मंगलवार, 17 जुलाई 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 90 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,


इस पहेली का परिणाम
हिन्दी साहित्य पहेली 90 में पुस्तक ‘मिला तेज से तेज ’ का चित्र प्रकाशित करते हुये आपसे यह पूछा गया था कि यह पुस्तक किसने लिखी है तथा इसमें किस साहित्यकार की जीवनी का समावेश है।
आपको इस रचना की लेखिका को पहचान कर यह बताना है कि यह किस महान लेखक की जीवनी है
इस प्रश्न के कई उत्तर हमें प्राप्त हुये जो आंशिक रूप से सही थे सबसे पहले प्राप्त होने वाला उत्तर श्री सवाई सिंह राज पुरोहित जी का रहा उसके उपरांत आदरणीय रूपचंद जी शास्त्री जी का भी आशिर्वाद रूपी उत्तर प्राप्त हुआ परन्तु सर्वाधिक सटीक उत्तर भेजा है सुश्री साधना वैद जी जिन्होंने इस पुस्तक की जीवनी में सम्मिलित दोनो महापुरूषों के नामों का उल्लेख किया है अतः आज के विजेता पद को सुशोभित करने का अधिकार जाता है सुश्री साधना वैद जी को ।

सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान का विवाह अमृतराय जी से हुआ था। श्री अमृतराय प्रसिद्ध लेखक प्रेमचन्द के सुपुत्र हँ इनकी पत्नी सुधा चौहान जी ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'
सुभद्रा कुमारी चौहान तथा लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी, इनकी पुत्री, सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में लिखी है। इसे हंस प्रकाशन १८, न्याय मार्ग, इलाहाबाद दूरभाष २४२३०४ ने छापी है।

श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत है सुभद्रा कुमारी चौहान जी की एक लोकप्रिय कविता 'परिचय'

क्या कहते हो कुछ लिख दूँ मैं
ललित-कलित कविताएं।
चाहो तो चित्रित कर दूँ
जीवन की करुण कथाएं॥

सूना कवि-हृदय पड़ा है,
इसमें साहित्य नहीं है।
इस लुटे हुए जीवन में,
अब तो लालित्य नहीं है॥

मेरे प्राणों का सौदा,
करती अंतर की ज्वाला।
बेसुध-सी करती जाती,
क्षण-क्षण वियोग की हाला॥

नीरस-सा होता जाता,
जाने क्यों मेरा जीवन।
भूली-भूली सी फिरती,
लेकर यह खोया-सा मन॥

कैसे जीवन की प्याली टूटी,
मधु रहा न बाकी?
कैसे छुट गया अचानक
मेरा मतवाला साकी??

सुध में मेरे आते ही
मेरा छिप गया सुनहला सपना।
खो गया कहाँ पर जाने?
जीवन का वैभव अपना॥

क्यों कहते हो लिखने को,
पढ़ लो आँखों में सहृदय।
मेरी सब मौन व्यथाएं,
मेरी पीड़ा का परिचय॥

सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियों के विषय में उनकी सुपुत्री सुधा चौहान लिखती हैं - "सुभद्रा की कितनी ही कहानियों में उनके अपने जीवन प्रसंग या अनुभूति के मार्मिक टुकड़े, कथा का हल्का-सा आवरण ओढ़े आ गए हैं। वे कहानी कम, उनकी आत्मकथा की घटनाएँ जैसे ज्यादा लगते हैं। उन्हें संस्मरण भी कह सकते हैं।
और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार एकमात्र सही उत्तर भेजकर पहली बार विजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी


2-साथ ही हम आभारी है श्री सवाई सिंह राज पुरोहित जी और आदरणीय श्री रूप चंद जी शास्त्री जी के जिन्होंने आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये

श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी


आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये




5 टिप्‍पणियां:

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