होती है

मछलियाँ सपनाती हुई सोती हैं ?


कौन है, जो मेरे थके पावों को

धीरे-धीरे सहलाता और मलता है,

इतनी देर कि थकन उतर जाए,

प्राण फिर नयी संजीवनी से भर जाए ?


अमृत में भींगा हुआ यह किसका

अंचल हिलता है ?

पाँव में भी कमल का फूल खिलता है ।


और विश्वास करो,

यहाँ न तो कोई औरत है, न मर्द;

मैं अकेला हूँ ।


अकेलेपन की आभा जैसे-जैसे गहनाती है,

मुझे उन देवताओं के साथ नींद आ जाती है,

जो समझो तो हैं, समझो तो नहीं हैं;

अभी यहाँ हैं, अभी और कहीं हैं ।


देवता सरोवर हैं, सर हैं, समुद्र हैं ।

डूबना चाहो

तो जहाँ खोजो, वहीं पानी है ।

नहीं तो सब स्वप्न की कहानी है ।



संकेत के रूप में आपको बता दे इन कविताओं का अनुवाद करने वाले अनुवादक लेखक तत्कालीन हिन्दी साहित्य जगत की अनुपम विभूति थे ।

है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस अनुवादक लेखक को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

बुधवार, 2 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 79 का परिणाम और विजेता श्री यतीश तिवारी जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली में बहुत आसान सा सवाल पूछने के बाद प्राप्त हुये उत्तरों की संख्या उत्साहजनक रही।

इस पहेली का उत्तर है श्रीयुत हरिवंश राय बच्चन जी जिनकी आत्मकथा का तीसरा भाग बसेरे से दूर का चित्र कतिपय संशोधनों के साथ पहेली में आप सब सुधी जनों के अवलोकनार्थ दिया था ।



और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार की पहेली का सबसे पहले सही उत्तर भेजने वाले पाठक हैं आदरणीय श्री यतीश तिवारी जी श्री यतीश जी ने अपना यह उत्तर इ मेल से भेजा है जिसे यहां हू बहू उद्धृत किया जा रहा है।
yatish tewari Mon, Apr 30, 2012 at 2:38 AM
To: "Dr. Ashok Shukla"
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pranam sir,

paheli ka answer hai

basere se door - harivansh rai bacchan


आदरणीय यतीश जी का हिन्दी साहित्य पहेली में स्वागत करते हुये उनसे आग्रह करना चाहेंगे कि

आदरणीय श्री यतीश तिवारी जी कृपया आगे आने वाली पहेलियों के उत्तर संबंधित पोस्ट के साथ टिप्पणी के रूप में ही दें इससे हमें विजेताओं को चयनित करने में सुविधा रहती है।

इस बार थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर उपविजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी



और पहेली में भाग लेने की विशिस्ट खेल भावना के चलते  इस बार विशिस्ट विजेता पद पर विराजमान हुए है  श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी



इस बार विशिस्ट विजेता पद पर विराजमान हुए है श्री अजय सिंह जी 


इस बार विशिस्ट विजेता पद पर विराजमान हुए है श्री रामनारायण जी

विजेता श्री यतीश तिवारी जी उपविजेता सुश्री साधना वैद्य जी  श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी श्री अजय सिंह जी श्री रामनारायण जी को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।

मंगलवार, 1 मई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 79 के हल हेतु संकेत



हिन्दी साहित्य पहेली 79 के हल हेतु संकेत

प्रिय पाठकगण
इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली के जारी होने के बाद अब तक चौबीस घंटे हो चुके हैं परन्तु किसी भी पाठक का सही हल प्राप्त नहीं हो सका है इसलिये पहेली के सही हल हेतु आपको संकेत देना चाहता हूँ जो इस प्रकार है

(1) चित्र में छिपी कृति इस महान लेखक की आत्मकथा का एक भाग है

(2) इस प्रसिद्ध महान हिन्दी लेखक के हस्ताक्षर नीचे दिये गये हैं


मेरा विश्वास है कि अब तक यह दोनो संकेत आपको पहेली के हल तक पहुंचने में सहायक हो चुका होगा सो देर किस बात की तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन बैठै।
अग्रिम शुभकामनाओं सहित