साहित्य पहेली संख्या 70 के महान लेखक का नाम है आदरणीय महाकवि सुमित्रानेदन पंत जी
पर्वतीय क्षेत्रों में खिलने वाल पुष्प बुरांस अनेक स्थानीय लोककथाओं को समेटे है महाकवि सुमित्रानेदन पंत ने भी श्रेत्रीय कुमाउनी भाषा में इस पुष्प पर कुछ पंक्तियों लिखी हैं जो मुझे ब्लाग बैरंग पर मिलीं इन्हे आपके साथ साझा कर रहा हूं

शब्दार्थः सारे जंगल में तेरे जैसा कोई नहीं रे कोई नहीं फूलों से कहा बुरांस जंगल जैसे जल जाता है । सल्ल है देवदार है पइंया है अयांर है (यह सब पेडों की विभिन्न किस्में है) सबके फाग में पीठ का भार है फिर तुझमें जवानी का फाग है।रगों में तेरे लौ है प्यार का खुमार है।
इस बार पुनः सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुये हैं श्री यशवंत माथुर जी

और थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर आज के प्रथम उप विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद जी

और थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर द्वितीय उपविजेता पद पर विराजमान हुये हैं श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी

और बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर एक और अतिरिक्त उपविजेता के पद पर विराजमान हुए हैं-श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी

आप सभी को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।
