मंगलवार, 31 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 66 का परिणाम और विजेता है सुश्री ऋता शेखर मधु जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
इस साहित्य पहेली 63 के विजेता की घोषणा से पूर्व सही उत्तर जो है
कविता खादी के फूल में श्री हरिवंशराय बच्चन के सहलेखक थे- श्री सुमित्रानंदन पंत जी
और सबसे पहले सही उत्तर देकर इस बार विजेता बनी है सुश्री ऋता शेखर मधु जी

और दूसरे नंबर पर सही उत्तर देकर प्रथम उपविजेता बने हैं आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी

और तीसरे नंबर पर सही उत्तर देकर द्वितीय उपविजेता बने हैं आदरणीय श्री दिलबाग विर्क जी


आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को हार्दिक बधाई
तब तक आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को पुनः हार्दिक बधाई

सोमवार, 30 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 66 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पुण्य स्मरण

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुण्य स्मरण की पहेली है ।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंतिम दर्शन

महात्मा गांधी की निर्मम हत्या पर हरिवंश राय बच्चन ने निम्न कविता लिखी थी जो ‘खादी के फूल’ नामक संग्रह में प्रकाशित हुयी थी। इसका प्रकाशन इलाहाबाद की लीडर प्रेस से हुआ था। कविता इस प्रकार है।

था उचित कि गाँधी जी की निर्मम हत्या पर

था उचित कि गाँधी जी की निर्मम हत्या पर
तारे छिप जाते, काला हो जाता अंबर,
केवल कलंक अवशिष्ट चंद्रमा रह जाता,
कुछ और नज़ारा
था जब ऊपर
गई नज़र।

अंबर में एक प्रतीक्षा को कौतूहल था,
तारों का आनन पहले से भी उज्ज्वल था,
वे पंथ किसी का जैसे ज्योतित करते हों,
नभ वात किसी के
स्वागत में
फिर चंचल था।

उस महाशोक में भी मन में अभिमान हुआ,
धरती के ऊपर कुछ ऐसा बलिदान हुआ,
प्रतिफलित हुआ धरणी के तप से कुछ ऐसा,
जिसका अमरों
के आँगन में
सम्मान हुआ।

अवनी गौरव से अंकित हों नभ के लिखे,
क्या लिए देवताओं ने ही यश के ठेके,
अवतार स्वर्ग का ही पृथ्वी ने जाना है,
पृथ्वी का अभ्युत्थान
स्वर्ग भी तो
देखे!


आज की पहेली में आपको डा0 हरिवंश राय बच्चन की उक्त कविता-संग्रह ‘खादी के फूल’ के सहलेखक के नाम को बताना है।

है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की

क्या आप पहचान गये हैं उस प्रगतिशील छायावादी कवि को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 65 का परिणाम और विजेता हैसुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली में बहुत आसान सा सवाल पूछने के बाद भी प्राप्त हुये उत्तरों की संख्या उत्साहजनक नहीं रही। बहरहाल इस पहेली का उत्तर है आठवे दशक की चर्चित कथाकार सुश्री चित्रा मुद्गल ।
हिन्दी की लोकप्रिय लेखिका चित्रा मुद्गल जी का जन्म 10 दिसम्बर सन् 1944 को सामंती मुल्यों की दारज में बंद गाँव निहालीखेड़ा जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) में एक ठाकुर परिवार में हुआ शाब्दिक अर्थों में यदि जन्म स्थान बताया जाय तो वह मद्रास (अब चेन्नई) है क्योकि चित्रा के जन्म के समय उनके पिता की तैनाती मद्रास में थी और वे परिवार सहित उस समय मद्रास में ही थे। आपके पिता जनपद उन्नाव के निहालीखेड़ा निवासी संभ्रांत क्षत्रिय थे तथा भारतीय जल सेना में अधिकारी थे। दि टाइम्स आफ इन्डिया समूह के यशस्वी पत्र नवभारत टाइम्स के सम्पादक श्री अवध नारायण मुद्गल के साथ इनका विवाह हुआ।


और अब आते हैं परिणाम पर
इस बार सर्वप्रथम सही उत्तर देकर विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी


और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं आदरणीय डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी


सही उत्तर देने के दूसरे क्रम पर है आदरणीय दर्शन लाल जी बावेजा जो इस पहेली के दूसरे उप विजेता हैं



सुश्री साधना वैद्य जी , डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी तथा श्री दर्शन लाल बावेजा जी
आप सभी को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।  
                     

सोमवार, 23 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 65 लेखक को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


पिछले हफ्ते एक थोडी सी कठिन पहेली संख्या 64 के उपरांत आज फिर प्रस्तुत है अपेक्षाकृत सरल साहित्य पहेली आज की पहेली में फिर से इस पुस्तक के मुख पृष्ठ में लेखक के नाम को छिपा दिया गया है आपको आपको इस मुख पृष्ठ को देखकर लेखक का नाम पहचानना है।


संकेत-1
आज की पहेली में पुस्तक का शीर्षक ही उसका संकेत है अतः कोई अतिरिक्त संकेत न देते हुये आपको इस पुस्तक के लेखक को पहचानना है।
है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस प्रगतिशील कवि को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

हिंदी साहित्य पहेली 64 का परिणाम और विजेता हैं डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी

इस साहित्य पहेली 64 के विजेता की घोषणा से पूर्व सही उत्तर जो है
पत्रिका "चाँद" जो 1920 से 1928 तक प्रकशित हुयी ओर इसके संपादक थे श्री रामरिख सहगल जी और इसकी संचालिका थीं उनकी पत्नी श्रीमती विद्यावती सहगल जी

और अब बात परिणामों की जो पिछली बार के परिणामों के ठीक उलट है यानी पिछली पहेली के उपविजेता इस बार विजेता हैं जबकि पिछली विजेता इस बार उपविजेता बनी है
पहचान गये ना इस बार के विजेता को -----------सबसे पहले सही उत्तर देकर विजेता बने हैं आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी

और दूसरे नंबर पर सही उत्तर देकर प्रथम उपविजेता बनी है सुश्री ऋता शेखर मधु जी

आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को हार्दिक बधाई

अगली पहेली तक के लिये आप सबको नमस्कार और हार्दिक शुभकामनाऐं।

सोमवार, 16 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 64 पत्रिका को पहचानो

हिन्दी साहित्य पहेली 63 के संबंध में आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी का यह प्रेक्षण (आव्जरवेशन) रहा है कि इतनी आसान पहेली नहीं पूछनी चाहिये सो आदरणीय शास्त्री मयंक जी के निर्देशों का अनुसरण करते हुये अपेक्षाकृत कुछ कठिन प्रश्न पूछा जा रहा है देखना है कि आप में से कौन सबसे पहले इस प्रश्न का उत्तर भांप कर भेजता है।
बीसवीं शताब्दी में हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता के दस शिखरों में स्थान पाने वाली इस साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन 1920 में प्रारंभ हुआ था और यह पत्रिका 1928 तक लगातार प्रकाशित होती रही आपको इस पत्रिका को पहचानना है।


पहले संकेत के रूप में बताना चाहूंगा कि इस पत्रिका के सोलह विशेषांक प्रकाशित हुये ।

दूसरे संकेत के रूप में यह अवगत कराना चाहूंगा कि इस पत्रिका के प्रमुख लेखकों में श्री रामनेश त्रिपाठी, श्रीमती महादेवी वर्मा, श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान, तथा श्री सियाराम सरण गुप्त सम्मिलित थे।

तीसरे संकेत के रूप में यह अवगत कराना चाहूंगा कि इस पत्रिका के प्रमुख विशेषांको में विधवाअंक , अछूतांक, सती अंक , वेश्या अंक, तथा मारवाणी अंक विशेष चर्चित रहे है।

चौथे और अंतिम संकेत के रूप में यह अवगत कराना चाहूंगा कि इस पत्रिका के संपादक और इसकी संचालिका पति पत्नी थे जिनके नाम थे .......... नहीं....... नहीं नाम ...... का संकेत नहीं अन्यथा यह पहेली भी बहुत ही आसान हो जायेगी।


वैसे अब तक शायद आप पहचान गये होंगे इस पत्रिका को तो तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।


हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

हिंदी साहित्य पहेली 63 का परिणाम और विजेता है सुश्री ऋता शेखर मधु जी

इस साहित्य पहेली 63 के विजेता की घोषणा से पूर्व सही उत्तर जो है
श्रीयुत धर्मवीर भारती जी कनुप्रिया उनकी प्रसिद्ध रचना है

और सबसे पहले सही उत्तर देकर लगातार तीसरी बार विजेता बनी है सुश्री ऋता शेखर मधु जी

और दूसरे नंबर पर सही उत्तर देकर प्रथम उपविजेता बने हैं आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी

और तीसरे नंबर पर सही उत्तर देकर द्वितीय उपविजेता बने हैं आदरणीय श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी


सुश्री साधना वैद्य जी ने भी सही उत्तर भेजा है परन्तु थोड़े से बिलम्ब के साथ है

आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को हार्दिक बधाई के साथ साथ एक सलाह भी देनी है और वह यह है कि इस हिन्दी साहित्य पहेली 63 के संबंध में आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी का यह प्रेक्षण (आव्जरवेशन) रहा है कि इतनी आसान पहेली नहीं पूछनी चाहिये सो आदरणीय शास्त्री मयंक जी के निर्देशों का अनुसरण करते हुये अगली बार अपेक्षाकृत कुछ कठिन पहेली पूछी जायेगी सो अभी से तैयारी शुरू कर दीजिये ।
तब तक आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को पुनः हार्दिक बधाई

सोमवार, 9 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 63 लेखक को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


आज की पहेली में इस पुस्तक के मुख पृष्ठ में लेखक के नाम को छिपा दिया गया है आपको आपको इस मुख पृष्ठ को देखकर लेखक का नाम पहचानना है।

संकेत-1
आज की पहेली में पुस्तक का शीर्षक ही उसका संकेत है अतः कोई अतिरिक्त संकेत न देते हुये आपको इस पुस्तक के लेखक को पहचानना है।
है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस प्रगतिशील कवि को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली ६२ का परिणाम और विजेता है सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों


साहित्य पहेली संख्या 62 के महान लेखक का नाम है 'श्री उपेन्द्रनाथ अश्क जी ' ! जिनके संबंध में आदरणीय दर्शन लाल जी वावेजा द्वारा अपने उत्तर में यह विस्तृत जानकारी भी दी है कि
'श्री उपेन्द्रनाथ अश्क'जी (१९१०- १९ जनवरी १९९६) हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार व उपन्यासकार थे। 'अश्क' का जन्म जालन्धर, पंजाब में हुआ। जालन्धर में प्रारम्भिक शिक्षा लेते समय ११ वर्ष की आयु से ही वे पंजाबी में तुकबंदियाँ करने लगे थे। कला स्नातक होने के बाद उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू किया तथा विधि की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की। अश्क जी ने अपना साहित्यिक जीवन उर्दू लेखक के रूप में शुरू किया था किन्तु बाद में वे हिन्दी के लेखक के रूप में ही जाने गए। १९३२ में मुंशी प्रेमचन्द्र की सलाह पर उन्होंने हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में उनका दूसरा कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' प्रकाशित हुआ जिसकी भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने लिखी।


और अब परिणाम कि बारी ---

साहित्य पहेली संख्या 61 और 62 के परिणामों में भी एक अजब का संयोग है कि दोनो मे विजेता तथा उपविजेता के नाम समान हैं अंतर है तो बस इतना कि साहित्य पहेली संख्या 61 की उपविजेता इस पहेली संख्या 62 की विजेता है तथा पूर्व की विजेता इस बार की उपविजेता रही हैं। -----
सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी
सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी

और आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद जी
साधना वैद्य जी
थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर द्वितीय उप विजेता के पद पर विराजमान हुये हैं सर्व श्री आदरणीय दर्शन लाल जी वावेजाश्री दर्शन लाल बावेजा जी
सुश्री ऋता शेखर‘मधु जी, सुश्री साधना वैद जी, और आदरणीय दर्शन लाल जी वावेजा, आप सभी को 2012 की पहली हिंदी साहित्य पहेली का विजेता तथा उपविजेता तथा द्वितीय उप विजेता घोषित होने पर हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ढेरों बधाइयाँ।   
                     



वर्ष 2012 आपके लिये इसी प्रकार नयी नयी सफलता के द्वार खोले इसी कामना के साथ
हिन्दी साहित्य पहेली परिवार की ओर से पुनः ढेरेां बधाइयां

सोमवार, 2 जनवरी 2012

साहित्य पहेली संख्या- ६२ रचनाकार को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली में आपको हिन्दी साहित्य के उस नाम को पहचानना है जिसका जन्म 14 दिसम्बर 2011 से ठीक 101 वर्ष पूर्व हुआ था और जिसका क्षेत्र अध्ययन, पत्रकारिता, वकालत, रेडियो, फिल्म, रंगमंच और प्रकाशन का रहा।

आम भारतीय नागरिक उनकर रचनाओं में प्रमुख पात्र रहे । उनकी एक लोकप्रिय कहानी ‘बैंगन का पौधा’ में एक आम भारतीय व्यवस्था का सटीक निरूपण है जिसमें एक सरकारी अफसर के बंगले के आहाते में लगी सब्जियों को ठेके पर उठाने के लिये नियुक्त ठेकेदार द्वारा बगीचे की रखवाली के लिये एक अधेड को चौकीदार रखा गया है और के अंततः एक सुबह वह बूढा चौकीदार उस सरकारी अफसर के बारामदे में ही सब्जियेां को बचाते बचाते ठंड से अकडकर मर जाता है।


देखें इस कहानी में उन्होंने जीवन का मनोविज्ञान कितने सरल शब्दों में लिखा हैः-

‘‘उस बूढे को मैने देखा था। सुबह ही देखा था। वह बैंगन के पौधे छांट रहा था और डाइनिंग हाल से घर को आते हुये मैने उससे पूछा भी था कि वाह ऐसा क्यों कर रहा है। उसने बताया था कि बैंगन का पौधा दो बार फल देता है। एक बार छांट दिया जाय ता और भी बढता फूलता है। मैने उसे सूखे पल्लव हीन बैंगन के पौधों पर निगाह दोडाई थीं । एक पौणे पर एक सूखा सिकुडा मुरझााया पीला बैंगन लटक रहा था वहां से हटकर मेरी दृष्टि उस बूडे पर गयी उसकी उमर न जाने कितनी थी किन्तु वह बेहद बूडा दिखलाई दिया था। यद्यपि सर्दी से बचने के लिये उसके पास खेसी थी तो भी उसके लकडी से पतले पीले हाथ बांस सी पतली टांगे सूखा पिचका चेहरा आंखों के गढे साफ दिखाई देते थे । तब एक अजीब सा खयाल मेरे मन में दौड गया थाः बैगन का पौधाा जब सूख जाता है तो छांटने पर ओर भी ज्यादा बढते हैं। मानव को उस अदृष्य सृष्टा ने ऐसा क्यों नही बनाया? किन्तु तभी अन्तर में किसी ने कहा कि मानव की बेलि भी तो अमर है- पुरूष -स्त्रियां , बच्चे- बूडे, इसके फल- फूल ,पत्ते और शाखायें हैं। मृत्यु इसकी कैंची है। जब वे सड-सूख जाते हैं तो वह कैंची उन्हें काट देती है ओर उनके स्थान पर नित नूतन, हरे- भरे, जीवन के उल्लास से किलकारियां मारते, हंसते, नाचते, गाते हुये पत्ते, फूल, फल लगने लग जाते हैं।’’


हिन्दी का यह महान लेखक अपने पूर्णकालिक नाटक के स्थान पर अपने ऐकांकी के लेखक के रूप में ज्यादा लोकप्रिय हुये।

अब इतने संकेत एक साथ पाने के बाद आप पहचान ही गये होंगे इस महान हिंदी व्यंग्यकार को।
अरे नहीं एक और संकेत! अब तो देर न कीजिये और अपना उत्तर तुरंत भेजिये ।
कहीं कोई और प्रतिभागी आपसे पहले उत्तर भेजकर इस पहेली का विजेता न बन जाय।
शुभकामनाओं सहित।