श्रीयुत धर्मवीर भारती जी कनुप्रिया उनकी प्रसिद्ध रचना है
और सबसे पहले सही उत्तर देकर लगातार तीसरी बार विजेता बनी है सुश्री ऋता शेखर मधु जी
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और दूसरे नंबर पर सही उत्तर देकर प्रथम उपविजेता बने हैं आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी
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और तीसरे नंबर पर सही उत्तर देकर द्वितीय उपविजेता बने हैं आदरणीय श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी
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सुश्री साधना वैद्य जी ने भी सही उत्तर भेजा है परन्तु थोड़े से बिलम्ब के साथ है
आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को हार्दिक बधाई के साथ साथ एक सलाह भी देनी है और वह यह है कि इस हिन्दी साहित्य पहेली 63 के संबंध में आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जी का यह प्रेक्षण (आव्जरवेशन) रहा है कि इतनी आसान पहेली नहीं पूछनी चाहिये सो आदरणीय शास्त्री मयंक जी के निर्देशों का अनुसरण करते हुये अगली बार अपेक्षाकृत कुछ कठिन पहेली पूछी जायेगी सो अभी से तैयारी शुरू कर दीजिये ।
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तब तक आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को पुनः हार्दिक बधाई
आदरणीय अशोक जी ! वैसे तो विजेता बनें या उपविजेता क्या अंतर पड़ता है लेकिन जब आप विजेताओं के नाम के आगे उल्लेख कर ही रहे हैं तो आपका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ कि पहेली संख्या ६१ का विजेता आपने ही मुझे घोषित किया था ! यदि कोई भूल रह गयी है तो कृपया उसे सुधार लें ! सधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुश्री ऋता शेखर मधु जी /आदरणीय डा0 रूपचंद जी शास्त्री मयंक जीको बहुत बहुत बधाई!
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