पहेली संख्या 74 में आपको इन पंक्तियों को लेखन से जुडे राजकवि को पहचानना था
चंदन कर्दम कलहे भेको मध्यस्थतापन्नः।
ब्रूते पंक निमग्नः कर्दम साम्यं च चंदन लभते।।
इसका सही उत्तर है राजकवि गुमानी
इनका संक्षिप्त परिचय और कृतित्व इस प्रकार है-
गुमानी का जन्म विक्रत संवत् १८४७, कुमांर्क गते २७, बुधवार, फरवरी १७९० में नैनीताल जिले के काशीपुर में हुआ था।
संस्कृत और हिन्दी के कवि थे । वे कुमाऊँनी तथा नेपाली के प्रथम कवि थे। कुछ लोग उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते हैं। सर ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया में गुमानी जी को कुर्मांचल प्राचीन कवि माना है। डॉ. भगत सिंह के अनुसार कुमाँऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा १९वीं शताब्दी से मिलती हैं और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत से लेकर आज तक अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है। इन दो दृष्टांतों से यह सिद्ध हो जाता है कि गुमानी जी ही प्राचीनतम कवि थे। राजकवि के रूप में गुमानी जी सर्वप्रथम काशीपुर नरेश गुमान सिंह देव की राजसभा में नियुक्त हुए।
अब चर्चा इन उपरोक्त पंक्तियों के लेखन से जुडे प्रसंग के बारे
राजसभा के अन्य कवि इनकी प्रतिभा से ईर्ष्या करने लगे। एक बार काशीपुर के ही पंडित सुखानंद पंत ने इन पर व्यंग्य कसा। पर्याप्त शास्त्रार्थ हुआ। जब महाराज गुमान सिंह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सके तो मध्यस्थ की आवश्यकता हुई। उन्होंने मुरादाबाद के पंडित टीकाराम शर्मा को मध्यस्थ बनाया। टीकाराम जी भी गुमानी जी की प्रतिभा से ईर्ष्या करते थे। अतः उन्होंने सुखानंद संत का ही साथ दिया, गुमानी जी को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और वे तत्काल निम्नलिखित श्लोक लिखकर सभा से बाहर चले गए-
चंदन कर्दम कलहे भेको मध्यस्थतापन्नः।
ब्रूते पंक निमग्नः कर्दम साम्यं च चंदन लभते।।
अर्थात चंदन और कीचड़ में विवाद हुआ और मेंढक को मध्यस्थ बनाया गया। चूँकि मेंढक कीचड़ में ही रहता है, वह चंदन का साथ भला कैसे दे सकता है?
ऐसे स्वाभिमानी थे राजकवि गुमानी
और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी
और मात्र दो मिनट के बिलम्ब के साथ ( सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी ने २ बजकर १३ मिनट पर उत्तर दिया जबकि सुश्री साधना वैद्य जी ने २ बजकर १५ मिनट पर ) सही उत्तर देकर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद्य जी
और थोडे से और बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर द्वितीय उपविजेता पद पर विराजमान हुए है श्री यशवंत माथुर जी
आप सभी विजेता तथा उपविजेता गणों को हार्दिक बधाई
आदरणीया ऋता जी,एवं साधना आंटी को हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
अरवीला रविकर धरे, चर्चक रूप अनूप |
जवाब देंहटाएंप्यार और दुत्कार से, निखरे नया स्वरूप ||
आपकी टिप्पणियों का स्वागत है ||
बुधवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
बधाई बधाई बधाई......
जवाब देंहटाएंऋता जी,साधना जी और यशवंत.....
आप सभी को बधाई.
आभार एवं धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआ० साधना जी एवं यशवंत जी को बधाई|
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंसभी विजेताओं को बधाई!
जवाब देंहटाएंसादर बधाईयाँ...
जवाब देंहटाएंbadhai.........
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