रविवार, 30 दिसंबर 2012

पहेली संख्या १०३ का परिणाम और विजेता अरुण शर्मा 'अनंत 'जी

सम्मानित चिट्ठाकारों ,
                          पहेली संख्या १०३   के विजेता हैं -
मेरा फोटो
       ''अरुण शर्मा 'अनंत 'जी  ,

         जिनका उत्तर विकिपीडिया से मुंशी प्रेम चंद जी के कहानी संग्रह ''सोजे वतन ''के विषय में दिया गए गद्यांश से पूरी तरह से मिलता है .

     

सोज़े वतन नामक कहनी संग्रह के रचनाकार नवाबराय (प्रेमचन्द) हैं। इसका प्रकाशन १९०८ में हुआ। इस संग्रह के कारण प्रेमचन्द को सरकार का कोपभाजन बनना पडा। सोज़े वतन का अर्थ है देश का मातम। इस संग्रह में पाँच कहानियाँ थीं। दुनिया का सबसे अनमोल रतन, शेख मखमूर, यही मेरा वतन है,शोक का पुरस्कार, और सांसारिक प्रेम। पाँचों कहानियाँ उर्दू भाषा में थीं। हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने इसे देशद्रोही करार दिया और इसकी सारी प्रतियाँ जलवाकर नष्ट कर दीं। इसके बाद नवाबराय से वे प्रेमचन्द हो गए।
                         अरुण जी आपको हिंदी साहित्य पहेली १०३ के विजेता बानने पर बहुत बहुत बधाई व् नव वर्ष २०१३ की हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से बहुत बहुत शुभकामनायें
                 शालिनी कौशिक

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

हिंदी साहित्य पहेली -१०३

सोज़े-वतन



सोज़े वतन नामक कहानी  संग्रह के रचनाकार.[क]................ हैं। इसका प्रकाशन १९०८ में हुआ। इस संग्रह के कारण [ख]........................को सरकार का कोपभाजन बनना पडा। सोज़े वतन का अर्थ है देश का मातम। इस संग्रह में पाँच कहानियाँ थीं। [ग ]................. शेख मखमूर, यही मेरा वतन है,शोक का पुरस्कार, और सांसारिक प्रेम। पाँचों कहानियाँ । [घ]..................... जिला कलेक्टर ने इसे देशद्रोही करार दिया और इसकी सारी प्रतियाँ जलवाकर नष्ट कर दीं। इसके बाद .[ड़ ].............................. हो गए।


1-दुनिया के सबसे अनमोल रत्न 
2-उर्दू भाषा में थीं
3- प्रेमचन्द
4-नवाबराय से वे प्रेमचंद
5- प्रेमचन्द
                        उपरोक्त रिक्त स्थानों में निम्न संकेत शब्दों का स्थान बताएं और हिंदी साहित्य पहेली -103 के विजेता बनें .
                        शालिनी कौशिक 

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

असुविधा के लिये खेद है


आंखों के इन्फेक्शन के चलते डाक्टर द्वारा कम्पूटर स्क्रीन से दूर रहने सख्त हिदायत दी गयी है इसलिये आज की पहेली दो दिन बाद 17 अक्टूबर दिन बुधवार को पूछी जायेगी ।


बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 102 के परिणाम

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
हिन्दी साहित्य पहेली 102 का सही उत्तर है खलील जिब्रान

और इस पहेली के विजेता हैं ... 

हिन्दी साहित्य पहेली 102 में 10 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।

1आदरणीय सुश्री ऋताशेखर मधु जी जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
2आदरणीय श्री "अनंत" अरुन शर्मा जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
3आदरणीया सुश्री साधना वैद्य जी(माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)
4आदरणीय श्री प्रकाश गोविन्द जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 20)
5आदरणीय श्री सिद्धेश्वर सिंह जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)

और हिन्दी साहित्य पहेली 102 में 5 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।

1आदरणीय श्री रविकर जी (माह अक्टूबर के विजेता हेतु अब तक कुल अंक 10)

मासिक विजेता निर्धारण के नये प्रारूप के प्रथम विजेता प्रत्याशियों को आगामी पहेलियों के लिये अग्रिम हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें

















मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

हिंदी साहित्य पहेली 102 कहानी के लेखक को पहचानना है

लेबनान के महाकवि एवं महान दार्शनिक के साहित्य–संसार को मुख्य रूप से दो प्रकारों में रखा जा सकता है, एक : जीवन–विषयक गम्भीर चिन्तनपरक लेखन, दो : गद्यकाव्य, उपन्यास, रूपककथाएँ आदि।
मानव एवं पशु–पक्षियों के उदाहरण लेकर मनुष्य जीवन का कोई तत्त्व स्पष्ट करने या कहने के लिए रूपककथा, प्रतीककथा अथवा नीतिकथा का माध्यम हमारे भारतीय पाठकों व लेखकों के लिए नया नहीं है।

इस लेखक की लिखी एक लघु कथा इस प्रकार हे जिसके आधार पर आपको इसे पहचानाना है


एक हजार वर्ष पहले की बात है, लेबनान की एक ढलान पर दो दार्शनिक आकर मिले । एक ने दूसरे से पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो ?”

दूसरे ने उत्तर दिया, “मैं एक यौवन के झरने की तलाश में जा रहा हूँ । मुझे लगता है कि उसका स्त्रोत इन्हीं पहाड़ियों के बीच कहीं है । मुझे कुछ ऐसे लिखित प्रमाण मिले हैं, जो उसका उद्गम पूर्व की ओर बताते हैं । तुम क्या खोज रहे हो ?”

पहले व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं मृत्यु के रहस्य की तलाश में हूँ ।”

फिर दोनों दार्शनिकों ने एक-दूसरे के प्रति यह धारणा बना ली कि दूसरे के पास उसके समान महान विद्या नहीं है । वे आपस में बहस करने लगे और एक-दूसरे पर अंधविश्वासी होने का आरोप लगाने लगे ।

दोनों दार्शनिकों के शोर से सारा वातारवरण गूँज उठा । तभी एक अजनबी उधर आ निकला, जो अपने गाँव में महामूर्ख समझा जाता था । जब उसने दोनों को उत्तेजनापूर्ण बहस करते हुए देखा, तो वह थोड़ी देर तक खड़ा उनके तर्कों को सुनता रहा ।

उसके बाद वह उनके निकट आकर बोला, “सज्जनो, ऐसा लगता है कि तुम दोनों वास्तव में एक ही सिद्धात के माननेवाले हो और एक ही बात कह रहे हो । अंतर केवल शब्दों का है । तुममें से एक यौवन के झरने की तलाश कर रहा है और दूसरा मृत्यु के रहस्य को पाना चाहता है । हैं तो दोनों एक ही , परंतु अलग-अलग रुप में तुम्हारे दिमाग में घूमते है ।”

फिर वह अपरिचित यह कहते हुए मुड़ा, “अलविदा संतो !” और वह हँसते हुए वहाँ से चला गया ।

फिर उन में से एक ने कहा, “अच्छा, तो क्यों न अब हम दोनों मिलकर खोज करें ?”


सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

असुविधा के लिये खेद है

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


असुविधा के लिये खेद है कुछ अपरिहार्य कारणों इस बार की पहेली आज निर्धारित समय से नहीं पूछी जा सकी है इस बार की पहेली मंगलवार को निर्धारित समय पर पूछी जायेगी  असुविधा के लिये खेद है

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 101 के परिणाम

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
हिन्दी साहित्य पहेली 101 का सही उत्तर है
और इस पहेली के विजेता हैं ... 

अरे ठहरिये.. .. 

इस बार विजेता की घोषणा से पहले कुछ चर्चा 

आपसे प्राप्त सुझावों पर
हिन्दी साहित्य पहेली हेतु अब भी सुझाव आमंत्रित हैं ।

अब तक प्राप्त सुझावों में सुश्री ऋताशेखर मधु जी ने इन्टरनेट की सुचारू उपलब्धता के प्रश्न को उठाकर पहेली का उत्तर सबसे पहले देने वाले को ही विजेता मानने की प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता जतायी है । इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करते हुये पहेली का उत्तर देने हेतु समय की सीमा समाप्त करते हुये अब पहेली जारी होने से परिणाम घोषित होने तक प्राप्त सभी सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को समान योग्यतांक दिये जायेंगे । इसके अतिरिक्त यदि आपका उत्तर सही न हो तो भी प्रयास करने के लिये प्रत्येक प्रतिभागी को सांत्वना योग्यतांक दिये जायेगे और प्रत्येक माह की समाप्ति पर उस माह सर्वाधिक योग्यतांक अर्जित करने वाले प्रतिभागी को विजेता घोषित किया जायेगा।

इस प्रकार पहेली का उत्तर देने वाले प्रतिभागियों की निम्न दो श्रेणियां होंगी

1.पहेली प्रकाशित होने के 24 घंटे के भीतर सही उत्तर देने वाले सभी प्रतिभागियों को योग्यतांक 10 (दस) प्राप्त होगे।

2.तथा इस अवधि में प्रतिभाग कर प्रयास करने वाले प्रत्येक प्रतिभागी को सांत्वना योग्यतांक 5 (पांच), प्राप्त होगे ।


हिन्दी साहित्य पहेली 101 में 10 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।

1आदरणीय श्री "अनंत" अरुन शर्मा जी
2आदरणीय श्री प्रकाश गोविन्द जी
3आदरणीया सुश्री ऋता शेखर मधु जी

और हिन्दी साहित्य पहेली 101 में 5 अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागी हैं।

1आदरणीय श्री अजीज जौनपुरी जी
2आदरणीया सुश्री मनु त्यागी जी

मासिक विजेता निर्धारण के नये प्रारूप के प्रथम विजेता प्रत्याशियों को आगामी पहेलियों के लिये अग्रिम शुभकामनाए








सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

हिन्दी साहित्य की पहेली 101 कृति को पहचानो

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


समाजिक जागरूकता के अनेक दावों के बावजूद हमारे भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की ही है उनका बचपन बस हिदायतों के साथ ही बढता है ऐसा ही कुछ नीचे लिखी इन पंक्तियों से भी परिलक्षित होता है परन्तु हमें यह नहीं मालूम कि कविता की ये पंक्तियां किस रचनाकार की हैं और उस रचनाकार ने किस देश में बिताये अपने बचपन को इन पंक्तियों में उतारने का प्रयास किया है? इसे पहचानना ही आज की साहित्य पहेली को हल करना है

कविता की पंक्तियां

संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इन पंक्तियों की रचयिता अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रचनाकार है और मूल रूप से भारत की निवासिनी नहीं है

संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।

शुभकामनाओं सहित

शनिवार, 29 सितंबर 2012

सम्मानित पाठकजनों की राय प्रतीक्षित


प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,

हिन्दी साहित्य की 101 वीं पहेली जारी होने में अब मात्र 36 घंटे ही बाकी है परन्तु पहेली के नियमों में बदलाव विषयक निम्न प्रस्ताव पर आप सभी सम्मानित पाठकजनों की राय अब तक अप्राप्त है

''प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अर्जित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... ''

फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में सुझाव आमंत्रित हैं कि विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता को कितने कितने योग्यतांक दिये जाने चाहिऐ. आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य इस पहेली के भविष्य निर्धारण हेतु आवश्यक हैं.अतः भी आप सभी सुधी पाठकजनों से अनुरोध है कि कृपया इस प्रस्ताव के संबंध में अपनी राय हिन्दी साहित्य की 101 वीं पहेली जारी होने से पहले टिप्पणी के रूप में अवश्य अंकित करें

आप अपनी टिप्पणी व्लाग 'अंतरजाल साहित्य योगदानकर्ता मंचपर भी अंकित कर सकते हैं




गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 परिणाम की घोषणा

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


इस शतकीय पहेली को नयी रूप सज्जा के साथ प्रस्तुत करने के दौरान इस व्लाग में मेरे द्वारा अनजाने कुछ ऐसी त्रुटि हो गयी थी जिसके चलते इस व्लाग पर पाठकों की टिप्पणी का कालम हाइलाइट नहीं हो रहा था जो संभवतः इस टेपम्लेट में अब दूर हो गयी हैं असुविधा के लिये खेद है


इस बार की पहेली में पूछे गये प्रश्नों के सही उत्तर इस प्रकार हैं

प्रश्न 1.हिन्दी साहित्य पहेली का प्रथम विजेता कौन था?
उत्तर: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी

प्रश्न 2.हिन्दी साहित्य पहेली के उस पहले विजेता का नाम बताऐं जो इसकी अर्धशतकीय पहेली (50वीं पहेली) आने तक कभी विजेता अथवा उपविजेता नहीं रहे ?
उत्तर: हिन्दी साहित्य पहेली 54 विजेता श्री केवल राम जी

प्रश्न 3.एक ऐसी हिन्दी साहित्य पहेली भी पूछी गयी थी जिसके जारी होने से उसके विजेताओं की घोषणा होने तक पहेली में सम्मिलित साहित्यकार को सर्वोच्च हिन्दी सम्मान से सम्मानित किया गया था, आपको इस पहेली को पहचान कर इसके विजेता का नाम बताना है?
उत्तर:हिन्दी साहित्य पहेली 47 जिस महान हस्ती पर आधारित थी उन आदरणीय श्रीलाल जी शुक्ल को वर्ष 2009 का भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया है जो 20 सितम्बर 2011 को घोषित हुआ है हिंदी साहित्य पहेली 47 के विजेता है श्री दर्शन लाल बावेजा जी


प्रश्न 4.कौन सी हिन्दी साहित्य पहेली में पूछा गया प्रश्न पहेली संख्या 1 में पूछे गये प्रश्न की पुनरावृति था?
उत्तर: हिन्दी साहित्य पहेली 85 हिन्दी की पहली आत्मकथा का लेखक कौन है?



सबसे पहले सही उत्तर भेज कर इस शतकीय पहेली के विजेता हैं श्री दर्शन लाल बावेजा जी
शतकीय पहेली के विजेता श्री दर्शन लाल बावेजा जी को हार्दिक बधाई



इसके अतिरिक्त हिन्दी साहित्य पहेली के नियमों में बदलाव हेतु आप सभी पाठकजनों की अमूल्य राय आमंत्रित है कि प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अर्जित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... विस्तृत नियमों की चर्चा करते हुये फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में सुझाव आमंत्रित हैं कि विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता को कितने कितने योग्यतांक दिये जाने चाहिऐ. आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य इस पहेली के भविष्य निर्धारण हेतु आवश्यक हैं.अतः भी आप सभी सुधी पाठकजनों से अनुरोध है कि कृपया इस प्रस्ताव के संबंध में अपनी टिप्पणी अवश्य अंकित करें

आप अपनी टिप्पणी व्लाग 'अंतरजाल साहित्य योगदानकर्ता मंच 'पर भी अंकित कर सकते हैं

बुधवार, 26 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 परिणाम की घोषणा से पहले हमारे विजेताओं से मिलें

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


हिन्दी साहित्य पहेली 100 को जारी हुये 60 घंटे पूरे हो चुके हैं परन्तु अभी तक समुचित सही उत्तर प्राप्त नहीं होने से परिणाम की घोषणा नहीं की जा सकी है। अतः अब भी आपके पास उत्तर देने के लिये पर्याप्त अवसर है क्योंकि अपने सम्मानित प्रतिभागी और अनेक पहेलियों के विजेता आदरणीय श्री दर्शन लाल बावेजा जी के द्वारा दिये गये सुझाव को गंभीरता से लेते हुये के इस शतकीय पहेली के उपरांत हिन्दी साहित्य पहेली के नियमें में कुछ ऐसे बदलाव किये जाने का प्रस्ताव हैं जिसके आधार पर प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जा सकेगा।




विस्तृत नियमों की चर्चा पुनः की जायेगी
फिलहाल इस संबंध में व्लाग के एक व्यवस्थापक के रूप में मेरा यह प्रस्ताव है कि प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अंकित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... विस्तृत नियमों की चर्चा पुनः की जायेगी फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य भी आमंत्रित है

इस पहेली के परिणाम की घोषणा से पूर्व सभी पहेली के विजेता और उप विजेताओें का ब्यौरा गणना करने के बाद हमारे विजेताओं से मिलें पृष्ठ में आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है जिसके आधार पर परिणाम का आकलन किया जायेगा।
यह आंकडे इस उद्देश्य से जारी किये जा रहे है कि आप सभी सुधी पाठक जन कृपया इन्हें भली भांति देख ले और इनकी तुलना भी कर लें यदि इसमें कोई त्रुटि पाते हैं तो कृपया अपनी आपत्ति की टिप्पणी अवश्य प्रेषित करे ताकि त्रुटि का निराकरण करते हुये उसके आधार पर परिणामो की घोषणा की जा सके ।

यदि आपकी कोई टिप्पणी नहीं प्राप्त होगी तो यह समझेंगे कि हमारी गणना सही है और इसी के आधार पर पहेली संख्या 100 का परिणाम घोषित कर दिया जायेगा। संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे परिणामेां को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ।




एक निश्चित योग्यतांक अंकित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य आमंत्रित है

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 हल हेतु एक संकेत


प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


हिन्दी साहित्य पहेली 100 को घोषित हुये 24 घंट हो चुके हें परन्तु अब तक किसी विजेता का सही उत्तर नहीं प्राप्त हुआ है अतः इसके हल हेतु संकेत दिया जा रहा है


संकेत- हमारे विजेताओं से मिलो पेज पर इस साहित्य पहेली की 50 पहेलियेां का संकलित व्यौरा अंकित है उसमे प्रश्न संख्या 1 का हल छिपा है

प्रश्न संख्या 2 का हल पहेली संख्या 51 से 60 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है

प्रश्न संख्या 3 का हल पहेली संख्या 41 से 50 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है

प्रश्न संख्या 4 का हल पहेली संख्या 81 से 90 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है


संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे परिणामेां को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।



शुभकामनाओं सहित

सोमवार, 24 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य की शतकीय पहेली 100 सभी सम्मानित प्रतिभागियों को बधाई

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


आज की हिन्दी साहित्य पहेली सौवीं पहेली है। ।
पहेलियों की यह शतकीय यात्रा इसमें प्रतिभाग करने वाले सम्मानित पाठकों और प्रतिभागियों के बगैर संभव नहीं हो सकती थी अतः आज की हिन्दी साहित्य पहेली की इस शतकीय यात्रा को इसमें प्रतिभाग करने वाले समस्त सम्मानित प्रतिभागियों को समर्पित करते हुये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आपको इस समूची पहेली के पुनरावलोक हेतु बाध्य कर सकते है।

पुनः आप सभी सम्मानित पाठकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुये प्रस्तुत हैं इस पहेली के चार सवालः-

1.हिन्दी साहित्य पहेली का प्रथम विजेता कौन था?

2.हिन्दी साहित्य पहेली के उस पहले विजेता का नाम बताऐं जो इसकी अर्धशतकीय पहेली (50वीं पहेली) आने तक कभी विजेता अथवा उपविजेता नहीं रहे ?

3.एक ऐसी हिन्दी साहित्य पहेली भी पूछी गयी थी जिसके जारी होने से उसके विजेताओं की घोषणा होने तक पहेली में सम्मिलित साहित्यकार को सर्वोच्च हिन्दी सम्मान से सम्मानित किया गया था, आपको इस पहेली को पहचान कर इसके विजेता का नाम बताना है?

और एक आसान सा सवाल
4.कौन सी हिन्दी साहित्य पहेली में पूछा गया प्रश्न पहेली संख्या 1 में पूछे गये प्रश्न की पुनरावृति था?

इन प्रश्नों के हल हेतु इस पहेली में कोई संकेत नहीं, आपको बस इतना करना है कि पुरानी पहेलियों को टटोलना होगा और अपने उत्तर भेजने होंगे।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।

शुभकामनाओं सहित

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 99 के परिणाम और विजेता हें सुश्री साधना वैद्य जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

घोषित है हिन्दी सहित्य पहेली 99 का सही उत्तर




वैष्णव धर्म में प्रचलित इस अत्यंत लोकप्रिय गाँधीजी के प्रिय ऐतिहासिक भजन के रचयिता गुजरात के संत कवि नरसी मेहता जी है और इसका रचनाकाल 16 वीं शताब्दी का है ! और इसे गांधी जी ने अपनी प्रार्थना मे शामिल करके जनता के बीच प्रसिद्ध किया ॥

भजन
नरसी मेहता

नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूर का।


नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़ के समीपवर्ती "तलाजा" नामक ग्राम में हुआ था और उनके पिता कृष्णदामोदर वडनगर के नागरवंशी कुलीन ब्राह्मण थे। उनका अवसान हो जाने पर बाल्यकाल से ही नरसी को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा। एक कथा के अनुसार नरसिंह मेहता की भाभी आप को बहुत भला बुरा कहती थी|
एक समय नरसिंह और उनके भाई तीर्थ यात्रा पर जाते समय एक जंगल में से गुजर रहे थे| दोनों बहुत थक चुके थे और भूख भी बहुत लगी थी | कुछ दुरी पर एक गाँव दिखाई दिया | उस गाँव के कुछ लोग इन दोनों के पास आये और कहा की अगर आप कहें तो हम आप के लिये खाना ले आते हैं, पर लेकिन हम शुद्र (नीच ) जाती के हैं | नरसिंह जी ने उन्हें कहा की सभी परमेश्वर की संतान हैं आप तो हरि के जन हैं मुझे आप का दिया भोजन खाने में कोई आपत्ति नहीं | नरसिंह ने खुशी से भोजन खाया लेकिन उनके भाई ने भोजन खाने से इनकार कार दिया | चलने से पहले नरसिंह जब गाँव वालों का धन्यवाद करने के लिये उठे तो उन्हें कहीं भी गाँव नजर नहीं आया |

और अब चर्चा इस पहेली 99 के परिणाम पर

1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं सुश्री साधना वैद्य जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी

3- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर द्वितीय उपविजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी






4-सही जवाब देकर विजेता बनने का प्रयास करने के लिये सुश्री वन्दना जी, श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का विशेष आभार


आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें






सोमवार, 17 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 99 ऐतिहासिक कृति को पहचानो

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


आज की हिन्दी साहित्य पहेली वैष्णव धर्म पर आधारित है ।
वैष्णव धर्म में प्रचलित एक अत्यंत लोकप्रिय ऐतिहासिक भजन जो नीचे दिया जा रहा है के संबंध में आपको बताना है कि यह भजन किसका लिखा हुआ है

भजन
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि अत्यंत लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति कोई तीन चार सौ साल पुरानी है

संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस महान लोकप्रिय ऐतिहासिक भजन के लेखक को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।

शुभकामनाओं सहित

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98के परिणाम और विजेता हें श्री "अनंत" अरुन शर्मा

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
सभी साथियों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

इस पहेली का परिणाम


घोषित है हिन्दी सहित्य पहेली 98 का परिणाम

परिणाम से पहले संबंधित संस्था के बारे में जानकारी


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास के उद्देश्य से 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने 'स्वायत्तशासी संस्था' के रूप में 'हिन्दी अकादमी' की स्थापना की। हिन्दी अकादमी की स्थापना दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हुई। अकादमी के उद्देश्य एवं लक्ष्य निम्न प्रकार हैं
दिल्ली के साहित्यिक और सांस्कृतिक विकास के संदर्भ में हिन्दी भाषा और साहित्य का संवर्धन तथा परिरक्षण करना।
दिल्ली के वयोवृद उच्च कोटि के हिन्दी साहित्यकारों और प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान।

हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कृतियों और बाल साहित्य के लिए प्रतिवर्ष सम्मान एवं पुरस्कार ।

• शलाका सम्मान
• साहित्यकार सम्मान
• काका हाथरसी सम्मान
• साहित्यिक कृति सम्मान
• विद्यालय हिन्दी शिक्षक सम्मान
• नवोदित लेखक पुरस्कार

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर उपविजेता हैं निरूपमा गुप्ता जी कृपया अपना एक चित्र भी इसी इ मेल पर भेजें जिससे अपने सभी सुधी पाठको के अवलोकनार्थ हिन्दी साहित्य पहेली ब्लाग पर डाला जा सके ।
निरूपमा गुप्ता जी कृपया अपना एक चित्र भी इसी इ मेल पर भेजें जिससे अपने सभी सुधी पाठको के अवलोकनार्थ हिन्दी साहित्य पहेली ब्लाग पर डाला जा सके


3-इस बार आधा सही उत्तर भेजकर विशेष विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी
3-प्रयास करने के लिये सुश्री साधना वैद्य जी का विशेष आभार



आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें







बुधवार, 12 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98 हल करने हेतु एक और संकेत

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली 98 का पहला संकेत जारी हुये भी 24 घंटे होने को आये है परन्तु अब तक किसी प्रतिभागी का सही उत्तर नहीं प्राप्त हो सका है ।


इसलिये आपको एक और संकेत देते हुये अवगत कराना है कि
इस संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास से संबंधित कार्यक्रमों को कार्यरूप में लाना था। इसके अन्तर्गत जहाँ दिल्ली के प्राचीन तथा वर्तमान उत्कृष्ट साहित्य का संकलन, परिरक्षण तथा उसके सृजन के लिए प्रोत्साहन का कार्य सम्मिलित है। वहीं राजभाषा के रूप में हिन्दी के नये स्वरूप से संबंधित शोध कार्य भी उसमें सम्मिलित हैं, जिससे कि दिल्ली के साहित्यकारों को उत्कृष्ट साहित्य के सृजन के लिए प्रोत्साहन मिले, पुराना और दुर्लभ साहित्य सुरक्षित किया जा सके और नये साहित्यकारों के लिए योजनाओं और दिशाओं की खोज की जा सके। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास के उद्देश्य से 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने 'स्वायत्तशासी संस्था' के रूप में इस संस्था की स्थापना की। इस संस्था की स्थापना दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हुई। मुख्यमंत्री, दिल्ली दो वर्ष की अवधि के लिए इस संस्था की संचालन-समिति गठित करती हैं। इस संस्था की संचालन-समिति के सदस्यों के रूप में 25 जाने-माने साहित्यकार, लेखक, विशेषज्ञ, पत्रकार आदि नामांकित किए जाते हैं। यह समिति सभी योजनाओं, प्रस्तावों और बजट का अनुमोदन करती है। इसके अतिरिक्त इस संस्था में समय-समय पर विभिन्न कार्यों के निष्पादन और निर्णय के लिए अलग-अलग समितियां बनायी जाती हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि योजनाओं के अंतर्गत लाभ उठाने वालों के चयन में निष्पक्षता रहे।


इस संस्था के द्वारा अपनी स्थापना के पांच वर्ष बाद पहला सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान दिया था । अब आपको इस संस्था का नाम और 1986-87 में इससे सर्वोच्च सम्मान प्राप्त साहित्यकार को पहचानना है।

अब प्रयास करिये सही उत्तर ढूंढने का और शीध्र प्रषित करिये तकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इस पहेली का विजेता न बनने पाये।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।


मंगलवार, 11 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98 हल करने हेतु एक और संकेत


हिन्दी साहित्य पहेली 98 को जारी हुये अब 24 घंटे से अधिक का समय हो चुका है परन्तु किसी भी पाठक का सही उत्तर नहीं प्राप्त हुआ है अतः इस पहेली को हल करने हेतु एक और संकेत आपको देते हुये अवगत कराना चाहेंगे कि इस संस्था का सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान है। अब प्रयास करिये सही उत्तर ढूंढने का और शीध्र प्रषित करिये तकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इस पहेली का विजेता न बनने पाये।

शुभकामनाओं सहित


सोमवार, 10 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली पहेली 98 संस्था को पहचानना है?

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
आज की साहित्य पहेली अत्यंत लोकप्रिय संस्था पर आधारित है

आज की हिन्दी साहित्य पहेली एक ऐसी संस्था पर आधारित है जिसने हास्य सम्राट काका हाथरसी के नाम पर अपने ऐक सम्मान का नाम ही रख दिया है। नीचे इस संस्था द्वारा दिये जाने वाले मुख्य सम्मानों का उल्लेख किया जा रहा है



आपको बस इसना बताना है कि इस संस्था का सर्वोच्च सम्मान सबसे पहले कब और किस रचनाकार को मिला था।

है ना आसान सा सवाल अगर आपको याद आ गया हो तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।


मंगलवार, 4 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 97के परिणाम और विजेता हें सुश्री ऋताशेखर मधु जी

इस बार की साहित्य पहेली में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही ।

इस पहेली में एक पुस्तक का आवरण पृष्ठ कुछ परिवर्तनों के साथ प्रकाशित करते हुये यह पूछा गया था कि आपको इन परिवर्तनों को पहचानना है।

आदरणीय प्रकाश गोविन्द जी ने पहले तो अपनी टिप्पणी के माध्यम से घोषणा भी कर दी कि इस बार की पहेली कठिन है परन्तु बाद में इस पहेली का सही उत्तर खोज कर प्रेषित किया जिसके लिये वे बधाई के पात्र हैं ।

सुक्षी मृदुला प्रधान जी ने यह घोषणा तो की कि यह उपन्यास प्रेमचंद जी का तो नहीं है परन्तु वे सही उत्तर नहीं तलाश कर सकीं ।

पहेली का सही हल सबसे पहले भेजने में सफल रहीं सुश्री ऋताशेखर मधु जी ।

इस पुस्तक का वास्तविक मुखपृष्ठ निम्नानुसार प्रकाशित है।


अब तो आप समझ ही गये होंगे कि पहेली में लपटें के लेखक का नाम परिवर्तित कर दिया गया था । यह उपन्यास आदणीय चित्रा मुद्गल द्वारा लिखित है।

1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर उपविजेता हैं श्री प्रकाश गोविन्द जी।

3-प्रयास करने के लिये सुश्री मृदुला प्रधान जी का विशेष आभार



आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें




सोमवार, 3 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 97 उपन्यास के परिवर्तन को पहचानना है?

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
आज की साहित्य पहेली अत्यंत लोकप्रिय कृति पर आधारित है
आपको पहचानना है कि यह कौन सी ऐतिहासिक कृति है

आज की पहेली साहित्य की एक प्रमुख हस्ती पर आधारित है । इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली एक उपन्यास के मुखपृष्ठ पर आधारित है । इस पहेली के साथ एक प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास का मुखपृष्ठ प्रकाशित किया गया है परन्तु इसमें एक खास परिवर्तन भी किया गया है।

इस परिवर्तन को पहचानना ही आज की पहेली है। तो गौर से देखिये इस उपन्यास की प्रतिकृति को और उस खास परिवर्तन को पहचान कर आज की पहेली के विजेता बनिये।


क्या आप पहचान गये हैं उस खास परिवर्तन को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।


मंगलवार, 28 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 96 परिणाम और पुनः विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी ।

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 96 में आपको ईसा से कोई तीन चार सौ साल पुरानी फारसी अनुवाद की प्रतिकृति को पहचानना था यह ऐतिहासिक प्रतिकृति भारतीय किताब 'पंचतंत्र' की है !

यह ऐतिहासिक प्रतिकृति भारतीय किताब 'पंचतंत्र' के फारसी अनुवाद की पुस्तक की है ! पंचतंत्र की कथाओं के फारसी अनुवादक का नाम इब्न अल मुकाफा है ! पंचतंत्र की कथाओं से संबंधित अन्य जानकारी आप गद्यकोश के इस लिंक पर जाकर पा सकते हैं ।

पंचतंत्र की कथाओं से संबंधित अन्य जानकारी गद्यकोश पर

पंचतंत्र की कथाओं से संबंधित अन्य जानकारी गद्यकोश पर

इस पहेली के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद्य जी का रहा अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद्य जी को ।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1-इस बार सही उत्तर भेजकर विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर उपविजेता हैं श्री प्रकाश गोविन्द जी।

आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये





सोमवार, 27 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 96 ऐतिहासिक कृति को पहचानो

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,

आज की साहित्य पहेली अत्यंत लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति पर आधारित है

यह एक लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति की फारसी अनुवाद की प्रतिकृति है आपको पहचानना है कि यह कौन सी ऐतिहासिक कृति है
इस महान लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति की प्रतिकृति प्रस्तुत हैं

संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि मूल रूप में यह कृति ईसा से कोई तीन चार सौ साल पुरानी है यहां इसकी जो फारसी अनुवाद की प्रतिकृति दिखलयी जा रही है वह भी लगभग पांच सौ वर्ष पुरानी है

इतने संकेतों के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस महान लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।
शुभकामनाओं सहित

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 95 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी जी।

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
सभी साथियों को ईद की हार्दिक शुभकामनायें !

इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 95 में आपको दी गयी नज़्म के रचनाकार को पहचानना था इस बेहतरीन गज़ल के रचनाकार का नाम है श्री क़तील शिफ़ाई जी

क़तील शिफाई जी 24 दिसंबर 1919 को हरीपुर हज़ारा में पैदा हुए थे । उनका असली नाम था औरंगज़ेब ख़ान था । पिता के असमय निधन की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर क़तील को खेल के सामान की अपनी दुकान शुरू करनी पड़ी, इस धंधे में बुरी तरह नाकाम रहने के बाद क़तील पहुंच गये रावलपिंडी और एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में उन्होंने साठ रूपये महीने की तनख्वाह पर काम करना शुरू किया । सन 1946 में नज़ीर अहमद ने उन्हें मशहूर पत्रिका ‘आदाब-ऐ-लतीफ़’ में उप संपादक बनाकर बुला लिया । ये पत्रिका सन 1936 से छप रही थी । क़तील की पहली ग़ज़ल लाहौर से निकलने वाले साप्ताहिक अख़बार ‘स्टार’ में छपी, जिसके संपादक थे क़मर जलालाबादी ।
जनवरी 1947 में क़तील को लाहौर के एक फिल्म प्रोड्यूसर ने गाने लिखने की दावत दी, उन्होंने जिस पहली फिल्म में गाने लिखे उसका नाम है ‘तेरी याद’ । क़तील ने कई पाकिस्तानी और कुछ हिंदुस्तानी फिल्मों में गीत लिखे । जगजीत सिंह-चित्रा सिंह और गुलाम अली ने उनकी कई ग़ज़लें और नज़्में गाई हैं । उनकी बीस से भी ज्यादा किताबें शाया हो चुकी हैं ।

इस पहेली के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद्य जी का रहा उसके उपरांत सुश्री ऋता शेखर मधु जी का उत्तर प्राप्त हुआ। अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद्य जी को ।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1-इस बार सही उत्तर भेजकर विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी
2- और सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता बनी हैं सुश्री ऋता शेखर मधु जी।

3- और सही उत्तर भेजकर द्वितीय उपविजेता पर विराजमान हुए हैं श्री अरुन शर्मा जी।
4- और आज की पहेली में एक नये विजेता जुडे हैं श्री प्रकाश गोविन्द जी उनका इस पहेली पर स्वागत है हांलांकि उनका उत्तर बिवम्ब से मिला परन्तु वे आज के विशिष्ठ विजेता हैं श्री प्रकाश गोविन्द जी।

आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये





सोमवार, 20 अगस्त 2012

हिंदी साहित्य पहेली 95 ईद मुबारक के लेखक को पहचानना है

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

हिन्दी साहित्य पहेली के सभी सुधी पाठकजनों को ईद की मुबारकबाद ।

आज की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको ईद के अवसर पर एक लोकप्रिय के लेखक द्वारा लिखी गयी निम्न रचना के रचनाकार को पहचानना है

ईद मुबारक


क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को ? तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


ईद की हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 94 परिणाम और विजेता हैं श्री अरुन शर्मा जी।

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 94 में आपको दिये गये कहानी के अंश के आधार पर कहानी और उसके रचनाकार को पहचानना था यह अंश था का अमृता प्रीतम की कहानी जंगली बूटी जिसे आप गद्यकोश पर पढ सकते है


गद्यकोश पर जंगली बूटी का लिंक है

इस प्रश्न के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर श्री अरुन शर्मा जी का रहा उसके उपरांत सुश्री साधना वैद जी,
का उत्तर प्राप्त हुआ। अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है श्री अरुन शर्मा जी को ।


और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


1-इस बार सही उत्तर भेज कर आज के विजेता पद पर विराजमान हुए हैं श्री अरुन शर्मा जी।

2- और सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी


आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 13 अगस्त 2012

हिंदी साहित्य पहेली 94 कहानी के लेखक और इस रचना को पहचानना है

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली में एक लोकप्रिय लेखिका की लोकप्रिय कहानी का एक अंश जिसके आधार पर आपको इस कहानी के लेखक और इस रचना को पहचानना है
कहानी का अंश

माँ-बाप की, बहन-भाइयों की, और खेतों-खलिहानों की बातें करते हुए मैंने उससे पूछा, ‘‘अंगूरी, तुम्हारे गांव में शादी कैसे होती है ?’’
‘‘लड़की छोटी-सी होती है। पाँच-सात साल की, जब वह किसी के पाँव पूज लेती है।’’
‘‘कैसे पूजती है पाँव ?’’
‘‘लड़की का बाप जाता है, फूलों की एक थाली ले जाता है, साथ में रुपये, और लड़के के आगे रख देता है।’’
‘‘यह तो एक तरह से बाप ने पाँव पूज लिये। लड़की ने कैसे पूजे ?’’
‘‘लड़की की तरफ़ से तो पूजे।’’
‘‘पर लड़की ने तो उसे देखा भी नहीं ?’’
‘‘लड़कियाँ नहीं देखतीं।’’
‘‘लड़कियाँ अपने होने वाला ख़ाविन्द को नहीं देखतीं।’’
‘‘ना।’’
‘‘कोई भी लड़की नहीं देखती ?’’
‘‘ना।’’
पहले तो अंगूरी ने ‘ना’ कर दी पर फिर कुछ सोच-सोचकर कहने लगी, ‘‘जो लड़कियाँ प्रेम करती हैं, वे देखती हैं।’’
‘‘तुम्हारे गाँव में लड़कियाँ प्रेम करती हैं ?’’
‘‘कोई-कोई।’’
‘‘जो प्रेम करती हैं, उनको पाप नहीं लगता ?’’ मुझे असल में अंगूरी की वह बात स्मरण हो आयी थी कि औरत को पढ़ने से पाप लगता है। इसलिए मैंने सोचा कि उस हिसाब से प्रेम करने से भी पाप लगता होगा।
‘‘पाप लगता है, बड़ा पाप लगता है।’’ अंगूरी ने जल्दी से कहा।
‘‘अगर पाप लगता है तो फिर वे क्यों प्रेम करती हैं ?’’
‘‘जे तो...बात यह होती है कि कोई आदमी जब किसी की छोकरी को कुछ खिला देता है तो वह उससे प्रेम करने लग जाती है।’’
‘‘कोई क्या खिला देता है उसको ?’’



विचार करिये कि क्या उत्तर दिया होगा अंगूरी ने इस सवाल का । अंगूरी द्वारा दिया गया उत्तर ही इस पहेली का हल है

क्या आप पहचान गये हैं उस रचना को ? तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 93 का परिणाम विजेता श्री रूप चंद शास्त्री जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको कितने पाकिस्तान उपन्यास के मुखपृष्ठ को परख कर इसमें अंकित परिवर्तन को इंगित करना था और आप सभी सुधी पाठकाजनों ने इसे बखूबी परखा भी । इस चित्र में जो परिवर्तन किया गया था वह था लेखक के नाम का! यह अमृता प्रीतम जी की कृति नहीं है ! 'कितने पाकिस्तान' उपन्यास श्रीयुत कमलेश्वर जी का लिखा हुआ है
इस उपन्यास का वास्तविक मुखपृष्ठ निम्न प्रकार है



और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार कितने पाकिस्तान उपन्यास के मुखपृष्ठ को परख कर सबसे पहले कमी इंगित की आदरणीय श्री रूप चंद शास्त्री जी ने जो इस पहेली के विजेता बने हैं


2-इस बार दूसरा सही उत्तर भेजकर उपविजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी



आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 6 अगस्त 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 93 उपन्यास के परिवर्तन को पहचानना है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों



आज की पहेली उर्दू साहित्य की एक प्रमुख हस्ती पर आधारित है । इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली एक उपन्यास के मुखपृष्ठ पर आधारित है । इस पहेली के साथ एक प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान ’का मुखपृष्ठ प्रकाशित किया गया है परन्तु इसमें एक खास परिवर्तन भी किया गया है।

इस परिवर्तन को पहचानना ही आज की पहेली है। तो गौर से देखिये ‘अमृता प्रीतम’ रचित इस उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान’को और उस खास परिवर्तन को पहचान कर आज की पहेली के विजेता बनिये।


क्या कहा उत्तर हेतु संकेत! अरे! संकेत तो उपर की पंक्तियों में पहले ही दिया जा चुका है।

क्या आप पहचान गये हैं उस रचना को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।



मंगलवार, 31 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 92 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 92 में आपको उर्दू साहित्य की उस प्रमुख महिला हस्ती को पहचानना था जिसने हिन्दी फिल्मों के लिये पटकथाऐं भी लिखीं और स्वयं फिल्मों में अभिनय भी किया था ।

इस प्रश्न सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर इस्मत चुग़ताई सुश्री साधना वैद जी का रहा ।

इस्मत चुग़ताई का जन्म: 21 जुलाई, 1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश)मे हुवा । उर्दू साहित्य की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर, 1991 को हुआ।

उर्दू साहित्य में सआदत हसन मंटो, इस्मत, कृष्ण चंदर और राजेन्दर सिंह बेदी को कहानी के चार स्तंभ माना जाता है। इनमें भी आलोचक मंटो और चुगताई को ऊंचे स्थानों पर रखते हैं क्योंकि इनकी लेखनी से निकलने वाली भाषा, पात्रों, मुद्दों और स्थितियों ने उर्दू साहित्य को नई पहचान और ताकत बक्सी।

उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है।

उनकी कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उनपर मुक़दमा चला। जो बाद में ख़ारिज हो गया। उन्होंने अनेक चलचित्रों की पटकथा लिखी और जुगनू में अभिनय भी किया। उनकी पहली फिल्म छेड़-छाड़ 1943 में आई थी। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म गर्म हवा (1973) को कई पुरस्कार मिले। उनकी वसीयत के अनुसार मुंबई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

इस प्रश्न सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद जी का रहा । अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।

सुश्री साधना वैद्य जी



आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 30 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 92 उर्दू साहित्य की प्रमुख हस्ती को पहचानना है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की पहेली उर्दू साहित्य की एक प्रमुख हस्ती पर आधारित है । इस पहेली में आपको उर्दू साहित्य की उस प्रमुख महिला हस्ती को पहचानना है जिसने हिन्दी फिल्मों के लिये पटकथाऐं भी लिखीं और स्वयं फिल्मों में अभिनय भी किया ।

हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता से पूर्व जब समूचा भारतवर्ष ‘अंग्रजो !भारत छोडो’ के नारे से गूंज रहा था इन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अंतःसंबंधो को लेकर एक ऐसी ऐतिहासिक कहानी लिखी जो इतनी विवादास्पद हुयी कि इसके लिये उनके विरूद्ध लाहौर के एक न्यायालय में मुकदमा भी चला जो अंततः खारिज हो गया।

उर्दू साहित्य की इस प्रमुख हस्ती के संबंध में सबसे आश्चर्यजनक बात यह हुयी कि इनके द्वारा लिखी गयी अपनी वसीयत के अनुरूप इन्हें बंबई की चंदनबाडी में दफनाने के स्थान पर उन्हे अग्नि के सुपुर्द किया गया था।



क्या आप पहचान गये हैं उस रचना को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।



मंगलवार, 24 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 91 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 91 में आपको महाकवि कालिदास के द्वारा रचित उस ग्रन्थ का नाम बताना था जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।


इस प्रश्न के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद जी का रहा उसके उपरांत श्री अरुन शर्मा जी, सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी का उत्तर प्राप्त हुआ। अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।


हिन्दी साहित्य के इतिहास की रचना में श्री शिव सिंह सेंगर का योगदान अद्वितीय है उन्होंने १८८३ ई. मेँ "शिव सिँह सरोज" की रचना की। इस ग्रन्थ में लगभग १००० कवियोँ कवियोँ का जीवन-चरित्र एवँ उनकी कृतियोँ के नमूने प्रस्तुत किये गये हैँ। परन्तु श्री शिव सिंह सेगर से डेढ सौ वर्ष पूर्व महाकवि कालिदास ने भी हजारा की रचना करते हुये एक ऐसा ही प्रयास किया था जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


1- इस बार सही उत्तर भेजकर विजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी

2-और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं श्री अरुन शर्मा जी।


3-और द्वितीय उपविजेता के बनी हैं
सुश्री ऋता शेखर  ‘मधु’ जी।




आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये