प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की हिन्दी साहित्य पहेली एक बहुप्रचारित लोककथा पर आधारित है उस लोककथा का संक्षिप्त सार इस प्रकार है
एक कहानी याद आती है कि किस तरह एक प्रेमी अपनी प्रेमिका का दिल जीतने के लिए मां का कलेजा चीर कर भाग कर जाता है ताकि जल्दी से प्रेमिका के पास पहुंच कर उसे मां का कलेजा भेंट कर सके। प्रेमी हड़बड़ी में ठोकर खा कर गिरता है। मां के कलेजे से आवाज़ आती है – बेटे, चोट तो नहीं लगी। मां तो मां ही होती है।
तेरी हो या मेरी। अपनी मां तो जहान में सबसे बड़ी नियामत होती है और हर मां ममतामयी और त्यागमयी----! ।
आपको इस लोककथा के उद्गम और उसके लेखक को पहचानना है
संकेत-1 पहली नज़र में हर पाठक को यह लोककथा भारतीय पृष्ठभूमि पर किसी रचनाकार की लिखी हुयी जान पडती है परन्तु प्रथम संकेत के रूप में यह बताना चाहेंगे कि यह कथा किसी भारतीय की कल्पना नहीं थी।
संकेत-2 और दूसरे संकेत के रूप में यह भी बताना चाहेंगे कि इस कथा के लेखक को एक अरसा पहले नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है
बस अब और संकेत नहीं आपको इस कथा के लेखक को पहचानना है
क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को? तो फिर देर किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
यह कहानी 1932 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी लेखक हावर्ड फास्टी के एक उपन्यास का है|
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