मंगलवार, 10 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 89 परिणाम और विजेता हैं श्री अरुन शर्मा जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
इस पहेली में जो तथ्य आपके साथ साझा किये थे वे रांची झारखण्ड के श्री मनीश कुमार जी के व्लाग एक शाम मेरे नाम से साभार ली गयी थी।

एक शाम मेरे नाम का लिंक यहां है ।
एक शाम मेरे नाम का लिंक यहां है

इस पहेली का परिणाम
इस सहित्य पहेली 98 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं कि ये किस्सा है महान शायर कतील शिफाई का

उस महान शायर का नाम था औरंगजेब खान और आने वाले कल यानी 11 जुलाई को उनकी पुण्य तिथि होती है।

क़तील शिफाई 24 दिसंबर 1919 को हरीपुर हज़ारा में पैदा हुए थे । उनका असली नाम था औरंगज़ेब ख़ान था । क़तील उनका तख़ल्‍लुस था, क़तील यानी वो जिसका क़त्‍ल हो चुका है । अपने उस्‍ताद हकीम मुहम्‍मद शिफ़ा के सम्‍मान में क़तील ने अपने नाम के साथ शिफ़ाई शब्‍द जोड़ लिया था । पिता के असमय निधन की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर क़तील को खेल के सामान की अपनी दुकान शुरू करनी पड़ी, इस धंधे में बुरी तरह नाकाम रहने के बाद क़तील पहुंच गये रावलपिंडी और एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में उन्‍होंने साठ रूपये महीने की तनख्‍वाह पर काम करना शुरू किया । सन 1946 में नज़ीर अहमद ने उन्‍हें मशहूर पत्रिका ‘आदाब-ऐ-लतीफ़’ में उप संपादक बनाकर बुला लिया । ये पत्रिका सन 1936 से छप रही थी । क़तील की पहली ग़ज़ल लाहौर से निकलने वाले साप्‍ताहिक अख़बार ‘स्‍टार’ में छपी, जिसके संपादक थे क़मर जलालाबादी ।

जनवरी 1947 में क़तील को लाहौर के एक फिल्‍म प्रोड्यूसर ने गाने लिखने की दावत दी, उन्‍होंने जिस पहली फिल्‍म में गाने लिखे उसका नाम है ‘तेरी याद’ । क़तील ने कई पाकिस्‍तानी और कुछ हिंदुस्‍तानी फिल्‍मों में गीत लिखे । जगजीत सिंह-चित्रा सिंह और गुलाम अली ने उनकी कई ग़ज़लें और नज़्में गाई हैं । उनकी बीस से भी ज्‍यादा किताबें शाया हो चुकी हैं ।

श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत है उनकी एक लोकप्रिय गजल

जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग

मिल भी लेते हैं गले से अपने मतलब के लिए
आ पड़े मुश्किल तो नज़रें भी चुरा लेते हैं लोग

है बजा उनकी शिकायत लेकिन इसका क्या इलाज
बिजलियाँ खुद अपने गुलशन पर गिरा लेते हैं लोग

हो खुशी भी उनको हासिल ये ज़रूरी तो नहीं
गम छुपाने के लिए भी मुस्कुरा लेते हैं लोग

ये भी देखा है कि जब आ जाये गैरत का मुकाम
अपनी सूली अपने काँधे पर उठा लेते हैं लोग

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार एकमात्र सही उत्तर भेजकर पहली बार विजेता बने है श्री अरुन शर्मा जी।


आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये श्री अरुन शर्मा जी का हार्दिक आभार और शुभकामनाये




4 टिप्‍पणियां:

  1. श्री अरुन शर्मा जीको बहुत बहुत बधाई .

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  2. हो खुशी भी उनको हासिल ये ज़रूरी तो नहीं
    गम छुपाने के लिए भी मुस्कुरा लेते हैं लोग

    श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत सुंदर गजल के आभार,,,,,

    श्री अरुन शर्मा जी को हार्दिक शुभकामनाये,,,,,,

    RECENT POST...: दोहे,,,,

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिय शालिनी जी , धीरेन्द्र SIR और सवाई सिंह राजपुरोहित जी, बधाई देने के लिए बहुत -२ शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं

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