सोमवार, 28 मई 2012

हिंदी साहित्य पहेली 83 कैसे जियें? यही है मसला

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की साहित्य पहेली में पूंजीवादी व्यवस्था के प्रति एक महान कवि की एक प्रसिद्ध रचना का एक अंश दिया जा रहा है जिसके आधार पर आपको इस कवि को पहचानने का प्रयास करना है

कविता का अंश इस प्रकार है

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डंकमार संसार न बदला
प्राणहीन पतझार न बदला

बदला शासन, देश न बदला
राजतंत्र का भेष न बदला,

भाव बोध उन्मेष न बदला,
हाड़-तोड़ भू भार न बदला

कैसे जियें? यही है मसला
नाचे कौन बजाये तबला?
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अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

3 टिप्‍पणियां:

आप सभी प्रतिभागियों की टिप्पणियां पहेली का परिणाम घोषित होने पर एक साथ प्रदर्शित की जायेगीं