आंखों के इन्फेक्शन के चलते डाक्टर द्वारा कम्पूटर स्क्रीन से दूर रहने सख्त हिदायत दी गयी है इसलिये आज की पहेली दो दिन बाद 17 अक्टूबर दिन बुधवार को पूछी जायेगी ।
सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
असुविधा के लिये खेद है
आंखों के इन्फेक्शन के चलते डाक्टर द्वारा कम्पूटर स्क्रीन से दूर रहने सख्त हिदायत दी गयी है इसलिये आज की पहेली दो दिन बाद 17 अक्टूबर दिन बुधवार को पूछी जायेगी ।
बुधवार, 10 अक्तूबर 2012
हिन्दी साहित्य पहेली 102 के परिणाम
प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
हिन्दी साहित्य पहेली 102 का सही उत्तर है खलील जिब्रान
और इस पहेली के विजेता हैं ...
हिन्दी साहित्य पहेली 102 में 10 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।
1आदरणीय सुश्री ऋताशेखर मधु जी जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
2आदरणीय श्री "अनंत" अरुन शर्मा जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
3आदरणीया सुश्री साधना वैद्य जी(माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)
4आदरणीय श्री प्रकाश गोविन्द जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
5आदरणीय श्री सिद्धेश्वर सिंह जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)
और हिन्दी साहित्य पहेली 102 में 5 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।
1आदरणीय श्री रविकर जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)
मासिक विजेता निर्धारण के नये प्रारूप के प्रथम विजेता प्रत्याशियों को आगामी पहेलियों के लिये अग्रिम हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें
मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012
हिंदी साहित्य पहेली 102 कहानी के लेखक को पहचानना है
लेबनान के महाकवि एवं महान दार्शनिक के साहित्य–संसार को मुख्य रूप से दो प्रकारों में रखा जा सकता है, एक : जीवन–विषयक गम्भीर चिन्तनपरक लेखन, दो : गद्यकाव्य, उपन्यास, रूपककथाएँ आदि।
मानव एवं पशु–पक्षियों के उदाहरण लेकर मनुष्य जीवन का कोई तत्त्व स्पष्ट करने या कहने के लिए रूपककथा, प्रतीककथा अथवा नीतिकथा का माध्यम हमारे भारतीय पाठकों व लेखकों के लिए नया नहीं है।
इस लेखक की लिखी एक लघु कथा इस प्रकार हे जिसके आधार पर आपको इसे पहचानाना है
मानव एवं पशु–पक्षियों के उदाहरण लेकर मनुष्य जीवन का कोई तत्त्व स्पष्ट करने या कहने के लिए रूपककथा, प्रतीककथा अथवा नीतिकथा का माध्यम हमारे भारतीय पाठकों व लेखकों के लिए नया नहीं है।
इस लेखक की लिखी एक लघु कथा इस प्रकार हे जिसके आधार पर आपको इसे पहचानाना है
एक हजार वर्ष पहले की बात है, लेबनान की एक ढलान पर दो दार्शनिक आकर मिले । एक ने दूसरे से पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो ?”
दूसरे ने उत्तर दिया, “मैं एक यौवन के झरने की तलाश में जा रहा हूँ । मुझे लगता है कि उसका स्त्रोत इन्हीं पहाड़ियों के बीच कहीं है । मुझे कुछ ऐसे लिखित प्रमाण मिले हैं, जो उसका उद्गम पूर्व की ओर बताते हैं । तुम क्या खोज रहे हो ?”
पहले व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं मृत्यु के रहस्य की तलाश में हूँ ।”
फिर दोनों दार्शनिकों ने एक-दूसरे के प्रति यह धारणा बना ली कि दूसरे के पास उसके समान महान विद्या नहीं है । वे आपस में बहस करने लगे और एक-दूसरे पर अंधविश्वासी होने का आरोप लगाने लगे ।
दोनों दार्शनिकों के शोर से सारा वातारवरण गूँज उठा । तभी एक अजनबी उधर आ निकला, जो अपने गाँव में महामूर्ख समझा जाता था । जब उसने दोनों को उत्तेजनापूर्ण बहस करते हुए देखा, तो वह थोड़ी देर तक खड़ा उनके तर्कों को सुनता रहा ।
उसके बाद वह उनके निकट आकर बोला, “सज्जनो, ऐसा लगता है कि तुम दोनों वास्तव में एक ही सिद्धात के माननेवाले हो और एक ही बात कह रहे हो । अंतर केवल शब्दों का है । तुममें से एक यौवन के झरने की तलाश कर रहा है और दूसरा मृत्यु के रहस्य को पाना चाहता है । हैं तो दोनों एक ही , परंतु अलग-अलग रुप में तुम्हारे दिमाग में घूमते है ।”
फिर वह अपरिचित यह कहते हुए मुड़ा, “अलविदा संतो !” और वह हँसते हुए वहाँ से चला गया ।
फिर उन में से एक ने कहा, “अच्छा, तो क्यों न अब हम दोनों मिलकर खोज करें ?”
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
असुविधा के लिये खेद है
प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
असुविधा के लिये खेद है कुछ अपरिहार्य कारणों इस बार की पहेली आज निर्धारित समय से नहीं पूछी जा सकी है इस बार की पहेली मंगलवार को निर्धारित समय पर पूछी जायेगी असुविधा के लिये खेद है
मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
हिन्दी साहित्य पहेली 101 के परिणाम
प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
हिन्दी साहित्य पहेली 101 का सही उत्तर है
और इस पहेली के विजेता हैं ...
अरे ठहरिये.. ..
इस बार विजेता की घोषणा से पहले कुछ चर्चा
आपसे प्राप्त सुझावों पर
अरे ठहरिये.. ..
इस बार विजेता की घोषणा से पहले कुछ चर्चा
आपसे प्राप्त सुझावों पर
हिन्दी साहित्य पहेली हेतु अब भी सुझाव आमंत्रित हैं ।
अब तक प्राप्त सुझावों में सुश्री ऋताशेखर मधु जी ने इन्टरनेट की सुचारू उपलब्धता के प्रश्न को उठाकर पहेली का उत्तर सबसे पहले देने वाले को ही विजेता मानने की प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता जतायी है । इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करते हुये पहेली का उत्तर देने हेतु समय की सीमा समाप्त करते हुये अब पहेली जारी होने से परिणाम घोषित होने तक प्राप्त सभी सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को समान योग्यतांक दिये जायेंगे । इसके अतिरिक्त यदि आपका उत्तर सही न हो तो भी प्रयास करने के लिये प्रत्येक प्रतिभागी को सांत्वना योग्यतांक दिये जायेगे और प्रत्येक माह की समाप्ति पर उस माह सर्वाधिक योग्यतांक अर्जित करने वाले प्रतिभागी को विजेता घोषित किया जायेगा।
इस प्रकार पहेली का उत्तर देने वाले प्रतिभागियों की निम्न दो श्रेणियां होंगी
1.पहेली प्रकाशित होने के 24 घंटे के भीतर सही उत्तर देने वाले सभी प्रतिभागियों को योग्यतांक 10 (दस) प्राप्त होगे।
2.तथा इस अवधि में प्रतिभाग कर प्रयास करने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को सांत्वना योग्यतांक 5 (पांच), प्राप्त होगे ।
हिन्दी साहित्य पहेली 101 में 10 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।
1आदरणीय श्री "अनंत" अरुन शर्मा जी
2आदरणीय श्री प्रकाश गोविन्द जी
3आदरणीया सुश्री ऋता शेखर मधु जी
और हिन्दी साहित्य पहेली 101 में 5 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।
1आदरणीय श्री अजीज जौनपुरी जी
2आदरणीया सुश्री मनु त्यागी जी
मासिक विजेता निर्धारण के नये प्रारूप के प्रथम विजेता प्रत्याशियों को आगामी पहेलियों के लिये अग्रिम शुभकामनाए
सोमवार, 1 अक्तूबर 2012
हिन्दी साहित्य की पहेली 101 कृति को पहचानो
प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इन पंक्तियों की रचयिता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रचनाकार है और मूल रूप से भारत की निवासिनी नहीं है
संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।
शुभकामनाओं सहित
समाजिक जागरूकता के अनेक दावों के बावजूद हमारे भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की ही है उनका बचपन बस हिदायतों के साथ ही बढता है ऐसा ही कुछ नीचे लिखी इन पंक्तियों से भी परिलक्षित होता है परन्तु हमें यह नहीं मालूम कि कविता की ये पंक्तियां किस रचनाकार की हैं और उस रचनाकार ने किस देश में बिताये अपने बचपन को इन पंक्तियों में उतारने का प्रयास किया है? इसे पहचानना ही आज की साहित्य पहेली को हल करना है
कविता की पंक्तियां
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इन पंक्तियों की रचयिता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रचनाकार है और मूल रूप से भारत की निवासिनी नहीं है
संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।
शुभकामनाओं सहित
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