पहेली संख्या 73 में आपको पता लगाना है आपको पता लगाना था कि ये चार पक्तियां किसी एक गजल के ही दो शेर हैं या दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है।
संकेत के रूप में यह बताया गया था कि इन शेरो के रचयिता हिन्दी साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। इसका सही उत्तर है की ये दो अलग अलग गजलों के दो पृथक पृथक शेर है और इन्हें लिखने वाली महान हस्तिया है
अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए
- निदा फ़ाज़ली
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए
- नीरज
और अब आते हैं परिणाम पर
इस बार पुनः सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के पद पर विराजमान हुये हैं श्री यशवंत माथुर जी
और थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी
इस बार पहेली में एक प्रतिभागी के रूप में शामिल होकर पहेली का आधा सही उत्तर देकर साहित्यिक अभिरुचि प्रदर्शित करने के कारण विशिस्ट विजेता बने हैं आदरणीय श्री दर्शन लाल जी बावेजा जी
आप सभी विजेता, उपविजेता तथा विशिस्ट विजेतागण को हार्दिक बधाई
आप सभी विजेता, उपविजेता तथा विशिस्ट विजेतागण को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआ. ऋता जी एवं दर्शन सर को भी हार्दिक बधाई!
सादर
BADHAAI
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई यशवंत जी व एनी उपविजेताओं को भी बधाई !
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