प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली पिछली पहेली से जुडी है । पिछली पहेली में आपने बताया था कि हिन्दी भाषा में पहली आत्मकथा गद्य रूप में नहीं अपितु पद्यात्मक थी और इसे बनारसी दास जैन द्वारा 1641 में लिखा गया था । आज की पहेली में हम पुनः एक ऐसी ही रचना प्रस्तुत कर रहे हैं जो पद्यात्मक है और आत्म परिचय के रूप में लिखी गयी है
मैं वह खंडहर का भाग लिये फिरता हूं।
मैं रोया इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पडा, तुम कहते , छंद बनाना,
क्यों कवि कहकर संसार मुझे अपराऐ,
मैं दुनिया का हूं एक नया दीवाना।
मैं दीवानों का वेश लिये फिरता हूं,
मैं मादकता निःशेष लिये फिरता हूं ,
जिसको सुनकर जग झूम ,झुके, लहराए,
मैं मस्ती का संदेश लिये फिरता हूं।
आपको यह बताना है कि इस आत्म परिचयात्मक रचना के लेखक कौन हैं
संकेत के रूप में तीन नाम प्रस्तुत हैं जिनमें से कोई एक इस आत्म परिचयात्मक कविता का लेखक है
वे नाम हैं
1. जयशंकर प्रसाद जी
2. हरिवंशराय बच्चन
3. कविवर देव (देवदत्त द्विवेदी)
क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को? तो फिर देर किस बात की तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
इस पद्यात्मक आत्म परिचय के रचयिता हैं श्री हरिवंशराय बच्चन !
जवाब देंहटाएंश्रीयुत हरिवंशराय बच्चन जी
जवाब देंहटाएंहरिवंशराय बच्चन
जवाब देंहटाएं