प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
वैष्णव धर्म में प्रचलित इस अत्यंत लोकप्रिय गाँधीजी के प्रिय ऐतिहासिक भजन के रचयिता गुजरात के संत कवि नरसी मेहता जी है और इसका रचनाकाल 16 वीं शताब्दी का है ! और इसे गांधी जी ने अपनी प्रार्थना मे शामिल करके जनता के बीच प्रसिद्ध किया ॥
नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूर का।
नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़ के समीपवर्ती "तलाजा" नामक ग्राम में हुआ था और उनके पिता कृष्णदामोदर वडनगर के नागरवंशी कुलीन ब्राह्मण थे। उनका अवसान हो जाने पर बाल्यकाल से ही नरसी को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा। एक कथा के अनुसार नरसिंह मेहता की भाभी आप को बहुत भला बुरा कहती थी|
एक समय नरसिंह और उनके भाई तीर्थ यात्रा पर जाते समय एक जंगल में से गुजर रहे थे| दोनों बहुत थक चुके थे और भूख भी बहुत लगी थी | कुछ दुरी पर एक गाँव दिखाई दिया | उस गाँव के कुछ लोग इन दोनों के पास आये और कहा की अगर आप कहें तो हम आप के लिये खाना ले आते हैं, पर लेकिन हम शुद्र (नीच ) जाती के हैं | नरसिंह जी ने उन्हें कहा की सभी परमेश्वर की संतान हैं आप तो हरि के जन हैं मुझे आप का दिया भोजन खाने में कोई आपत्ति नहीं | नरसिंह ने खुशी से भोजन खाया लेकिन उनके भाई ने भोजन खाने से इनकार कार दिया | चलने से पहले नरसिंह जब गाँव वालों का धन्यवाद करने के लिये उठे तो उन्हें कहीं भी गाँव नजर नहीं आया |
1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं सुश्री साधना वैद्य जी
2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी
3- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर द्वितीय उपविजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी
4-सही जवाब देकर विजेता बनने का प्रयास करने के लिये सुश्री वन्दना जी, श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का विशेष आभार
आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें
घोषित है हिन्दी सहित्य पहेली 99 का सही उत्तर
वैष्णव धर्म में प्रचलित इस अत्यंत लोकप्रिय गाँधीजी के प्रिय ऐतिहासिक भजन के रचयिता गुजरात के संत कवि नरसी मेहता जी है और इसका रचनाकाल 16 वीं शताब्दी का है ! और इसे गांधी जी ने अपनी प्रार्थना मे शामिल करके जनता के बीच प्रसिद्ध किया ॥
भजन
नरसी मेहता
नरसी मेहता गुजराती भक्तिसाहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहासग्रंथों में "नरसिंह-मीरा-युग" नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पदप्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूर का।
नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़ के समीपवर्ती "तलाजा" नामक ग्राम में हुआ था और उनके पिता कृष्णदामोदर वडनगर के नागरवंशी कुलीन ब्राह्मण थे। उनका अवसान हो जाने पर बाल्यकाल से ही नरसी को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा। एक कथा के अनुसार नरसिंह मेहता की भाभी आप को बहुत भला बुरा कहती थी|
एक समय नरसिंह और उनके भाई तीर्थ यात्रा पर जाते समय एक जंगल में से गुजर रहे थे| दोनों बहुत थक चुके थे और भूख भी बहुत लगी थी | कुछ दुरी पर एक गाँव दिखाई दिया | उस गाँव के कुछ लोग इन दोनों के पास आये और कहा की अगर आप कहें तो हम आप के लिये खाना ले आते हैं, पर लेकिन हम शुद्र (नीच ) जाती के हैं | नरसिंह जी ने उन्हें कहा की सभी परमेश्वर की संतान हैं आप तो हरि के जन हैं मुझे आप का दिया भोजन खाने में कोई आपत्ति नहीं | नरसिंह ने खुशी से भोजन खाया लेकिन उनके भाई ने भोजन खाने से इनकार कार दिया | चलने से पहले नरसिंह जब गाँव वालों का धन्यवाद करने के लिये उठे तो उन्हें कहीं भी गाँव नजर नहीं आया |
और अब चर्चा इस पहेली 99 के परिणाम पर
1-इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हैं सुश्री साधना वैद्य जी
2- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर प्रथम उपविजेता हैं श्री अनंत अरूण शर्मा जी
3- और आज की पहेली में सही उत्तर भेजकर द्वितीय उपविजेता हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी
4-सही जवाब देकर विजेता बनने का प्रयास करने के लिये सुश्री वन्दना जी, श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का विशेष आभार
आप विजेता तथा प्रतिभागियों को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें
सभी विजेताओ को बधाई
जवाब देंहटाएंaapne likha hai ki - 4-प्रयास करने के लिये सुश्री वन्दना जी, श्री प्रकाश गोविन्द जी, श्री डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) का विशेष आभार
जवाब देंहटाएंham sabne sirf prayaas hi nahi kiya balki sahi jawaab bhi bataye the. aapko likhna chahiye tha ki anya sahi jawaab bataane waalon ,,,,,,
जवाब देंहटाएंश्री प्रकाश गोविन्द जी,
आपके निर्देशानुसार सुधार अंकित कर दिया है त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने हेतु आभार