सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 53 श्रद्धांजलि---

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

आज की पहेली श्रद्धांजलि है उस महान साहित्यिक हस्ती को जिसकी आज 31 अक्टूबर को पुण्य तिथि है ।
इस महान लेखिका का चित्र उनकी आत्मकथा क्र मुखपृष्ठ पर प्रदर्शित है जिसमें थोडा सा संशोधन किया गया है । आत्मकथा पुस्तक का मुखपृष्ठ संलग्न चित्र में प्रदर्शित है



आज की पहेली में आपको इस पुस्तक के नाम और उसकी लेखिका को पहचानना है।
संकेत के रूप में इस लेखिका द्वारा नारी के विषय में लिखे शब्दों को उद्धृत किया जा रहा हैं जो इस प्रकार हैंः-


‘‘औरत की पाकीजगी का ताल्लुक, समाज ने कभी भी , औरत के मन की अवस्था से नहीं पहचाना, हमेशा उसके तन से जोड. दिया। इसी दर्द केा लेकर उनके द्वारा लिखित एक नावल के किरदार ऐनी के अल्फाज हैंः- मुहब्बत और वफाा ऐसी चीजें नहीं हैं , जो किसी बेगाना को छूते ही खत्म हो जाएं। हो सकता है पराए बदन से गुजर कर वह और मजबूत हो जाएं, जिस तरह इन्सान मुश्किलों से गुजर कर और मजबूत हो जाता है....’’
क्या आप पहचान गये हैं तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

पहेली संख्या-52 का परिणाम और विजेता श्री दर्शन लाल बावेजा जी

आदरणीय महोदय
आप सभी पाठकजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकानाऐं देते हुये हिन्दी साहित्य पहेली 52 के सही हल की घोषणा करते हैं जो है ‘साहिर लुधियानवी’ जीहाँ आप जिस विख्यात शायर को सहिर लुधियानवी के नाम से जानते हैं उसका असली नाम अब्दुल हायी था। इसके साथ ही विजेता की घोषणा करते हुये भी हमें अपार हर्ष है कि सर्वप्रथम सही हल भेज कर इस बार भी विजेता बने है डा0 दर्शन लाल जी बावेजा


तथा प्रथम उपविजेता है
साधना वैद जी


आप सभी प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाओं सहित आगामी साहित्य पहेली संख्या 53 में पूछे जाने वाले प्रश्न का संकेत देते हुये बताना चाहते हैं कि अगली पहेली भी ऐक श्रद्धांजलि पहेली ही होगी और उस पहेली के उत्तर का इस पहेली के उत्तर से बहुत गहरा नाता है। तो आने वाली पहेली तक इस पर कयास लगाइये और दीपावली के पटाके और फुलझडियों का आनन्द लीजिये।
आप सभी प्रतिभागियों को पुनः हार्दिक शुभकामनाये


दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं!!

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 52 श्रद्धांजलि

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
आज की पहेली श्रद्धांजलि है एक ऐसे शायर को जिसका देहान्त 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से हो गया। आज की पहेली में आपको उसे प्रसिद्ध शायर के नाम केा पहचानकर उसे लिखना है

1 पहले संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है कि:-
उनके जीवन की तल्ख़ियां (कटुता) इनके लिखे शेरों में झलकती है । परछाईयाँ नामक कविता में उन्होंने अपने प्रेमी जीवन की तरद्दुद का चित्रण किया है –
मैं फूल टाँक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े में
तुम्हारी आँख मुसर्रत से झुकती जाती है
न जाने आज मैं क्या बात कहने वाला हूँ
ज़बान खुश्क है आवाज़ रुकती जाती है

2 दूसरे संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है कि:- इस शायर को अपने जीवन में दो प्रेम असफलतायें मिलीं। पहला कॉलेज के दिनों में प्रसिद्ध लेखिका के साथ जब उसके घरवालों ने उनकी शादी न करने का फैसला ये सोचकर लिया कि एक तो मुस्लिम हैं दूसरे ग़रीबए और उनकी दूसरी मोहब्बत थी सुधा मल्होत्रा जिन्हे भी वह कभी न पा सके और आजीवन अविवाहित ही रहे


3 आखिरी तीसरे संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है किः- उक्त शेर को लिखने वाले शायर का नाम असली नाम अब्दुल हायी था परन्तु दुनिया उसे इस नाम से नहीं जानती थी।
आज की पहेली में आपको उपरोक्त शेर लिखने वाले शायर अब्दुल हायी का वह नाम बताना है जिसे सारी दुनिया ने जाना
क्या आप पहचान गये हैं उस शायर को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

पहेली संख्या-51 का परिणाम और विजेता सुश्री साधना वैद जी

प्रिय चिट्ठाकारों

आज की पहेली में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाये

यह महाकवि तुलसीदास द्वारा रचित ग्रन्थ " बरवै रामायण " का मुख पृष्ठ है !

पुस्तक का सही नाम है -- " बरवै रामायण "






सबसे पहले सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम विजेता है

साधना वैद जी



तथा प्रथम उपविजेता बने है श्री दर्शन लाल बावेजा जी



आप सभी प्रतिभागियों को पुनः हार्दिक शुभकामनाये

सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 51 के परिणाम की घोषणा से पूर्व साहित्य पहेली 49 के परिणाम मे संशोधन की घोषणा

हिन्दी साहित्य पहेली 49 के परिणाम में समयान्तरगत किसी भी प्रतियोगी का सही प्रतिउत्तर नहीं मिल सकने के कारण किसी को भी विजेता नहीं घोषित किया गया था। परन्तु परीक्षण करने पर यह पाया गया है कि इन्टरनेट की असावधानी के कारण डा0 दर्शन लाल बावेजा जी के द्वारा भेजा गया उत्तर परिणाम की घोषणा के उपरांत विलंब से प्रदर्शित हुआ।
यह हमारे लिये खेद का विषय है कि प्रतिभागियों को अनेक संकेत देने के बाद भी डा0 दर्शन लाल बावेजा जी के द्वारा भेजा गया उत्तर समय से प्रदर्शित नहीं हो सका जिस कारण यह घोषणा करनी पडी कि किसी भी प्रतिभागी ने सही उत्तर नहीं दिया है।

इससे पूर्व ही पहेली संख्या 50 जो विजेताओं और उपविजेताओं पर आधारित थी प्रदर्शित की जा चुकी थी आप में से किसी भी सुधी पाठक ने भी इस और कोई संकेत नहीं किया कि पहेली संख्या 49 का उत्तर संशोधित होना चाहिये जिसके परिणाम पर इस पहेली संख्या 49 के परिणाम का प्रभाव पड सकता था हमने इसी कारण पहेली संख्या 50 के परिणाम की घोषणा से पूर्व विजेता और उपविजेताओ के अंतरिम आंकडो वाली पोस्ट भी जारी की थी ताकि आप में से किसी की आपत्ति प्राप्त हो परन्तु ऐसा नहीं होने के कारण घोषित आंकडों के आधार पर ही परिणाम का आकलन करने का निर्णय लिया।


इसी कारण अब हमने पहेली संख्या 50 के परिणाम की घोषणा के उपरांत ही इस पहेली संख्या 49 के परिणाम को पुर्नघोषित करना उचित एवं न्याय संगत समझा ।


आपको यह बताते हुये हर्ष हो रहा है कि साहित्य पहेली संख्या 49 के लिये विजेता रहे हैं डा0 दर्शन लाल जी बावेजा परन्तु इस विलंब के लिये खेद व्यक्त करते हये हम डा0 दर्शन लाल जी से अपेक्षा करेंगे कि अपना स्नेह पूर्ववत देते रहेगे।
विजेता बने है श्री दर्शन लाल बावेजा जी





आप सभी पाठकजनों से भी अनुरोध है कि इस प्रकार की अनियमितता होने पर कृपया अपनी टिप्पणी के माध्यम से तत्काल अवश्य अवगत करायें।


आप सभी प्रतिभागियों को पुनः हार्दिक शुभकामनाओं सहित

हिन्दी साहित्य पहेली 51 सामने बना हुआ चित्र एक कृति का मुखपृष्ठ है।

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

,आज की पहेली हिन्दी साहित्य की एक महान हस्ती श्रीयुत तुलसीदास पर आधारित है
। सामने बना हुआ चित्र उस महान साहित्यकार के द्वारा लिखित एक कृति का मुखपृष्ठ है।



,आज की पहेली हिन्दी साहित्य की एक महान हस्ती श्रीयुत तुलसीदास पर आधारित है
है। इस चित्र में से प्रकाशक लेखक का नाम का नाम तो यथावत है परन्तु कृति के शीर्षक में थोडी सी छेडछाड की गयी है । अब देखना यह है कि आप इस छेडछाड को पहचान कर कृति का सही नाम बता पाते हैं या नहीं। आज की पहेली में आपको इस कृति के सही नाम को पहचानना है

अब तक तो आप पहचान ही गये होंगें इस लेखक को और उसकी रचना को ! फिर देर किस बात की जल्दी से अपना उत्तर भेजिये कहीं कोई और आपसे पहले उत्तर भेजकर विजेता न बन जाय।

बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 50 विजेता और उपविजेताओं की चर्चा का परिणाम

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

इस अर्द्धशतकीय सहित्य पहेली संख्या 50 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं
जो है श्रीयुत डा0 दर्शन लाल बावेजा जी और श्रीयुत सवाई सिंह राज पुरोहित ये
महारथी अपना उत्तर भेजने में थोडे से बिलंब के कारण चार चार बार उपविजेता बने?
और सही उत्तर सर्वप्रथम भेज कर विजेता बने हैंयह हमारे लिये खेद का विषय है कि आप सभी प्रतिभागियों को अनेक संकेत देने के बावजूद कोई भी प्रतिभागी उत्तर नहीं दे सका।
अफसोस कि अनेक प्रयासों के बाद भी यहाँ पर कोई नाम लिखना संभव न हो सका। अगली पहेली पूछे जान तक हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेलीः 50 परिणाम की घोषणा से पहले कुछ आंकडे

हिन्दी साहित्य पहेली 50 को घोषित हुये 24 घंट हो चुके हें सेा इस पहेली के परिणाम की घोषणा से पूर्व सभी पहेली के विजेता और उप विजेताओें का ब्यौरा गणना करने के बाद आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है जिसके आधार पर परिणाम का आकलन किया जायेगा।
यह आंकडे इस उद्देश्य से जारी किये जा रहे है कि आप सभी सुधी पाठक जन कृपया इन्हें भली भांति देख ले और इनकी तुलना भी कर लें यदि इसमें कोई त्रुटि पाते हैं तो कृपया अपनी आपत्ति की टिप्पणी अवश्य प्रेषित करे ताकि त्रुटि का निराकरण करते हुये उसके आधार पर परिणामो की घोषणा की जा सके ।
यदि आपकी कोई टिप्पणी नहीं प्राप्त होगी तो यह समझेंगे कि हमारी गणना सही है और इसी के आधार पर पहेली संख्या 50 का परिणाम घोषित कर दिया जायेगा।

तो ये रहे हिन्दी साहित्य पहेली के बीस विजेता और उपविजेतागण
नोटः- पहेली संख्या 2,4,9,10,14,26,27,30,40. (कुल नौ) में कोई भी विजेता नहीं रहा। शेष विजेता तथा उपविजेता प्रकार है

1 डा0 रूप चंद शास्त्री जी मयंक पहेली सं 1, 3, 6,11, 17,19, 21,24, (कुल आठ) के विजेता तथा
पहेली संख्या 15, 25 के उपविजेता हैं।

2 श्री सत्यम शिवम जी पहेली सं0 5,7, 13,15, 34,39, 43,44, (कुल आठ) के विजेता तथा
पहेली सं0 6,35,के उपविजेता

3 डा0 दर्शन लाल बावेजा जी पहेली सं0 16,20, 22,28, 32,35, 42,47,49 (कुल नौ) के विजेता तथा
पहेली सं0 6,11,34,48,के उपविजेता

4 यशवंत माथुर जी पहेली संख्या 23,25 ,29 (कुल तीन) के विजेता तथा
पहेली संख्या 19,21,के उप विजेता

5 अशोक कुमार शुक्ला पहेली संख्या 37,38 (कुल दो) के विजेता
तथा पहेली संख्या 36 के उप विजेता

6राणा प्रताप जी पहेली संख्या 12,18(कुल दो) के विजेता

7..सवाई सिंह राज पुरोहित 48(कुल एक) के विजेता पहेली संख्या 29,45,46,47 के उप विजेता

8.श्याम सुन्दर पहेली संख्या 41(कुल एक) के विजेता तथा पहेली संख्या 47 के उपविजेता

9.साधना वैद पहेली संख्या45(कुल एक) की विजेता तथा पहेली सं0 43, के उप विजेता

10.बन्दना गुप्ता पहेली संख्या 46(कुल एक) की विजेता

11. राज शिवम जी पहेली संख्या 8 (कुल एक) के विजेता

12.मनोज कुमार पहेली संख्या 31(कुल एक) के विजेता

13सुश्री रेखा पहेली संख्या 33(कुल एक) की विजेता

14.बंटी पहेली संख्या 36(कुल एक) के विजेता

15.ममता त्रिपाठी पहेली संख्या 18, 19 की उप विजेता

16.मुकेश मिश्रा पहेली संख्या 18 के उप विजेता

17.अतुल श्रीवास्तव पहेली संख्या 21 के उप विजेता

18.डा0 मीना अग्रवाल पहेली संख्या 23 के उप विजेता

19.योगेन्द्र पाल पहेली संख्या 24 के उप विजेता

20.पूनम गुप्ता पहेली संख्या 31 की उप विजेता

सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेलीः 50 चर्चा विजेता और उपविजेताओं की

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

जैसा कि हमने पहेले घोषणा की थी हिन्दी साहित्य की यह पचासवीं पहेलीं आधारित है इसके सुधी विजेतागणों पर। आपकी हिन्दी साहित्य पहेली में यह पचासवी पहेली है यानी अब तक कुल 49 पहेलियां पूछी जा चुकी है तो कुल कितने विजेता हुये? बस सीधा सा उत्तर बनता है कि 49 ! लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि कुल विजेताओं की संख्या है बीस ।


अरे भई यह कैसे संभव है ? यह संभव हुआ है इसलिये क्यांकि हमारे कुछ सक्रिय साथियों ने कई कई बार विजेता बनने का अवसर जो पाया है । आदरणीय डा0 दर्शनलाल बावेजा जी ने नौ पहेलियों में विजेता बनकर तथा आदरणीय डा0 रूप चंद्र शास्त्री जी मयंक , श्री सत्यम शिवम जी और में से तो प्रत्येक ने आठ आठ पहेलियों में विजेता बनकर कुल पच्चीस पहेलियों के विजेता पदों पर कब्जा जमा रखा है।
आपकी इतनी सक्रिय भागीदारी के बावजूद कुल नौ पहेलियों में विजेता धोषित ही नहीं हो सके क्योंकि किसी भी भागी दार ने सही उत्तर नहीं दिया ।

अब आते हैं आज की पहेली पर हमने आपको यह तो बता दिया कि आदरणीयणीय डा0 रूप चंद्र शास्त्री जी मयंक , श्री सत्यम शिवम जी और डा0 दर्शनलाल बावेजा जी ने आठ आठ बार विजेता बनने का नाम अपने खाते में अंकित कराया है लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी बार ये महारथी अपना उत्तर भेजने में थोडे से बिलंब के कारण उपविजेता बने?

इनके अलाव भी ऐसे कुछ नाम हैं जो हमेशा उपविजेता ही बन सके क्यांेंकि इनका उत्तर विलंब से प्राप्त हो सका था। जैसं सर्व श्री सबाई सिंह राजपुरोहित श्री यशवंत माथुर जी और इस साहित्यिक पहेली में योगदानकर्ता के रूप में शामिल होने से पहले स्वयं इन पंक्तियांे का लेखक भी।


अब आपको यह बताना है कि अब तक घोषित पहेलियों के परिणामों के आधार पर (पहेली संख्या 49 के परिणाम को मिलाते हुये) उपर लिखे गये किस के खाते में सबसे अधिक बार उपविजेता बनने का आंकडा अंकित है। बस आपको थोडी सी एक्सरसाज करनी है और नाम आपके सामने होगा तो फिर देर किस बात की जल्दी से जोड डालिये और हाँ अपना उत्तर भेजने भे बिलंब मत करियेगा नही तो विजेता की जगह उपविजेता कहलायेंगे।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 49 परिणाम और विजेता है

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
इस सहित्य पहेली 49 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्रीयुत तुलसीदास रचित ‘श्री कृष्णगीतावली’।


प्रिय पाठकजन
इस कृति कृष्णगीतावली’का चित्र परिणाम के साथ प्रकाशित किया जा रहा है।

यह रचना श्रीयुत गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक छोटी सी कृति है जिसमें कुल 61 पद हैं , जिसमें से गोपी उपालंभ से संबंधित राग केदारा में मात्र दो पद हैं पद संख्या 5 और पद संख्या 6 । इस बार की पहेली में इसी रचना का पद संख्या 6 आपके सम्मुख प्रस्तुत किया गया था जिसकी अंतिम पंक्ति में लिखे शब्द ‘’तुलसिदास’’ को छिपाकर मात्र ‘‘.........दास’’ लिखा गया था

।सम्पूर्ण पद इस प्रकार है

गोपी उपालंभ (राग केदारा)
पद संख्या(8)


अबहि उरहनो दै गई , बहुरौ फिरि आई ।
सुनु मैया! तेरी सौं करौं, याको टेव लरन की, सकुच बेंचि सी खाई।।1।। या ब्रज में लरिका धने, हौं ही अन्याई । मुँह लाएँ मूँडहिं चढ़ी, अंतहुँ अहिरिनि, तू सूधी करि पाई।।2।।
सुनि सुत की अति चातुरी जसुमति मुसुकाई ।
तुलसिदास ग्वालिनि ठगी, आयो न उतरू, कछु, कान्ह ठगौरी लाई।।3।


और सही उत्तर सर्वप्रथम भेज कर विजेता बने हैं



विजेता बने है श्री दर्शन लाल बावेजा जी




।यह हमारे लिये खेद का विषय है कि आप सभी प्रतिभागियों को अनेक संकेत देने के बावजूद अधिकतर प्रतिभागी गण
सही उत्तर नहीं दे सका। संभवतः हमारे संकेत कुछ स्पश्ट नहीं रहे होगे अन्यथा आप सुधी प्रतिभागीगण सही उत्तर तक अवश्य पहुँच जाते।

तथापि आप सभी प्रतिभागीगणों सर्वश्री अजय सिंह सुश्री आशाजी एवं श्री रविकर जी को प्रतिभाग के लिये हर्दिक शुभकामनाऐं।

और हाँ हमारी अगली पहेली संख्या अर्द्धशतकीय पहेली संख्या 50 होगी जो समर्पित होगी हमारे प्रतिभागीगणों को इसलिये इस पहेली के सभी प्रतिभागियों के संबंध में अभी से जानकारी एकत्रित करने का प्रयास करिये जिससे पहेली का उत्तर देना आपके लिये आसान हो सके।पुनः हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 49 का नया संकेत

हिन्दी साहित्य पहेली का पिछला इतिहास यह बताता है कि सामान्यतः पहेली जारी होने के बारह घंटों के अंदर सभी प्रतिभागियों के उत्तर प्राप्त हो जाते है। इस हिसाब से तो हिंन्दी साहित्य पहेली 49 को जारी हुये अब चौबीस घंटे व्यतीत हो चुके हैं और अनेक सम्मानित प्रतिभागियों के उत्तर भी प्राप्त हो चुके हैं साथ ही इस पहेली के नियमों में लिखा है कि परिणाम की घोषणा न्यूनतम 24 घंटे के बाद की जायेगी।

आपको यह बताते हुये अत्यंत खेद हो रहा है कि इस पहेली 49 के संबंध में प्राप्त कोई भी उत्तर सही नहीं है और हम नहीं चाहते कि हिन्दी साहित्य पहेली की इस आसान सी पहेली के लिये हम यह घोषणा करें कि
‘‘कोई भी उत्तर सही नहीं होने से कोई भी विजेता नहीं है।’’
वास्तव में हम अपने सहभागियों के मध्य कम से कम एक विजेता तो खोजना ही चाहते हैं,


इसलिये इस बार नियमों में थोडी सी शिथिलता प्रदान करते हुये इस पहेली के परिणामों की घोषणा के लिये एक अतिरिक्त दिवस और अतिरिक्त संकेत प्रदान किया जाता है। आप सब प्रतिभागियों द्वारा भेजे गये उत्तरों को हमने मॉडरेशन में छिपा कर रखा हुआ है , ऐसा इसलिये किया है ताकि आप इनके आधार पर गलत उत्तरों को पहचान कर ‘‘कौन बनेगा करोडपति ’’ की तर्ज पर गलत उत्तरों को डिलीट करने की लाइफ लाइन स्वतः ही पा जा
यें ।

आप सब सम्मानित प्रतिभागियों को धन्यवाद करते हुये हम सबको एक और संकेत दिये देते हैं और वह यह है कि इस पहेली का उत्तर श्री कृष्ण जी के सम्बद्ध में राग केदारा में लिखी रचनाओं में छिपा है । मेरे विचार से आप सबको पुनः विचार कर अपना उत्तर देना चाहिये कि किस महाकवि ने राग केदारा मे अधिकतम रचनायें लिखीं है?

वही सही उत्तर होगा जिसके लिये आप सबको पुनः शुभकामनायें।

अरे आप लोग रिक्त स्थान पर क्रमशः सूर , तुलसि, रामसुख, और कबीर रखकर तो देखिये , केवल एक नाम ही ऐसा ही है जो राग केदार की मात्राओ के पैमाने पर खरा उतरता है।

तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से सूर , तुलसि, रामसुख, और कबीर लगाकर पद को मात्राओं के पैमाने पर देख लें और हल भी तुरंत भेजें।

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 49 श्री कृष्ण के लिये ग्वालिनियों की उलाहना

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

आज की साहित्य पहेली ग्वालिनों की उलाहना पर आधारित है । इस उलाहना से संबंधित एक पद नीचे दिया जा रहा है जिसकी अंतिम पंक्ति में रचनाकार का आधा नाम लिखा है और आधा भाग छिपा दिया गया है आपको पहचानना है छिपाये गये भाग में अधूरे शब्दों को , और उन्हे अंकित कर पहेली का हल खोजना है ।

(राग केदारा)

अबहि उरहनो दै गई , बहुरौ फिरि आई ।
सुनु मैया! तेरी सौं करौं, याको टेव लरन की, सकुच बेंचि सी खाई।।1।।

या ब्रज में लरिका धने, हौं ही अन्याई ।
मुँह लाएँ मूँडहिं चढ़ी, अंतहुँ अहिरिनि, तू सूधी करि पाई।।2।।

सुनि सुत की अति चातुरी जसुमति मुसुकाई ।
...........दास ग्वालिनि ठगी, आयो न उतरू, कछु, कान्ह ठगौरी लाई।।3।


पहले संकेत के रूप में आपको बता दें कि सूरदास, तुलसिदास, रामसुखदास और कबीरदास में से एक नाम इस स्थान पर सही बैठेगा और वही नाम रचनाकार का नाम होगा।
दूसरे संकेत में यह भी बताये देते हैं कि दिये गये नामों में से केवल एक ही नाम रिक्त स्थान पर रखने पर राग केदारा की यह रचना मात्राओं के पैमाने पर खरी उतरेगी।
तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से सूर , तुलसि, रामसुख, और कबीर लगाकर पद को मात्राओं के पैमाने पर देख लें और हल भी तुरंत भेजें।
जल्दी से अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।