आज की पहेली में आपको निम्न चार पंक्तियां दी जा रही हैं जो किसी गजल के दो शेर हैं।
अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
आपको पता लगाना है कि ये चार पक्तियां किसी एक गजल के ही दो शेर हैं या दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है।
जब आप यह पहचान जायें कि ये एक ही गजल के शेर है या दो गजलों के तो तत्काल हमें बतायें कि इस शेरों के रचयिता कौन हैं ।
संकेत के रूप में यह बताना चाहेंगे कि इन शेरो के रचयिता हिन्दी साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है।
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
ji, nahin pahchaan paya |
जवाब देंहटाएंदो अलग अलग शेर हैं।
जवाब देंहटाएंशुरू की दो पंक्तियाँ ---निदा फाजली साहब
और अंत की दो पंक्तियाँ--गोपाल दास नीरज जी की हैं
सादर
अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
जवाब देंहटाएंघर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए...
रचयिता-श्री निदा फाज़ली
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए...
-- कवि-श्री गोपालदास नीरज
अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये
जवाब देंहटाएंघर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये
....निदा फाजली...
दूसरा शेर रमेश कुमार जैन
जवाब देंहटाएंदूसरा शेर रमेश कुमार जैन
जवाब देंहटाएं