श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ
श्रीकृष्ण का नाम आते ही हिन्दी साहित्य के कुछ ऐसे नाम जेहन में उभरने लगते हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन इनकी महान भक्ति में ही खपा दिया और चरित्र बखान में बडे बडे महाकाव्यों की रचना कर डाली। श्रीकृष्ण की भक्ति ने सदियों से आम जनों के कष्टों को हरा हैः-
कामधेनु सुरतरू सहित, दीन्हीं सब बलवीर।
जानि पीर गुरू बन्धु जन, हरि हरि लीन्हीं पीर।।
हिंन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। ऐक ऐसे ही कवि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्में थे जिनका एकमात्र खण्ड-काब्य जो ब्रजभाषा में है, ही मिलता है और यह हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है।
इस खण्ड काव्य के संबंध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कहा हैः-
‘यद्यपि यह छोटा है पर इसकी रचना वहुत सरस और हृदय ग्राहिणी है और कवि की भावुकता का परिचय देती है भाषा भी बहुत परिमार्जित है और व्यवस्थित है बहुतेरे कवियों क समान अरबी के शब्द और वाक्य इसमें नहीं है।’
डा0 नगेन्द्र ने अपने ग्रथ ‘रीतिकालीन कवियों की की सामान्य विशेषतायें, खण्ड -2, अध्याय- 4’ में सबसे पहले ‘सवैयों’ का प्रयोग करने वाले कवियों की श्रेणी में इस कवि को रखा है ‘कवित्त’ (धनाक्षरी) का प्रयोग भी सर्वप्रथम इसी कवि ने ही किया था। यह विधा अकबर के समकालीन अन्य कवियों ने अपनायी थी।
डा0 रामकुमार वर्मा ने इस कवि के काव्य के संदर्भ में लिखा हैः-
‘कथा संगठन,’ ‘नाटकीयता’, ‘विधान भाव भाषा द्वन्द्व’ आदि सभी दृष्टियों से ‘................. कृत ‘........... श्रेष्ठ रचना है।’
इतना कुछ जानने के बाद आप समझ ही गये होंगे इस महाकवि का नाम । आज की पहेली में आपको उपरोक्त अंतिम वाक्य में आये डा0 रामकुमार वर्मा के वक्तब्य में रिक्त स्थान पर कवि और उसकी रचना का नाम अंकित करना है।
है ना आसान ! जल्दी से अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ।हिन्दी साहित्य पहेली 40 में आप सुधीजनों की सहभागिता तथा उसके परिणाम ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आप सबकी रूचि पहेली हल प्रस्तुत करने में कम हो गयी है अथवा इसका हल भेजने के लिये आपको पर्याप्त समय नहीं मिला? कारण दोनो मे से कोई भी हो सकता है अतः मैं अपनी ओर से यह सुझाव रखते हुये नयी पहेली 41 प्रस्तुत कर रहा हूँ कि इसके परिणामों की घोषणा किये जाने से पहले आपको हल प्रस्तुत करने के लिये पर्याप्त समय दिया जायेगा।यह मेरा सुझाव है इस पर अपनी राय व्यक्त करते हुये पहेली का हल शीघ्रता के साथ भेजें।
श्रीकृष्ण का नाम आते ही हिन्दी साहित्य के कुछ ऐसे नाम जेहन में उभरने लगते हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन इनकी महान भक्ति में ही खपा दिया और चरित्र बखान में बडे बडे महाकाव्यों की रचना कर डाली। श्रीकृष्ण की भक्ति ने सदियों से आम जनों के कष्टों को हरा हैः-
कामधेनु सुरतरू सहित, दीन्हीं सब बलवीर।
जानि पीर गुरू बन्धु जन, हरि हरि लीन्हीं पीर।।
हिंन्दी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिन्दी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। ऐक ऐसे ही कवि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्में थे जिनका एकमात्र खण्ड-काब्य जो ब्रजभाषा में है, ही मिलता है और यह हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है।
इस खण्ड काव्य के संबंध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कहा हैः-
‘यद्यपि यह छोटा है पर इसकी रचना वहुत सरस और हृदय ग्राहिणी है और कवि की भावुकता का परिचय देती है भाषा भी बहुत परिमार्जित है और व्यवस्थित है बहुतेरे कवियों क समान अरबी के शब्द और वाक्य इसमें नहीं है।’
डा0 नगेन्द्र ने अपने ग्रथ ‘रीतिकालीन कवियों की की सामान्य विशेषतायें, खण्ड -2, अध्याय- 4’ में सबसे पहले ‘सवैयों’ का प्रयोग करने वाले कवियों की श्रेणी में इस कवि को रखा है ‘कवित्त’ (धनाक्षरी) का प्रयोग भी सर्वप्रथम इसी कवि ने ही किया था। यह विधा अकबर के समकालीन अन्य कवियों ने अपनायी थी।
डा0 रामकुमार वर्मा ने इस कवि के काव्य के संदर्भ में लिखा हैः-
‘कथा संगठन,’ ‘नाटकीयता’, ‘विधान भाव भाषा द्वन्द्व’ आदि सभी दृष्टियों से ‘................. कृत ‘........... श्रेष्ठ रचना है।’
इतना कुछ जानने के बाद आप समझ ही गये होंगे इस महाकवि का नाम । आज की पहेली में आपको उपरोक्त अंतिम वाक्य में आये डा0 रामकुमार वर्मा के वक्तब्य में रिक्त स्थान पर कवि और उसकी रचना का नाम अंकित करना है।
है ना आसान ! जल्दी से अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।
नी मलूम जी
जवाब देंहटाएंकवि नरोत्तम दास !
जवाब देंहटाएंकथा संगठन,’ ‘नाटकीयता’, ‘विधान भाव भाषा द्वन्द्व’ आदि सभी दृष्टियों से ‘.Narotam Das कृत ‘Sudama Charitraश्रेष्ठ रचना है।’
जवाब देंहटाएंरसखान
जवाब देंहटाएंकवि 'नरोत्तमदास'
जवाब देंहटाएंरचना 'सुदामा चरित्र'
उत्तर ::--:
जवाब देंहटाएंसूरदास जी
आशा
हिन्दी साहित्य पहेली ४१
जवाब देंहटाएंउत्तर :
सूर दास जी
please parinaam battaya jay
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