आज की पहेली का उत्तर है
मिर्ज़ा ग़ालिब
और अब आते हैं परिणाम पर
इस बार सर्वप्रथम सही उत्तर देकर विजेता बनी हैं सुश्री साधना वैद्य जी
और आज के उपविजेता हैं श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी
जिन्होंने मिर्जा गालिब की मजार पर लिखी पंक्तियों वाली पूरी गजल हमारे साथ साझा की है जो इस प्रकार है।
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक,
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक?
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक?
हमने माना के तगाफुल ना करोगे,
लेकिन ख़ाक हो जायेगे हम तुमको ख़बर होने तक
ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किससे हो जुज़ मर्ग इलाज़
शम्मा हर रंगे में जलती है सहर होने तकमिर्ज़ा ग़ालिब
आप दोनो विजेता और उपविजेता को हार्दिक बधाइयों के साथ श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी का आभार कि उन्होंने इस पूरी गजल को हिन्दी साहित्य पहेली के पाठकों के लिये मुहैया कराया।
सुश्री साधना वैद्य जी श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी को हार्दिक बधाई
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