आज की पहेली एक ऐसे राजकवि पर आधारित है जिसने संस्कृत तथा हिन्दी में तो काव्य रचनायें की ही साथ ही इन्हें नेपाली के पृथम कवि होने का भी गौरव प्राप्त हुआ उनके द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी दो पंक्तियां हैं
चंदन कर्दम कलहे भेको मध्यस्थतापन्नः।
ब्रूते पंक निमग्नः कर्दम साम्यं च चंदन लभते।।
अर्थात चंदन और कीचड़ में विवाद हुआ और मेंढक को मध्यस्थ बनाया गया। चूँकि मेंढक कीचड़ में ही रहता है, वह चंदन का साथ भला कैसे दे सकता है?
इन पंक्तियों को लेखन से जुडे प्रसंग के बारे में पहेली के उत्तर में चर्चा अवश्य करेंगे । फिलहाल तो आपको उपरोक्त पंक्तियों के आधार पर इस राजकवि को पहचानना है
अब तक शायद आप पहचान गये होंगे तो फिर देर किस बात की, तुरंत अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
श्री गुमानी पंत जी
जवाब देंहटाएंकाशीपुर में जन्मे कुमाऊंनी, नेपाली, हिन्दी व संस्कृत के प्रसिद्ध कवि श्री गुमानी पन्त !
जवाब देंहटाएंकविवर गुमानी पन्त !
जवाब देंहटाएंकविवर गुमानी पन्त !
जवाब देंहटाएंसंभवतः गुमानी पंत जी
जवाब देंहटाएं