प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की साहित्य पहेली हिन्दी कहानी पर आधारित है । हिन्दी साहित्य प्रेमियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिन्दी भाषा में पहली कहानी के रूप में पहचाने जाने का श्रेय अब तक किसी कहानी को नहीं मिल सका है। इस पंक्ति में कथाकार किशोरी लाल गोस्वामी की प्रणयिनी से लेकर चन्दधर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था तक की लगभग 15 कहानियाँ उपलब्ध हैं। हरेक के बारे में उसके प्रस्तोता का ठोस साक्ष्य अथवा तर्क उपस्थित है परन्तु ‘पहली हिन्दी लघुकथा’ की स्थिति इससे एकदम भिन्न है।
निम्नलिखित लधुकथाओं को हिन्दी की प्रथम लघुकथा के रूप में स्थापित होने का गौरव प्राप्त है
आज की पहेली में हम हिन्दी में लिखी गयी पहली लघुकथाऐं प्रस्तुत कर रहे है जो इस प्रकार हैः-
(1)
अंगहीन धनी
एक धनिक के घर उसके बहुत-से प्रतिष्ठित मित्र बैठे थे। नौकर बुलाने को घंटी बजी। मोहना भीतर दौड़ा, पर हँसता हुआ लौटा।
और नौकरों ने पूछा,“क्यों बे, हँसता क्यों है?”
तो उसने जवाब दिया,“भाई, सोलह हट्टे-कट्टे जवान थे। उन सभों से एक बत्ती न बुझे। जब हम गए, तब बुझे।”
(2)
अद्भुत संवाद
“ए, जरा हमारा घोड़ा तो पकड़े रहो।”
“यह कूदेगा तो नहीं?”
“कूदेगा! भला कूदेगा क्यों? लो सँभालो।”
“यह काटता है?”
“नहीं काटेगा, लगाम पकड़े रहो।”
“क्या इसे दो आदमी पकड़ते हैं, तब सम्हलता है?”
“नहीं।”
“फिर हमें क्यों तकलीफ देते हैं? आप तो हई हैं।”
आज की पहेली में आपको इन लघुकथाओं के लेखक को पहचानना है और यह बताना है कि हिन्दी में लिखी गयी उक्त पहली लघुकथाओं का लेखक कौन है।
संकेत के रूप में बताना चाहेंगे कि इन रचनाओं का रचना काल 1875 से 1930 के मघ्य का है सो इस दौर के किसी रचनाकार के द्वारा ही इनकी रचना की गयी है।
क्या आप पहचान गये हैं उस रचनाकार को? तो फिर देर किस बात की तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
'अंग हीन धनी' एवं ' अद्भुत संवाद' इन दोनों ही कहानियों के रचनाकार का नाम भारतेंदु हरिश्चंद्र है !
जवाब देंहटाएंअक्सर आपके ब्लॉग पर आने में देर हो जाती है।
जवाब देंहटाएंअब तक तो सही उत्तर आ चुका होगा।
मेरा उत्तर है भारतेन्दु हरिश्चन्द्र!
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी की लघुकथा 'झलमला' शायद प्रथम लघुकथा है|
जवाब देंहटाएंप्रस्तुत पुस्तकों 'अंगहीन धनिक और अद्भुत संवाद'
के लेखक हैं- भारतेंदु हरिश्चंद्र जी(1876 )