आज की पहेली में आपको निम्न चार पंक्तियां दी जा रही हैं जो गजल के दो शेर हैं।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आंख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ।।
जो जुल्म सह के भी चुप रह गया ना खौला था
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था
आपको पता लगाना है कि ये चार पक्तियां किसी एक गजल के ही दो शेर हैं या दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है।
जब आप यह पहचान जायें कि ये एक ही गजल के शेर है या दो गजलों के तो तत्काल हमें बतायें कि इस शेरों के रचयिता कौन हैं ।
संकेत के रूप में यह बताना चाहेंगे कि इन शेरो के रचयिता हिन्दी साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है।
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
ये दोनों शेर अलग अलग रचनाकारों के हैं.
जवाब देंहटाएंरगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आंख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ।।
--ग़ालिब
जो जुल्म सह के भी चुप रह गया ना खौला था
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था
--गोपालदास नीरज
श्री आजम मिर्जा ग़ालिब जी
जवाब देंहटाएंपहला शेर मिर्ज़ा ग़ालिब की गज़ल से है जिसका पहला शेर है
जवाब देंहटाएंहरेक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है ,
तम्हीं कहो कि ये अंदाज़े गुफ्तगू क्या है !
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से ना टपका तो वो लहू क्या है !
दूसरा शेर श्री गोपालदास नीरज की गज़ल से है-
दूर से दूर तलक एक भी दरख़्त न था
तुम्हारे घर का सफर इस कदर सख्त न था
जो ज़ुल्म सह के भी चुप रह गया न खौला था
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था !