प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों
आज की पहेली कुछ ऐसे शब्दों के बारे में है जो नकि हमारे देश के घर-घर और मंदिरों में सदियों से गूंज रहे हैं, बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में बसे किसी भी सनातनी हिंदू परिवार में शायद ही केाई ऐसा व्यक्ति हो जिसके ह्रदय-पटल पर बचपन के संस्कारों में इन शब्दों की छाप न पड़ी हो। ये शब्द उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के हर घर और मंदिर मे पूरी श्रध्दा और भक्ति के साथ गाए जाते हैं।
अब तक अब शायद आप पहचान गये हो इन शब्दों को । जी हां हम बात कर रहे हैं देश और दुनियाभर के करोड़ों हिन्दुओं के रग-रग में बसी ओम जय जगदीश की आरती की। हजारों साल पूर्व हुए हमारे ज्ञात-अज्ञात ऋषियों ने परमात्मा की प्रार्थना के लिए जो भी श्लोक और भक्ति गीत रचे, ओम जय जगदीश की आरती की भक्ति रस धारा ने उन सभी को अपने अंदर समाहित सा कर लिया है। यह एक आरती संस्कृत के हजारों श्लोकों, स्तोत्रों और मंत्रों का निचोड़ है।
(1)
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे
(2)
जो ध्यावे फल पावे,
दुख बिनसे मन का
स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्मति घर आवे,
सुख सम्मति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
(3)
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी .
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
(4)
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतरयामी
स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
(5)
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता,
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
(6)
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विध मिलूं दयामय,
किस विध मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
(7)
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ,
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
(8)
विषय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा,.
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
आपको इस आरती के रचयिता के नाम को पहचानना है ।
संकेत के रूप में बता दे कि इस आरती के आखिरी पंक्ति में आया शब्द ‘श्रद्धा भक्ति बढाओ’ में इसके रचयिता का नाम भी अपने अर्थ सहित इस आरती में इतनी गहराई से रच बस गया है कि उसे अलग से पहचानने के लिये सचमुच मशक्कत करनी पडती है
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
इसके रचयिता पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी जी हैं
जवाब देंहटाएंसादर
श्री श्रद्धाराम फिल्लौरी !
जवाब देंहटाएंयहाँ पर दिए गए संकेत के अनुसार- श्रद्धा राम "फिल्लौरी"होना चाहिए|
जवाब देंहटाएंकिन्तु मेरी जानकारी के अनुसार
-शारदा राम "फिल्लौरी"है|
इस भावपूर्ण आरती के रचियता है पं. श्रद्धाराम शर्मा
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट देखने में मुझे देर हो जाती है!
जवाब देंहटाएंमगर यह आरती श्रद्धाराम जी द्वारा रचित है!
इस भजन के रचियता श्री नरसिंह मेहता हैं |
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