शनिवार, 29 सितंबर 2012

सम्मानित पाठकजनों की राय प्रतीक्षित


प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,

हिन्दी साहित्य की 101 वीं पहेली जारी होने में अब मात्र 36 घंटे ही बाकी है परन्तु पहेली के नियमों में बदलाव विषयक निम्न प्रस्ताव पर आप सभी सम्मानित पाठकजनों की राय अब तक अप्राप्त है

''प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अर्जित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... ''

फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में सुझाव आमंत्रित हैं कि विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता को कितने कितने योग्यतांक दिये जाने चाहिऐ. आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य इस पहेली के भविष्य निर्धारण हेतु आवश्यक हैं.अतः भी आप सभी सुधी पाठकजनों से अनुरोध है कि कृपया इस प्रस्ताव के संबंध में अपनी राय हिन्दी साहित्य की 101 वीं पहेली जारी होने से पहले टिप्पणी के रूप में अवश्य अंकित करें

आप अपनी टिप्पणी व्लाग 'अंतरजाल साहित्य योगदानकर्ता मंचपर भी अंकित कर सकते हैं




गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 परिणाम की घोषणा

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


इस शतकीय पहेली को नयी रूप सज्जा के साथ प्रस्तुत करने के दौरान इस व्लाग में मेरे द्वारा अनजाने कुछ ऐसी त्रुटि हो गयी थी जिसके चलते इस व्लाग पर पाठकों की टिप्पणी का कालम हाइलाइट नहीं हो रहा था जो संभवतः इस टेपम्लेट में अब दूर हो गयी हैं असुविधा के लिये खेद है


इस बार की पहेली में पूछे गये प्रश्नों के सही उत्तर इस प्रकार हैं

प्रश्न 1.हिन्दी साहित्य पहेली का प्रथम विजेता कौन था?
उत्तर: डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) जी

प्रश्न 2.हिन्दी साहित्य पहेली के उस पहले विजेता का नाम बताऐं जो इसकी अर्धशतकीय पहेली (50वीं पहेली) आने तक कभी विजेता अथवा उपविजेता नहीं रहे ?
उत्तर: हिन्दी साहित्य पहेली 54 विजेता श्री केवल राम जी

प्रश्न 3.एक ऐसी हिन्दी साहित्य पहेली भी पूछी गयी थी जिसके जारी होने से उसके विजेताओं की घोषणा होने तक पहेली में सम्मिलित साहित्यकार को सर्वोच्च हिन्दी सम्मान से सम्मानित किया गया था, आपको इस पहेली को पहचान कर इसके विजेता का नाम बताना है?
उत्तर:हिन्दी साहित्य पहेली 47 जिस महान हस्ती पर आधारित थी उन आदरणीय श्रीलाल जी शुक्ल को वर्ष 2009 का भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया है जो 20 सितम्बर 2011 को घोषित हुआ है हिंदी साहित्य पहेली 47 के विजेता है श्री दर्शन लाल बावेजा जी


प्रश्न 4.कौन सी हिन्दी साहित्य पहेली में पूछा गया प्रश्न पहेली संख्या 1 में पूछे गये प्रश्न की पुनरावृति था?
उत्तर: हिन्दी साहित्य पहेली 85 हिन्दी की पहली आत्मकथा का लेखक कौन है?



सबसे पहले सही उत्तर भेज कर इस शतकीय पहेली के विजेता हैं श्री दर्शन लाल बावेजा जी
शतकीय पहेली के विजेता श्री दर्शन लाल बावेजा जी को हार्दिक बधाई



इसके अतिरिक्त हिन्दी साहित्य पहेली के नियमों में बदलाव हेतु आप सभी पाठकजनों की अमूल्य राय आमंत्रित है कि प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अर्जित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... विस्तृत नियमों की चर्चा करते हुये फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में सुझाव आमंत्रित हैं कि विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता को कितने कितने योग्यतांक दिये जाने चाहिऐ. आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य इस पहेली के भविष्य निर्धारण हेतु आवश्यक हैं.अतः भी आप सभी सुधी पाठकजनों से अनुरोध है कि कृपया इस प्रस्ताव के संबंध में अपनी टिप्पणी अवश्य अंकित करें

आप अपनी टिप्पणी व्लाग 'अंतरजाल साहित्य योगदानकर्ता मंच 'पर भी अंकित कर सकते हैं

बुधवार, 26 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 परिणाम की घोषणा से पहले हमारे विजेताओं से मिलें

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


हिन्दी साहित्य पहेली 100 को जारी हुये 60 घंटे पूरे हो चुके हैं परन्तु अभी तक समुचित सही उत्तर प्राप्त नहीं होने से परिणाम की घोषणा नहीं की जा सकी है। अतः अब भी आपके पास उत्तर देने के लिये पर्याप्त अवसर है क्योंकि अपने सम्मानित प्रतिभागी और अनेक पहेलियों के विजेता आदरणीय श्री दर्शन लाल बावेजा जी के द्वारा दिये गये सुझाव को गंभीरता से लेते हुये के इस शतकीय पहेली के उपरांत हिन्दी साहित्य पहेली के नियमें में कुछ ऐसे बदलाव किये जाने का प्रस्ताव हैं जिसके आधार पर प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया जा सकेगा।




विस्तृत नियमों की चर्चा पुनः की जायेगी
फिलहाल इस संबंध में व्लाग के एक व्यवस्थापक के रूप में मेरा यह प्रस्ताव है कि प्रत्येक पहेली में सभी सुधी प्रतिभागियों को विजेता, उपविजेता तथा प्रतिभागकर्ता के रूप में पृथक पृथक योग्यतांक दिये जायें और इन योग्यतांकों को हर पहेली के परिणाम के उपरांत प्रतिभागी द्वारा अर्जित योग्यतांकों को जोड दिया जाये ।
एक निश्चित योग्यतांक अंकित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... विस्तृत नियमों की चर्चा पुनः की जायेगी फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य भी आमंत्रित है

इस पहेली के परिणाम की घोषणा से पूर्व सभी पहेली के विजेता और उप विजेताओें का ब्यौरा गणना करने के बाद हमारे विजेताओं से मिलें पृष्ठ में आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है जिसके आधार पर परिणाम का आकलन किया जायेगा।
यह आंकडे इस उद्देश्य से जारी किये जा रहे है कि आप सभी सुधी पाठक जन कृपया इन्हें भली भांति देख ले और इनकी तुलना भी कर लें यदि इसमें कोई त्रुटि पाते हैं तो कृपया अपनी आपत्ति की टिप्पणी अवश्य प्रेषित करे ताकि त्रुटि का निराकरण करते हुये उसके आधार पर परिणामो की घोषणा की जा सके ।

यदि आपकी कोई टिप्पणी नहीं प्राप्त होगी तो यह समझेंगे कि हमारी गणना सही है और इसी के आधार पर पहेली संख्या 100 का परिणाम घोषित कर दिया जायेगा। संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे परिणामेां को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ।




एक निश्चित योग्यतांक अंकित करने के बाद प्रत्येक प्रतिभागी हिन्दी साहित्य पहेली की ओर से विशेष रूप से पुरस्कृत किये जाने हेतु पात्र हों......... फिलहाल इस प्रस्ताव के संबंध में आप सभी प्रतिभागियों का मंतव्य आमंत्रित है

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेलीः 100 हल हेतु एक संकेत


प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


हिन्दी साहित्य पहेली 100 को घोषित हुये 24 घंट हो चुके हें परन्तु अब तक किसी विजेता का सही उत्तर नहीं प्राप्त हुआ है अतः इसके हल हेतु संकेत दिया जा रहा है


संकेत- हमारे विजेताओं से मिलो पेज पर इस साहित्य पहेली की 50 पहेलियेां का संकलित व्यौरा अंकित है उसमे प्रश्न संख्या 1 का हल छिपा है

प्रश्न संख्या 2 का हल पहेली संख्या 51 से 60 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है

प्रश्न संख्या 3 का हल पहेली संख्या 41 से 50 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है

प्रश्न संख्या 4 का हल पहेली संख्या 81 से 90 के बीच की पहेलियेां के परिणामेां में छिपा है


संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे परिणामेां को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।



शुभकामनाओं सहित

सोमवार, 24 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य की शतकीय पहेली 100 सभी सम्मानित प्रतिभागियों को बधाई

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


आज की हिन्दी साहित्य पहेली सौवीं पहेली है। ।
पहेलियों की यह शतकीय यात्रा इसमें प्रतिभाग करने वाले सम्मानित पाठकों और प्रतिभागियों के बगैर संभव नहीं हो सकती थी अतः आज की हिन्दी साहित्य पहेली की इस शतकीय यात्रा को इसमें प्रतिभाग करने वाले समस्त सम्मानित प्रतिभागियों को समर्पित करते हुये कुछ ऐसे सवाल हैं जो आपको इस समूची पहेली के पुनरावलोक हेतु बाध्य कर सकते है।

पुनः आप सभी सम्मानित पाठकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुये प्रस्तुत हैं इस पहेली के चार सवालः-

1.हिन्दी साहित्य पहेली का प्रथम विजेता कौन था?

2.हिन्दी साहित्य पहेली के उस पहले विजेता का नाम बताऐं जो इसकी अर्धशतकीय पहेली (50वीं पहेली) आने तक कभी विजेता अथवा उपविजेता नहीं रहे ?

3.एक ऐसी हिन्दी साहित्य पहेली भी पूछी गयी थी जिसके जारी होने से उसके विजेताओं की घोषणा होने तक पहेली में सम्मिलित साहित्यकार को सर्वोच्च हिन्दी सम्मान से सम्मानित किया गया था, आपको इस पहेली को पहचान कर इसके विजेता का नाम बताना है?

और एक आसान सा सवाल
4.कौन सी हिन्दी साहित्य पहेली में पूछा गया प्रश्न पहेली संख्या 1 में पूछे गये प्रश्न की पुनरावृति था?

इन प्रश्नों के हल हेतु इस पहेली में कोई संकेत नहीं, आपको बस इतना करना है कि पुरानी पहेलियों को टटोलना होगा और अपने उत्तर भेजने होंगे।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।

शुभकामनाओं सहित

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 99 के परिणाम और विजेता हें सुश्री साधना वैद्य जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

घोषित है हिन्दी सहित्य पहेली 99 का सही उत्तर




वैष्णव धर्म में प्रचलित इस अत्यंत लोकप्रिय गाँधीजी के प्रिय ऐतिहासिक भजन के रचयिता गुजरात के संत कवि नरसी मेहता जी है और इसका रचनाकाल 16 वीं शताब्दी का है ! और इसे गांधी जी ने अपनी प्रार्थना मे शामिल करके जनता के बीच प्रसिद्ध किया ॥

भजन
नरसी मेहता

नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूर का।


नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़ के समीपवर्ती "तलाजा" नामक ग्राम में हुआ था और उनके पिता कृष्णदामोदर वडनगर के नागरवंशी कुलीन ब्राह्मण थे। उनका अवसान हो जाने पर बाल्यकाल से ही नरसी को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा। एक कथा के अनुसार नरसिंह मेहता की भाभी आप को बहुत भला बुरा कहती थी|
एक समय नरसिंह और उनके भाई तीर्थ यात्रा पर जाते समय एक जंगल में से गुजर रहे थे| दोनों बहुत थक चुके थे और भूख भी बहुत लगी थी | कुछ दुरी पर एक गाँव दिखाई दिया | उस गाँव के कुछ लोग इन दोनों के पास आये और कहा की अगर आप कहें तो हम आप के लिये खाना ले आते हैं, पर लेकिन हम शुद्र (नीच ) जाती के हैं | नरसिंह जी ने उन्हें कहा की सभी परमेश्वर की संतान हैं आप तो हरि के जन हैं मुझे आप का दिया भोजन खाने में कोई आपत्ति नहीं | नरसिंह ने खुशी से भोजन खाया लेकिन उनके भाई ने भोजन खाने से इनकार कार दिया | चलने से पहले नरसिंह जब गाँव वालों का धन्यवाद करने के लिये उठे तो उन्हें कहीं भी गाँव नजर नहीं आया |

और अब चर्चा इस पहेली 99 के परिणाम पर

1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं सुश्री साधना वैद्य जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी

3- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर द्वितीय उपविजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी






4-सही जवाब देकर विजेता बनने का प्रयास करने के लिये सुश्री वन्दना जी, श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का विशेष आभार


आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें






सोमवार, 17 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 99 ऐतिहासिक कृति को पहचानो

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


आज की हिन्दी साहित्य पहेली वैष्णव धर्म पर आधारित है ।
वैष्णव धर्म में प्रचलित एक अत्यंत लोकप्रिय ऐतिहासिक भजन जो नीचे दिया जा रहा है के संबंध में आपको बताना है कि यह भजन किसका लिखा हुआ है

भजन
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि अत्यंत लोकप्रिय ऐतिहासिक कृति कोई तीन चार सौ साल पुरानी है

संकेत के बाद अब तक तो आप पहचान ही गये होंगे इस महान लोकप्रिय ऐतिहासिक भजन के लेखक को ।
तो फिर देर किस बात की तत्काल अपना उत्तर भेजें ताकि कोई और आपसे पहले पहेली का उत्तर भेजकर पहेली का विजेता न बन जाय।

शुभकामनाओं सहित

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98के परिणाम और विजेता हें श्री "अनंत" अरुन शर्मा

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
सभी साथियों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

इस पहेली का परिणाम


घोषित है हिन्दी सहित्य पहेली 98 का परिणाम

परिणाम से पहले संबंधित संस्था के बारे में जानकारी


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास के उद्देश्य से 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने 'स्वायत्तशासी संस्था' के रूप में 'हिन्दी अकादमी' की स्थापना की। हिन्दी अकादमी की स्थापना दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हुई। अकादमी के उद्देश्य एवं लक्ष्य निम्न प्रकार हैं
दिल्ली के साहित्यिक और सांस्कृतिक विकास के संदर्भ में हिन्दी भाषा और साहित्य का संवर्धन तथा परिरक्षण करना।
दिल्ली के वयोवृद उच्च कोटि के हिन्दी साहित्यकारों और प्रतिष्ठित विद्वानों का सम्मान।

हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कृतियों और बाल साहित्य के लिए प्रतिवर्ष सम्मान एवं पुरस्कार ।

• शलाका सम्मान
• साहित्यकार सम्मान
• काका हाथरसी सम्मान
• साहित्यिक कृति सम्मान
• विद्यालय हिन्दी शिक्षक सम्मान
• नवोदित लेखक पुरस्कार

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर उपविजेता हैं निरूपमा गुप्ता जी कृपया अपना एक चित्र भी इसी इ मेल पर भेजें जिससे अपने सभी सुधी पाठको के अवलोकनार्थ हिन्दी साहित्य पहेली ब्लाग पर डाला जा सके ।
निरूपमा गुप्ता जी कृपया अपना एक चित्र भी इसी इ मेल पर भेजें जिससे अपने सभी सुधी पाठको के अवलोकनार्थ हिन्दी साहित्य पहेली ब्लाग पर डाला जा सके


3-इस बार आधा सही उत्तर भेजकर विशेष विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी
3-प्रयास करने के लिये सुश्री साधना वैद्य जी का विशेष आभार



आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें







बुधवार, 12 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98 हल करने हेतु एक और संकेत

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,


इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली 98 का पहला संकेत जारी हुये भी 24 घंटे होने को आये है परन्तु अब तक किसी प्रतिभागी का सही उत्तर नहीं प्राप्त हो सका है ।


इसलिये आपको एक और संकेत देते हुये अवगत कराना है कि
इस संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास से संबंधित कार्यक्रमों को कार्यरूप में लाना था। इसके अन्तर्गत जहाँ दिल्ली के प्राचीन तथा वर्तमान उत्कृष्ट साहित्य का संकलन, परिरक्षण तथा उसके सृजन के लिए प्रोत्साहन का कार्य सम्मिलित है। वहीं राजभाषा के रूप में हिन्दी के नये स्वरूप से संबंधित शोध कार्य भी उसमें सम्मिलित हैं, जिससे कि दिल्ली के साहित्यकारों को उत्कृष्ट साहित्य के सृजन के लिए प्रोत्साहन मिले, पुराना और दुर्लभ साहित्य सुरक्षित किया जा सके और नये साहित्यकारों के लिए योजनाओं और दिशाओं की खोज की जा सके। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास के उद्देश्य से 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने 'स्वायत्तशासी संस्था' के रूप में इस संस्था की स्थापना की। इस संस्था की स्थापना दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हुई। मुख्यमंत्री, दिल्ली दो वर्ष की अवधि के लिए इस संस्था की संचालन-समिति गठित करती हैं। इस संस्था की संचालन-समिति के सदस्यों के रूप में 25 जाने-माने साहित्यकार, लेखक, विशेषज्ञ, पत्रकार आदि नामांकित किए जाते हैं। यह समिति सभी योजनाओं, प्रस्तावों और बजट का अनुमोदन करती है। इसके अतिरिक्त इस संस्था में समय-समय पर विभिन्न कार्यों के निष्पादन और निर्णय के लिए अलग-अलग समितियां बनायी जाती हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि योजनाओं के अंतर्गत लाभ उठाने वालों के चयन में निष्पक्षता रहे।


इस संस्था के द्वारा अपनी स्थापना के पांच वर्ष बाद पहला सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान दिया था । अब आपको इस संस्था का नाम और 1986-87 में इससे सर्वोच्च सम्मान प्राप्त साहित्यकार को पहचानना है।

अब प्रयास करिये सही उत्तर ढूंढने का और शीध्र प्रषित करिये तकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इस पहेली का विजेता न बनने पाये।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।


मंगलवार, 11 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 98 हल करने हेतु एक और संकेत


हिन्दी साहित्य पहेली 98 को जारी हुये अब 24 घंटे से अधिक का समय हो चुका है परन्तु किसी भी पाठक का सही उत्तर नहीं प्राप्त हुआ है अतः इस पहेली को हल करने हेतु एक और संकेत आपको देते हुये अवगत कराना चाहेंगे कि इस संस्था का सर्वोच्च सम्मान शलाका सम्मान है। अब प्रयास करिये सही उत्तर ढूंढने का और शीध्र प्रषित करिये तकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इस पहेली का विजेता न बनने पाये।

शुभकामनाओं सहित


सोमवार, 10 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली पहेली 98 संस्था को पहचानना है?

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
आज की साहित्य पहेली अत्यंत लोकप्रिय संस्था पर आधारित है

आज की हिन्दी साहित्य पहेली एक ऐसी संस्था पर आधारित है जिसने हास्य सम्राट काका हाथरसी के नाम पर अपने ऐक सम्मान का नाम ही रख दिया है। नीचे इस संस्था द्वारा दिये जाने वाले मुख्य सम्मानों का उल्लेख किया जा रहा है



आपको बस इसना बताना है कि इस संस्था का सर्वोच्च सम्मान सबसे पहले कब और किस रचनाकार को मिला था।

है ना आसान सा सवाल अगर आपको याद आ गया हो तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।


मंगलवार, 4 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 97के परिणाम और विजेता हें सुश्री ऋताशेखर मधु जी

इस बार की साहित्य पहेली में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही ।

इस पहेली में एक पुस्तक का आवरण पृष्ठ कुछ परिवर्तनों के साथ प्रकाशित करते हुये यह पूछा गया था कि आपको इन परिवर्तनों को पहचानना है।

आदरणीय प्रकाश गोविन्द जी ने पहले तो अपनी टिप्पणी के माध्यम से घोषणा भी कर दी कि इस बार की पहेली कठिन है परन्तु बाद में इस पहेली का सही उत्तर खोज कर प्रेषित किया जिसके लिये वे बधाई के पात्र हैं ।

सुक्षी मृदुला प्रधान जी ने यह घोषणा तो की कि यह उपन्यास प्रेमचंद जी का तो नहीं है परन्तु वे सही उत्तर नहीं तलाश कर सकीं ।

पहेली का सही हल सबसे पहले भेजने में सफल रहीं सुश्री ऋताशेखर मधु जी ।

इस पुस्तक का वास्तविक मुखपृष्ठ निम्नानुसार प्रकाशित है।


अब तो आप समझ ही गये होंगे कि पहेली में लपटें के लेखक का नाम परिवर्तित कर दिया गया था । यह उपन्यास आदणीय चित्रा मुद्गल द्वारा लिखित है।

1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी


2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर उपविजेता हैं श्री प्रकाश गोविन्द जी।

3-प्रयास करने के लिये सुश्री मृदुला प्रधान जी का विशेष आभार



आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें




सोमवार, 3 सितंबर 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 97 उपन्यास के परिवर्तन को पहचानना है?

प्रिय पाठकगण तथा चिट्ठाकारों,
आज की साहित्य पहेली अत्यंत लोकप्रिय कृति पर आधारित है
आपको पहचानना है कि यह कौन सी ऐतिहासिक कृति है

आज की पहेली साहित्य की एक प्रमुख हस्ती पर आधारित है । इस बार की हिन्दी साहित्य पहेली एक उपन्यास के मुखपृष्ठ पर आधारित है । इस पहेली के साथ एक प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास का मुखपृष्ठ प्रकाशित किया गया है परन्तु इसमें एक खास परिवर्तन भी किया गया है।

इस परिवर्तन को पहचानना ही आज की पहेली है। तो गौर से देखिये इस उपन्यास की प्रतिकृति को और उस खास परिवर्तन को पहचान कर आज की पहेली के विजेता बनिये।


क्या आप पहचान गये हैं उस खास परिवर्तन को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।