प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
पहेली संख्या 85 में आपको हिन्दी में लिखी गयी पहली आत्मकथा के लेखक को पहचानना था
इस सहित्य पहेली 85 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं जो है श्री बनारसी दास जैन
इस पहेली का परिणाम
बनारसी दास जैन कृत 'अर्धकथानक' हिन्दी की पहली आत्मकथा मानी जाती है। श्रीयुत बनारसी दास जैन द्वारा लिखी गयी 'अर्द्धकथानक' को किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गयी पहली आत्मकथा माना जाता है ! इससे पूर्व आत्मकथा लिखने का चलन भारतीय साहित्य में नहीं था ! इसकी रचना सन 1641 में हुयी थी और यह पद्यात्मक है। रचनाकार- श्रीयुत बनारसी दास जैन अर्द्धकथानक में उनके प्रथम पचास वर्षों का रोचक और यथार्थ विवरण है, जो सभी प्रकार से आत्मकथा की परिभाषा में आता है। बनारसीदास का जीवन आगरा में बीता.. "अर्ध कथानक" ही भारतीय साहित्य की पहली आत्मकथा है, इसका प्रकाशन हिन्दी ग्रंथ कार्यालय मुंबई से हुआ ..
और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर
1- इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के विजेता बने हैं आदरणीय श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी
2-और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुए हैं आगरा के श्री सोनू जी
सोनू जी, कृपया अपना एक चित्र भी इ मेल पर भेजें जिससे अपने सभी सुधी पाठको के अवलोकनार्थ हिन्दी साहित्य पहेली ब्लाग पर डाला जा सके ।
3-इस बार थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर उपविजेता बनी हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी।
4-और इस बार पहेली में शामिल होकर पहेली का सही उत्तर देकर साहित्यिक अभिरुचि प्रदर्शित करने के कारण विशिस्ट विशिष्ट विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी श्री अजय सिंह जी
आज की पहेली में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाये
सभी विजेताओं को बधाई !!!
जवाब देंहटाएं....आभार !!!
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
जवाब देंहटाएंपैदल ही आ जाइए, महंगा है पेट्रोल ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।
सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई....
जवाब देंहटाएंविजेता सोनू जी, उपविजेता सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी , विशिस्ट विशिष्ट विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी, श्री अजय सिंह जी को बहुत बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री अशोक कुमार शुक्ला जी आपसे एक निवेदन है की मेरे नाम आगे "आदरणीय श्री" नहीं लगाए में आपसे बहुँत छोटा हु !
जवाब देंहटाएंआपका छोटा भाई सवाई .