बुधवार, 28 सितंबर 2011

साहित्य पहेली टिप्पणियाँ के माध्यम से उपयोगी जानकारी के लिये आभार एवं कुछ बदलाव

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

हिन्दी साहित्य पहेली के माध्यम से साहित्य से जुडे विषयों पर उपयोगी जानकारी देने के लिये हमने इसमें कुछ बदलाव किये हैं । अपनी हर नयी पहेली में हम साहित्य से जुडी कोई न कोई विशेष तथ्यात्मक जानकारी आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य पहेली के साथ साथ आप तक उपयागी जानकारी पहुँचाना भी है। इसलिये यह आवश्यक नहीं है कि आप केवल उसी स्थिति में अपनी टिप्पणी भेजें जब आपको पहेली का हल मालूम हो , यदि आप पहेली में सुझाई गयी किसी नयी जानकारी को रोचक और ज्ञानवर्धक पाते हैं तो भी कृपया अपनी बहुमूल्य राय हमें अवश्य दें ।

जैसे इस बार हम आभारी हैं हिन्दी साहित्य पहेली 48 के उपविजेता आदरणीय डा0 दर्शन लाल जी बावेजा जी के जिन्होंने पहेली से संबंधित संम्पूर्ण वृतांत को अपनी टिप्पणी के रूप में हमारे साथ साझा किया। डा0 दर्शन लाल जी बावेजा जी द्वारा प्रस्तुत जानकारी इस प्रकार है



श्री दर्शन लाल बावेजा जी

महर्षि बाल्मीकि द्वारा रचित ग्रंथ ‘रामायण’ को संस्कृत साहित्य का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है । यह महाकाव्य बालकांड, अयोध्याकांड, आदि (जैसा श्री तुलसीदासकृत ‘रामचरितमानस’ में है) में विभक्त है, और हर कांड सर्गों में बंटा है । ग्रंथ के आरंभ में, वस्तुतः सर्ग दो में, निम्नलिखित श्लोक का उल्लेख है:

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः ।

यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी काममोहितम् ।। (रामायण, बालकाण्ड, द्वितीय सर्ग, श्लोक १५)


{निषाद, त्वम् शाश्वतीः समाः प्रतिष्ठां मा अगमः,

यत् (त्वम्) क्रौंच-मिथुनात् एकम् काम-मोहितम् अवधीः ।}


हे निषाद, तुम अनंत वर्षों तक प्रतिष्ठा प्राप्त न कर सको, क्योंकि तुमने क्रौंच पक्षियों के जोड़े में से कामभावना से ग्रस्त एक का वध कर डाला है ।

(क्रौंच कदाचित् चकवा या चकोर को कहा जाता है ।)
यह श्लोक महर्षि बाल्मीकि के मुख से एक बहेलिए के प्रति अनायास निकला शाप है कि वह कभी भी प्रतिष्ठा न पा सके ।
(मेरे पास उपलब्ध गीताप्रेस, गोरखपुर, की प्रति में प्रतिष्ठा का हिंदी में अर्थ शांति किया गया है ।)
रामायण ग्रंथ के पहले सर्ग में इस बात का उल्लेख है कि देवर्षि नारद महर्षि बाल्मीकि के तमसा नदी तट पर अवस्थित आश्रम पर पधारते हैं और उन्हें रामकथा का संक्षिप्त परिचय देते हैं । देवर्षि के चले जाने के बाद महर्षि अपने शिष्यों के साथ तमसा नदी तट पर स्नानार्थ जाते हैं । तभी वे अपने वस्त्रादि अपने प्रिय शिष्य भरद्वाज को सौंप पेड़-पौधों से हरे-भरे निकट के वन में भ्रमणार्थ चले जाते हैं । उस वन में एक स्थान पर उन की दृष्टि क्रौंच पक्षियों के रतिक्रिया में लिप्त एक असावधान जोड़े पर पड़ती है । कुछ ही क्षणों के बाद वे देखते हैं कि उस जोड़े का एक सदस्य चीखते और पंख फड़फड़ाते हुए जमींन पर गिर पड़ता है । और दूसरा उसके शोक में चित्कार मचाते हुए एक शाखा से दूसरे पर भटकने लगता है । उस समय अनायास ही उक्त निंदात्मक वचन उनके मुख से निकल पड़ते हैं ।
महर्षि के मुख से निकले उक्त छंदबद्ध वचन उनके किसी प्रयास के परिणाम नहीं थे । घटना के बाद महर्षि इस विचार में खो गये कि उनके मुख से वे शब्द क्यों निकले होंगे । वे सोचने लगे कि क्यों उनके मुख से बहेलिए के प्रति शाप-वचन निकले । इसी प्रकार के विचारों में खोकर वे नदी तट पर लौट आये । घटना का वर्णन उन्होंने अपने शिष्य भरद्वाज के समक्ष किया और उसे बताया कि उनके मुख से अनायास एक छंद-निबद्ध वाक्य निकला जो आठ-आठ अक्षरों के चार चरणों, कुल बत्तीस अक्षरों, से बना है । इस छंद को उन्होंने ‘श्लोक’ नाम दिया । वे बोले
“श्लोक नामक यह छंद काव्य-रचना का आधार बनना चाहिए; यह यूं ही मेरे मुख से नहीं निकले हैं ।”
पर कौन-सी रचना श्लोकबद्ध होवे यह वे निश्चित कर पा रहे थे । आगे की कथा यह है कि तमसा नदी पर स्नानादि कर्म संपन्न करने के पश्चात् महर्षि आश्रम लौट आये और आसनस्थ होकर विभिन्न विचारों में खो गये । तभी सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने उन्हें दर्शन दिये और देवर्षि नारद द्वारा उन्हें सुनाये गये रामकथा का स्मरण कराया । उन्होंने महर्षि को प्रेरित किया कि वे पुरुषोत्तम राम की कथा को काव्यबद्ध करें । रामायण के इन दो श्लोकों में इस प्रेरणा का उल्लेख हैः
(आभार डा0 दर्शन लाल जी बावेजा )
आपकी टिप्पणियाँ हमारा उत्साहवर्धन तो करती ही हैं साथ ही आगे आने वाली पहेली की विषयवस्तु और शैली का भी निर्धारण भी करती हैं। इसलिये कृपया अपनी बहुमूल्य राय देना न भूलें।
इसके अतिरिक्त हमने इस ब्लाग में विजेताओं के लिये एक नया पृष्ठ भी जोडा है जिसमें शामिल किये जाने वाली सामग्री और इसके स्वरूप के संबंध में आप सुधी पाठकजनों की राय अत्यंत आवश्यक ही नहीं अपरिहार्य भी हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आप सभी प्रतिभागियों की टिप्पणियां पहेली का परिणाम घोषित होने पर एक साथ प्रदर्शित की जायेगीं