प्रिय चिट्ठाकारों,
आज का प्रश्न है-[आज की पहेली कुछ अलग] इस कहावत के सही अर्थ क्या हैं-
''ऊसर बरसे त्रण नहीं जामें ''- [गूगल बाबा त्रण का सही अनुवाद नहीं कर पाए इसीलिए ऐसे ही दे रहे हैं यहाँ त्रण का अर्थ घास है.]अब आप इस पहेली का सही अर्थ बताएं .विकल्प निम्नलिखित हैं-
1-ऊसर भूमि में घास नहीं उगती.
२-ऊसर भूमि में सुधार संभव है .
३-मूर्ख को उपदेश देना व्यर्थ है.
४-उपदेश देने से मूर्ख भी विद्वान बन जाता है.
शर्ते वही :
.३-मूख को उपदेश देना यथ है.
जवाब देंहटाएं1-ऊसर भूमि में घास नहीं उगती.
जवाब देंहटाएंऊसर धरती मैं जिस प्रकार घास नहीं उगती उसी प्रकार मूर्ख को उपदेश देना व्यर्थ है |
जवाब देंहटाएंआशा