प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली भारतवर्ष के हिन्दी प्रदेशों के प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा आरंभ होने से पूर्व की जाने वाली प्रार्थना से जुडी है । अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों को छोडकर लगभग सभी विद्यालयों में शिक्षण कार्य का आरंभ इस प्रेरणादयी गीत के साथ ही होता है । यह प्रेरणादायी गीत हैः-
हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये
शीष्र सारे दूर्गुणों को दूर हमसे कीजिये
लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीरव्रत धारी बने
आज की पहेली में आपको इस अमर गीत के रचयिता का नाम बताना है।
पहले संकेत के रूप में बतादे कि इस गीत के रचयिता के पिता पंडित रामदत्त त्रिपाठी भारतीय सेना में सूवेदार के रूप में कार्यरत थे।
एक और संकेत के रूप में अवगत करा दे कि इन्होंने कविता के अलावा उपन्यास नाटक आलोचना तथा हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास भी लिखा है।
अंतिम संकेत यह है कि इसके रचयिता का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद सुल्तानपुर में हुआ था।
बस अब तक शायद आप पहचान गये होंगे इस महाकवि पंडित को बीते कल 4 मार्च को जिनका जन्म दिवस था (अरे नहीं एक और संकेत) तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
श्री राम नरेश त्रिपाठी जी।
जवाब देंहटाएंसादर
पं. राम नरेश त्रिपाठी!
जवाब देंहटाएंश्री रामनरेश त्रिपाठी जी
जवाब देंहटाएंपं राम नरेश त्रिपाठी
जवाब देंहटाएंश्री रामनरेश त्रिपाठी !
जवाब देंहटाएंजानती हूँ अब तक कई सजग प्रतिभागियों ने उत्तर दे दिया होगा ! त्यौहार की व्यस्तता के कारण समय ही नहीं मिला कम्प्यूटर पर काम करने के लिये ! चलिए कोई बात नहीं ! उत्तर देने का भी अपना ही आनंद है ! जीत या हार इतना अधिक मायने नहीं रखती !