सोमवार, 26 मार्च 2012

हिंदी साहित्य पहेली 74 राजकवि को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली एक ऐसे राजकवि पर आधारित है जिसने संस्कृत तथा हिन्दी में तो काव्य रचनायें की ही साथ ही इन्हें नेपाली के पृथम कवि होने का भी गौरव प्राप्त हुआ उनके द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी दो पंक्तियां हैं

चंदन कर्दम कलहे भेको मध्यस्थतापन्नः।

ब्रूते पंक निमग्नः कर्दम साम्यं च चंदन लभते।।


अर्थात चंदन और कीचड़ में विवाद हुआ और मेंढक को मध्यस्थ बनाया गया। चूँकि मेंढक कीचड़ में ही रहता है, वह चंदन का साथ भला कैसे दे सकता है?

इन पंक्तियों को लेखन से जुडे प्रसंग के बारे में पहेली के उत्तर में चर्चा अवश्य करेंगे । फिलहाल तो आपको उपरोक्त पंक्तियों के आधार पर इस राजकवि को पहचानना है
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

5 टिप्‍पणियां:

आप सभी प्रतिभागियों की टिप्पणियां पहेली का परिणाम घोषित होने पर एक साथ प्रदर्शित की जायेगीं