मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

हिन्दी साहित्या पहेली ६१ का परिणाम और विजेता है सुश्री साधना वैद जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

इस पहेली का उत्तर है पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी !
श्री अटल बिहारी बाजपेयी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ!!!


और सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री साधना वैद जी



साधना वैद्य जी

और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी

सुश्री साधना वैद जी और सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी

आप को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से नव वर्ष ''२०१२'' की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ ढेरों बधाइयाँ।
  
                     

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

हिंदी साहित्य पहेली 61 जन्मदिवस की अनेकनेक शुभकामनाऐं

आज की पहेली में आपको हिन्दुस्तान के उस इतिहास पुरूष को पहचानना है जिसने राजनीति की रपटीली राहों पर फिसलते संभलते हुऐ इसके शिखर को छुआ (संकेत-1) और इस शिखर से त्यागपत्र देते हुये बाल्मिीकि रामायण की वह पंक्ति पढी थी जो उनके बाबा श्यामलाल जी ने (संकेत-2) बचपन में याद कराई थी।

'न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः’

अर्थात मैं मृत्यु से नहीं केवल अपयश से डरता हूं।

इस महान विभूति ने अपने इकसठवें जन्मदिवस के अवसर पर यह कविता भी लिखी थी (संकेत-3):-


नए मील का पत्थर

नए मील का पत्थर पार हुआ।
कितने पत्थर शेष न कोई जानता?
अन्तिम कौन पडाव नही पहचानता?

अक्षय सूरज , अखण्ड धरती,
केवल काया , जीती मरती,
इसलिये उम्र का बढना भी त्यौहार हुआ।
नए मील का पत्थर पार हुआ।

बचपन याद बहुत आता है,
यौवन रसघट भर लाता है,
बदला मौसम, ढलती छाया,
रिसती गागर , लुटती माया,

सब कुछ दांव लगाकर घाटे का व्यापार हुआ।
नए मील का पत्थर पार हुआ।




बीते कल भारत का यह इतिहास पुरूष अपने जीवन का एक और वर्ष-पडाव पार करते हुये जीवन की शतकीय यात्रा से मात्र 13 कदम दूर रह गया है। (संकेत-4)

और हां सामान्यतः अशुभ माना जाने वाल यह अंक 13 इस महान पुरूष के लिये भाग्य का सूचक रहा है। (संकेत-5)

अब इतने संकेत एक साथ पाने के बाद आप भी अवश्य ही इस महापुरूष को जन्मदिवस की बधाइयां अवश्य देना चाहते होंगे तो फिर देर किस बात की तुरंत अपनी शुभकानाऐं टाइप करें और टिप्पणी के रूप में भेज दें जो आपको इस पहेली का विजेता भी बना सकती हैं।
अब तो देर न कीजिये और अपना उत्तर तुरंत भेजिये । कहीं कोई और प्रतिभागी आपसे पहले उत्तर भेजकर इस पहेली का विजेता न बन जाय। शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

साहित्य पहेली संख्या-60 का परिणाम और विजेताश्री दर्शन लाल बावेजा जी

इस बार की पहेली संख्या 60 में सामने बने मुख पृष्ठ में लेखक के नाम को छिपा दिया गया था । जिसमें शीर्षक को पहचान कर आपको लेखक को पहचानना था । सही उत्तर है सर्व श्री अशोक चक्रधर जी ।


और अब बात सही उत्तर की .हमें आपको यह बताते हुये हर्ष हो रहा है कि इस बार की पहेली में सर्वप्रथम सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुए हैं श्री दर्शन लाल बावेजा जी


श्री दर्शन लाल बावेजा जी
जबकि श्री मनोज कुमार जी सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुये हैं


आप विजेता तथा उपविजेता को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें


सोमवार, 19 दिसंबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 60 लेखक को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

आज की पहेली में सामने बने पुस्तक के लेखक के नाम को इस प्रकार छिपा दिया गया है उसका थोडा सा
अंश ही दृश्मान है आपको इसी दृश्मान अंश और पुस्तक के शीर्षक के आधार पर इस लोकप्रिय कवि को पहचानना है




आज पुस्तक का शीर्षक ही पहेली का संकेत है अतः कोई अतिरिक्त संकेत न देते हुये आपको इस पुस्तक के लेखक को पहचानना है।

है ना बहुत आसान सा कार्य ! तो फिर देर किस बात की !!

क्या आप पहचान गये हैं उसको ?
तो फिर जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

साहित्य पहेली संख्या-59 का परिणाम और विजेता श्री

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

इस बार की पहेली संख्या 59 में एक गीत के रचयिता का नाम पूछा गया था जिसका संकेत इन पक्तियों में छिपा था
इसे ही प्रसाद ‘अमर जागरण’ कहा करते थे।
जी हां आपकी जिज्ञासा ठीक ही है सही उत्तर है जयशंकर प्रसाद जी ।
और अब बात सही उत्तर की .हमें आपको यह बताते हुये हर्ष हो रहा है कि इस बार की पहेली में सर्वप्रथम सही लेखक को पहचान कर उत्तर दिया है और सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुए हैं आदरणीय डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी


और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुये हैं श्री दर्शन लाल बावेजा जी


जबकि श्री मनोज कुमार जी को द्वितीय उपविजेता होने का गौरव प्राप्त हुआ है

आप सभी विजेता तथा उपविजेतागणो को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें  
                     

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 59 रचनाकार को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की साहित्य पहेली में आपको नीचे अंकित पंक्तियों के आधार पर उसके महान रचनाकार को पहचानना है । एक महान रचनाकार का यह गीत एक ऐसी यात्रा का कल्पना संसार है जो निश्छल प्रेम कथा के देश तक पहुंचती हैं। यह एक नए संसार की रचना का आह्वान गीत है, एक ऐसा संसार जहां जीवन कोई गहरा अर्थ पा सके। इसे ही प्रसाद ‘अमर जागरण’ कहा करते थे।
इस गीत की पंक्तियों में एक युग के भारतीय हृदय और मन की गहरी छाप बसी है।
इसके रचनाकार के एक नये ही व्यक्तित्व और जीवन का अस्फुट स्वप्न इन शब्दों में जाग उठा है।

ले चल वहाँ भुलावा देकर
मेरे नाविक ! धीरे-धीरे ।
जिस निर्जन में सागर लहरी,
अम्बर के कानों में गहरी,
निश्छल प्रेम-कथा कहती हो-
तज कोलाहल की अवनी रे ।
जहाँ साँझ-सी जीवन-छाया,
ढीली अपनी कोमल काया,
नील नयन से ढुलकाती हो-
ताराओं की पाँति घनी रे ।

जिस गम्भीर मधुर छाया में,
विश्व चित्र-पट चल माया में,
विभुता विभु-सी पड़े दिखाई-
दुख-सुख बाली सत्य बनी रे ।
श्रम-विश्राम क्षितिज-वेला से
जहाँ सृजन करते मेला से,
अमर जागरण उषा नयन से-
बिखराती हो ज्योति घनी रे !

उक्त पंक्तियों को पढने के बाद शायद आपको इस पहेली का उत्तर देने के लिये किसी संकेत की आवश्यकता ही न हो परन्तु हम इस पहेली का संकेत गीत के पहले लिखी गयी इसकी प्रस्तावना में पहले ही बता चुके हैं।
है ना बहुत आसान सा कार्य । तो फिर देर किस बात की क्या आप पहचान गये हैं उस छाया वादी प्रगतिशील कवि को (ओह नो.... फिर एक संकेत.....) तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

हिंदी साहित्य पहेली 58 का परिणाम और विजेता है डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
इस पहेली का उत्तर है श्री मनोहर श्याम जोशी


और सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुए हैं आदरणीय डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी


और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री वंदना जी

डा0 रूपचंद शास्त्री ‘मयंक’जी और सुश्री वंदना जी
आप को हिंदी साहित्य पहेली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनायें और ढेरों बधाइयाँ।  
                     

सोमवार, 5 दिसंबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 58 लेखक को पहचानो

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों

दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में बुनियाद को देश के लाखों और करोडों दर्शकों ने देखा और सराहा है। इसके लेखक ने इसकी प्रस्तावना लिखते समय इस धारावाहिक के लेखन में सुप्रसिद्ध कथाकार कृष्णा सोबती और शोध कार्य के लिये डा0 पुश्पेश पन्त के सहयोग के बगैर इसे पूरा न कर पाने का तथ्य उद्धाटित किया था।

यहाँ प्रकाशित चित्र इस धारावाहिक दृश्यालेख कहानी का पुस्तक स्वरूप है जिसे पुस्तक का आकार देने में श्री भूपेन्द्र अबोध जी की प्रमुख भूमिका रही है।

आज की पहेली में सामने बने पुस्तक के मुख पृष्ठ में लेखक के नाम को छिपा दिया गया है आपको इस मुख पृष्ठ को देखकर पुस्तक के लेखक को पहचानना है।


आज पुस्तक का शीर्षक ही पहेली का संकेत है अतः कोई अतिरिक्त संकेत न देते हुये आपको इस पुस्तक के लेखक को पहचानना है।

है ना बहुत आसान सा कार्य ! तो फिर देर किस बात की !!

क्या आप पहचान गये हैं उस प्रगतिशील कवि को ?
तो फिर जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।