पहेली संख्या 84 में आपको पता लगाना था कि ये चार पक्तियां किसी एक गजल के ही दो शेर हैं या दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है।
संकेत के रूप में यह बताया गया था कि इन शेरो के रचयिता हिन्दी साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। इसका सही उत्तर है की ये दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है और इन्हें लिखने वाली महान हस्तिया है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आंख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है ।।
-- मिर्जा ग़ालिब जी
जो जुल्म सह के भी चुप रह गया ना खौला था
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था
--गोपालदास नीरज
और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी।
इस बार थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर उपविजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी
सुश्री साधना जी ने दोनों गजलों के मुखडे भी अपनी टिप्पणी में साझा किये हैं जो इस प्रकार है
पहला शेर मिर्ज़ा ग़ालिब की गज़ल से है जिसका पहला शेर है
हरेक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है ,
तम्हीं कहो कि ये अंदाज़े गुफ्तगू क्या है !
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से ना टपका तो वो लहू क्या है !
दूसरा शेर श्री गोपालदास नीरज की गज़ल से है-
दूर से दूर तलक एक भी दरख़्त न था
तुम्हारे घर का सफर इस कदर सख्त न था
जो ज़ुल्म सह के भी चुप रह गया न खौला था
वो और कुछ हो मगर आदमी का रक्त न था !
और इस बार पहेली में शामिल होकर पहेली का आधा सही उत्तर देकर साहित्यिक अभिरुचि प्रदर्शित करने के कारण विशिस्ट विजेता बने हैं आदरणीय श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी
विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी उपविजेता सुश्री साधना वैद्य जी विशिस्ट विजेता श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी को हार्दिक बधाई
विजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी उपविजेता सुश्री साधना वैद्य जी को बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंविजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी उपविजेता सुश्री साधना वैद्य जी विशिस्ट विजेता श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी को बहुत बहुत बहुत बधाई!
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