मंगलवार, 31 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 92 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 92 में आपको उर्दू साहित्य की उस प्रमुख महिला हस्ती को पहचानना था जिसने हिन्दी फिल्मों के लिये पटकथाऐं भी लिखीं और स्वयं फिल्मों में अभिनय भी किया था ।

इस प्रश्न सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर इस्मत चुग़ताई सुश्री साधना वैद जी का रहा ।

इस्मत चुग़ताई का जन्म: 21 जुलाई, 1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश)मे हुवा । उर्दू साहित्य की दुनिया में ‘इस्मत आपा’ के नाम से विख्यात इस लेखिका का निधन 24 अक्टूबर, 1991 को हुआ।

उर्दू साहित्य में सआदत हसन मंटो, इस्मत, कृष्ण चंदर और राजेन्दर सिंह बेदी को कहानी के चार स्तंभ माना जाता है। इनमें भी आलोचक मंटो और चुगताई को ऊंचे स्थानों पर रखते हैं क्योंकि इनकी लेखनी से निकलने वाली भाषा, पात्रों, मुद्दों और स्थितियों ने उर्दू साहित्य को नई पहचान और ताकत बक्सी।

उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया। उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है।

उनकी कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उनपर मुक़दमा चला। जो बाद में ख़ारिज हो गया। उन्होंने अनेक चलचित्रों की पटकथा लिखी और जुगनू में अभिनय भी किया। उनकी पहली फिल्म छेड़-छाड़ 1943 में आई थी। वे कुल 13 फिल्मों से जुड़ी रहीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म गर्म हवा (1973) को कई पुरस्कार मिले। उनकी वसीयत के अनुसार मुंबई के चन्दनबाड़ी में उन्हें अग्नि को समर्पित किया गया।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

इस प्रश्न सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद जी का रहा । अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।

सुश्री साधना वैद्य जी



आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 30 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 92 उर्दू साहित्य की प्रमुख हस्ती को पहचानना है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की पहेली उर्दू साहित्य की एक प्रमुख हस्ती पर आधारित है । इस पहेली में आपको उर्दू साहित्य की उस प्रमुख महिला हस्ती को पहचानना है जिसने हिन्दी फिल्मों के लिये पटकथाऐं भी लिखीं और स्वयं फिल्मों में अभिनय भी किया ।

हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता से पूर्व जब समूचा भारतवर्ष ‘अंग्रजो !भारत छोडो’ के नारे से गूंज रहा था इन्होंने मुस्लिम महिलाओं के अंतःसंबंधो को लेकर एक ऐसी ऐतिहासिक कहानी लिखी जो इतनी विवादास्पद हुयी कि इसके लिये उनके विरूद्ध लाहौर के एक न्यायालय में मुकदमा भी चला जो अंततः खारिज हो गया।

उर्दू साहित्य की इस प्रमुख हस्ती के संबंध में सबसे आश्चर्यजनक बात यह हुयी कि इनके द्वारा लिखी गयी अपनी वसीयत के अनुरूप इन्हें बंबई की चंदनबाडी में दफनाने के स्थान पर उन्हे अग्नि के सुपुर्द किया गया था।



क्या आप पहचान गये हैं उस रचना को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।



मंगलवार, 24 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 91 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम

हिन्दी साहित्य पहेली 91 में आपको महाकवि कालिदास के द्वारा रचित उस ग्रन्थ का नाम बताना था जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।


इस प्रश्न के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर सुश्री साधना वैद जी का रहा उसके उपरांत श्री अरुन शर्मा जी, सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी का उत्तर प्राप्त हुआ। अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।


हिन्दी साहित्य के इतिहास की रचना में श्री शिव सिंह सेंगर का योगदान अद्वितीय है उन्होंने १८८३ ई. मेँ "शिव सिँह सरोज" की रचना की। इस ग्रन्थ में लगभग १००० कवियोँ कवियोँ का जीवन-चरित्र एवँ उनकी कृतियोँ के नमूने प्रस्तुत किये गये हैँ। परन्तु श्री शिव सिंह सेगर से डेढ सौ वर्ष पूर्व महाकवि कालिदास ने भी हजारा की रचना करते हुये एक ऐसा ही प्रयास किया था जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर


1- इस बार सही उत्तर भेजकर विजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी

2-और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं श्री अरुन शर्मा जी।


3-और द्वितीय उपविजेता के बनी हैं
सुश्री ऋता शेखर  ‘मधु’ जी।




आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 23 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 91 महाकवि कालिदास द्वारा रचित ग्रन्थ का नाम पहचानना है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों 




आप सभी सुधी पाठकजन जानते है कि हिन्दी साहित्य के इतिहास की रचना में श्री शिव सिंह सेंगर का योगदान अद्वितीय है उन्होंने १८८३ ई. मेँ "शिव सिँह सरोज" की रचना की। इस ग्रन्थ में लगभग १००० कवियोँ कवियोँ का जीवन-चरित्र एवँ उनकी कृतियोँ के नमूने प्रस्तुत किये गये हैँ। परन्तु श्री शिव सिंह सेगर से डेढ सौ वर्ष पूर्व महाकवि कालिदास ने भी एक ऐसा ही प्रयास किया था जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।

आज की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको महाकवि कालिदास के द्वारा रचित उस ग्रन्थ का नाम बताना है जिसमें उन्नीसवीं शदी के कवियों लेखकों का परिचय और कृतित्व को वर्णित किया गया था ।


संकेत-1संकेत के रूप में आपको बताना चाहेंगे कि महाकवि कालिदास ने इसकी रचना 1718 ई में की थी।

संकेत-2दूसरे संकेत के रूप में इस रचना के कुछ संभावित नाम भी प्रस्तुत हैं


1.रत्कविगिराविलास

2.हजारा

3.विद्वन्मोदतरँगिणी

4.रागसागरोद्भव

5.रागकल्पद्रुम

6.श्रंगार संग्रह

7.सुन्दरी तिलक


क्या आप पहचान गये हैं उस रचना को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय। 



हार्दिक शुभकामनाओं सहित।



मंगलवार, 17 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 90 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम
हिन्दी साहित्य पहेली 90 में पुस्तक ‘मिला तेज से तेज ’ का चित्र प्रकाशित करते हुये आपसे यह पूछा गया था कि यह पुस्तक किसने लिखी है तथा इसमें किस साहित्यकार की जीवनी का समावेश है।
आपको इस रचना की लेखिका को पहचान कर यह बताना है कि यह किस महान लेखक की जीवनी है
इस प्रश्न के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो आंशिक रूप से सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर श्री सवाई सिंह राज पुरोहित जी का रहा उसके उपरांत आदरणीय रूपचंद जी शास्त्री जी का भी आशिर्वाद रूपी उत्तर प्राप्त हुआ परन्तु सर्वाधिक सटीक उत्तर भेजा है सुश्री साधना वैद जी जिन्होंने इस पुस्तक की जीवनी में सम्मिलित दोनो महापुरूषों के नामों का उल्लेख किया है अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।

सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान का विवाह अमृतराय जी से हुआ था। श्री अमृतराय प्रसिद्ध लेखक प्रेमचन्द के सुपुत्र हँ इनकी पत्नी सुधा चौहान जी ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'
सुभद्रा कुमारी चौहान तथा लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी, इनकी पुत्री, सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में लिखी है। इसे हंस प्रकाशन १८, न्याय मार्ग, इलाहाबाद दूरभाष २४२३०४ ने छापी है।

श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत है सुभद्रा कुमारी चौहान जी की एक लोकप्रिय कविता 'परिचय'

क्या कहते हो कुछ लिख दूँ मैं
ललित-कलित कविताएं।
चाहो तो चित्रित कर दूँ
जीवन की करुण कथाएं॥

सूना कवि-हृदय पड़ा है,
इसमें साहित्य नहीं है।
इस लुटे हुए जीवन में,
अब तो लालित्य नहीं है॥

मेरे प्राणों का सौदा,
करती अंतर की ज्वाला।
बेसुध-सी करती जाती,
क्षण-क्षण वियोग की हाला॥

नीरस-सा होता जाता,
जाने क्यों मेरा जीवन।
भूली-भूली सी फिरती,
लेकर यह खोया-सा मन॥

कैसे जीवन की प्याली टूटी,
मधु रहा न बाकी?
कैसे छुट गया अचानक
मेरा मतवाला साकी??

सुध में मेरे आते ही
मेरा छिप गया सुनहला सपना।
खो गया कहाँ पर जाने?
जीवन का वैभव अपना॥

क्यों कहते हो लिखने को,
पढ़ लो आँखों में सहृदय।
मेरी सब मौन व्यथाएं,
मेरी पीड़ा का परिचय॥

सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियों के विषय में उनकी सुपुत्री सुधा चौहान लिखती हैं - "सुभद्रा की कितनी ही कहानियों में उनके अपने जीवन प्रसंग या अनुभूति के मार्मिक टुकड़े, कथा का हल्का-सा आवरण ओढ़े आ गए हैं। वे कहानी कम, उनकी आत्मकथा की घटनाएँ जैसे ज्यादा लगते हैं। उन्हें संस्मरण भी कह सकते हैं।
और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार एकमात्र सही उत्तर भेजकर पहली बार विजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी


2-साथ ही हम आभारी है श्री सवाई सिंह राज पुरोहित जी और आदरणीय श्री रूप चंद जी शास्त्री जी के जिन्होंने आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये

श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी


आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 16 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 90 चित्र में छिपे हिन्दी लेखक को पहचानो

प्रिय पाठकगण
आज की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको नीचे दिये गये चित्र में छिपे हिन्दी के एक महान लेखक की जीवनी को पहचानना है।

संकेत के लिये बता दें कि एक महान हिन्दी लेखक की जीवनी है जिसे हिन्दी कथा जगत के महानायक की पुत्र वधू ने लिखा है आपको इस रचना की लेखिका को पहचान कर यह बताना है कि यह किस महान लेखक की जीवनी है ।

संकेत के लिये बता दें कि इस लेखिका की माता तथा इनके के पति भी हिन्दी के अग्रणी लेखको में सम्मिलित रहे हैं
संभवतः अब तक आप पहचान गये होंगे इस महान लेखक को तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 89 परिणाम और विजेता हैं श्री अरुन शर्मा जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
इस पहेली में जो तथ्य आपके साथ साझा किये थे वे रांची झारखण्ड के श्री मनीश कुमार जी के व्लाग एक शाम मेरे नाम से साभार ली गयी थी।

एक शाम मेरे नाम का लिंक यहां है ।
एक शाम मेरे नाम का लिंक यहां है

इस पहेली का परिणाम
इस सहित्य पहेली 98 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं कि ये किस्सा है महान शायर कतील शिफाई का

उस महान शायर का नाम था औरंगजेब खान और आने वाले कल यानी 11 जुलाई को उनकी पुण्य तिथि होती है।

क़तील शिफाई 24 दिसंबर 1919 को हरीपुर हज़ारा में पैदा हुए थे । उनका असली नाम था औरंगज़ेब ख़ान था । क़तील उनका तख़ल्‍लुस था, क़तील यानी वो जिसका क़त्‍ल हो चुका है । अपने उस्‍ताद हकीम मुहम्‍मद शिफ़ा के सम्‍मान में क़तील ने अपने नाम के साथ शिफ़ाई शब्‍द जोड़ लिया था । पिता के असमय निधन की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर क़तील को खेल के सामान की अपनी दुकान शुरू करनी पड़ी, इस धंधे में बुरी तरह नाकाम रहने के बाद क़तील पहुंच गये रावलपिंडी और एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में उन्‍होंने साठ रूपये महीने की तनख्‍वाह पर काम करना शुरू किया । सन 1946 में नज़ीर अहमद ने उन्‍हें मशहूर पत्रिका ‘आदाब-ऐ-लतीफ़’ में उप संपादक बनाकर बुला लिया । ये पत्रिका सन 1936 से छप रही थी । क़तील की पहली ग़ज़ल लाहौर से निकलने वाले साप्‍ताहिक अख़बार ‘स्‍टार’ में छपी, जिसके संपादक थे क़मर जलालाबादी ।

जनवरी 1947 में क़तील को लाहौर के एक फिल्‍म प्रोड्यूसर ने गाने लिखने की दावत दी, उन्‍होंने जिस पहली फिल्‍म में गाने लिखे उसका नाम है ‘तेरी याद’ । क़तील ने कई पाकिस्‍तानी और कुछ हिंदुस्‍तानी फिल्‍मों में गीत लिखे । जगजीत सिंह-चित्रा सिंह और गुलाम अली ने उनकी कई ग़ज़लें और नज़्में गाई हैं । उनकी बीस से भी ज्‍यादा किताबें शाया हो चुकी हैं ।

श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत है उनकी एक लोकप्रिय गजल

जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग

मिल भी लेते हैं गले से अपने मतलब के लिए
आ पड़े मुश्किल तो नज़रें भी चुरा लेते हैं लोग

है बजा उनकी शिकायत लेकिन इसका क्या इलाज
बिजलियाँ खुद अपने गुलशन पर गिरा लेते हैं लोग

हो खुशी भी उनको हासिल ये ज़रूरी तो नहीं
गम छुपाने के लिए भी मुस्कुरा लेते हैं लोग

ये भी देखा है कि जब आ जाये गैरत का मुकाम
अपनी सूली अपने काँधे पर उठा लेते हैं लोग

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार एकमात्र सही उत्तर भेजकर पहली बार विजेता बने है श्री अरुन शर्मा जी।


आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये श्री अरुन शर्मा जी का हार्दिक आभार और शुभकामनाये




सोमवार, 9 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 89 इस पहलवान शायर को पहचानना है?

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की हिन्दी साहित्य पहेली में आपको इस शायर को पहचानना है जिसके बारे में लिखा गया है
संकेत-1 और संकेत के रूप में यह भी बताना चाहेंगे कि दो दिन बाद हुम इस शायर को एक खास अवसर पर याद करने वाले है
बस अब और संकेत नहीं आपको इस शायर को पहचानना है

क्या आप पहचान गये हैं उस शायर को ?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 88 परिणाम और विजेता हैं सुश्री ऋता शेखर  ‘मधु’ जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पश्चिम वालों ने हर दिन किसी न किसी के नाम कर रखा है ठीक वैसे ही जैसे हमने अपने कैलेंडर में हर दिन किसी न किसी देवता के नाम कर रखा है। कोई न कोई व्रत या त्यौहार हर दिन मिल ही जायेगा। फिलहाल बात मां के दिन की।पहेली संख्या 88 में आपको मां पर आधारित एक बहुप्रचारित कथा के नोबल पुरस्कार से सम्मानित लेखक को पहचानना था

इस पहेली का परिणाम
इस सहित्य पहेली 88 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं कि ये किस्सा 1932 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी लेखक हावर्ड फास्टी के उपन्यास स्पार्टाकस का है

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार एकमात्र सही उत्तर भेजकर विजेता बनी हैं सुश्री ऋता शेखर  ‘मधु’ जी।



आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर लगातार इसमें सक्रिय रहकर भाग लेने के लिये सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी का हार्दिक आभार और शुभकामनाये


सोमवार, 2 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 88 इस नोबेल पुरस्कार विजेता को पहचानना है?


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की हिन्दी साहित्य पहेली एक बहुप्रचारित लोककथा पर आधारित है उस लोककथा का संक्षिप्त सार इस प्रकार है

एक कहानी याद आती है कि किस तरह एक प्रेमी अपनी प्रेमिका का दिल जीतने के लिए मां का कलेजा चीर कर भाग कर जाता है ताकि जल्दी से प्रेमिका के पास पहुंच कर उसे मां का कलेजा भेंट कर सके। प्रेमी हड़बड़ी में ठोकर खा कर गिरता है। मां के कलेजे से आवाज़ आती है – बेटे, चोट तो नहीं लगी। मां तो मां ही होती है।
तेरी हो या मेरी। अपनी मां तो जहान में सबसे बड़ी नियामत होती है और हर मां ममतामयी और त्यागमयी----! ।

आपको इस लोककथा के उद्गम और उसके लेखक को पहचानना है
 
संकेत-1 पहली नज़र में हर पाठक को यह लोककथा भारतीय पृष्ठभूमि पर किसी रचनाकार की लिखी हुयी जान पडती है परन्तु प्रथम संकेत के रूप में यह बताना चाहेंगे कि यह कथा किसी भारतीय की कल्पना नहीं थी।

संकेत-2 और दूसरे संकेत के रूप में यह भी बताना चाहेंगे कि इस कथा के लेखक को एक अरसा पहले नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है

बस अब और संकेत नहीं आपको इस कथा के लेखक को पहचानना है

क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को?
तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।