सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 68

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली एक ऐसे व्यक्तित्व पर आधारित है जिसका नाम स्वयं में एक मिसाल है।

सामने सुश्री नुसरत नाहीद द्वारा लिखी गयी एक पुस्तक का पृष्ठ भाग प्रदर्शित है यह पुस्तक मलिक प्रकाशन लखनऊ द्वारा प्रकाशित है और उस महान व्यक्तित्व पर आधारित है।
पहेली के संकेत के रूप में यह अवगत कराना है इस पुस्तक पर प्रकाशित चित्र इस महान व्यक्तित्व की समाधि या मजार है और लिखा हुआ शेर उस के जीवन का फलसफा ।
बस अब और संकेत नहीं आपको इस शेर के आधार पर ही इस व्यक्तित्व को पहचानना है वही इस पुस्तक का शीर्षक भी है ।
तो अब देर किस बात की जल्दी से अपना उत्तर मेल करें ताकि आपसे पहले कोई सही उत्तर देकर इस पहेली का विजेता न बन जाय।

3 टिप्‍पणियां:

  1. आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक,
    कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक?

    आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
    दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक?

    हमने माना के तगाफुल ना करोगे, लेकिन
    ख़ाक हो जायेगे हम तुमको ख़बर होने तक

    ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किससे हो जुज़ मर्ग इलाज़
    शम्मा हर रंगे में जलती है सहर होने तक
    मिर्ज़ा ग़ालिब

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आप सभी प्रतिभागियों की टिप्पणियां पहेली का परिणाम घोषित होने पर एक साथ प्रदर्शित की जायेगीं