जैसा कि हमने पहेले घोषणा की थी हिन्दी साहित्य की यह पचासवीं पहेलीं आधारित है इसके सुधी विजेतागणों पर। आपकी हिन्दी साहित्य पहेली में यह पचासवी पहेली है यानी अब तक कुल 49 पहेलियां पूछी जा चुकी है तो कुल कितने विजेता हुये? बस सीधा सा उत्तर बनता है कि 49 ! लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि कुल विजेताओं की संख्या है बीस ।
अरे भई यह कैसे संभव है ? यह संभव हुआ है इसलिये क्यांकि हमारे कुछ सक्रिय साथियों ने कई कई बार विजेता बनने का अवसर जो पाया है । आदरणीय डा0 दर्शनलाल बावेजा जी ने नौ पहेलियों में विजेता बनकर तथा आदरणीय डा0 रूप चंद्र शास्त्री जी मयंक , श्री सत्यम शिवम जी और में से तो प्रत्येक ने आठ आठ पहेलियों में विजेता बनकर कुल पच्चीस पहेलियों के विजेता पदों पर कब्जा जमा रखा है।
आपकी इतनी सक्रिय भागीदारी के बावजूद कुल नौ पहेलियों में विजेता धोषित ही नहीं हो सके क्योंकि किसी भी भागी दार ने सही उत्तर नहीं दिया ।
अब आते हैं आज की पहेली पर हमने आपको यह तो बता दिया कि आदरणीयणीय डा0 रूप चंद्र शास्त्री जी मयंक , श्री सत्यम शिवम जी और डा0 दर्शनलाल बावेजा जी ने आठ आठ बार विजेता बनने का नाम अपने खाते में अंकित कराया है लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी बार ये महारथी अपना उत्तर भेजने में थोडे से बिलंब के कारण उपविजेता बने?
इनके अलाव भी ऐसे कुछ नाम हैं जो हमेशा उपविजेता ही बन सके क्यांेंकि इनका उत्तर विलंब से प्राप्त हो सका था। जैसं सर्व श्री सबाई सिंह राजपुरोहित श्री यशवंत माथुर जी और इस साहित्यिक पहेली में योगदानकर्ता के रूप में शामिल होने से पहले स्वयं इन पंक्तियांे का लेखक भी।
अब आपको यह बताना है कि अब तक घोषित पहेलियों के परिणामों के आधार पर (पहेली संख्या 49 के परिणाम को मिलाते हुये) उपर लिखे गये किस के खाते में सबसे अधिक बार उपविजेता बनने का आंकडा अंकित है। बस आपको थोडी सी एक्सरसाज करनी है और नाम आपके सामने होगा तो फिर देर किस बात की जल्दी से जोड डालिये और हाँ अपना उत्तर भेजने भे बिलंब मत करियेगा नही तो विजेता की जगह उपविजेता कहलायेंगे।
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