प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
इस पहेली का परिणाम
हिन्दी साहित्य पहेली 104 यह भारतीय किताब 'पंचतंत्र' की है !
पंचतंत्र की कथाओं से संबंधित अन्य जानकारी गद्यकोश पर
2- और आज की पहेली में उत्तर भेजकर प्रतिभाग करने के लिये सराहनीय प्रतिभागी रही हैं
सुश्री vibha rani Shrivastava जी
3-नोट .सुश्री शारदा सुमनजी https://www.facebook.com/sharda.suman.5का उत्तर पहेली का परिणाम प्रकाशित होने के बाद प्राप्त हुआ है
इस लिये उनका नाम विजेताओ की सूची में नहीं सम्मिलित किया जा सका
आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये
इस पहेली का परिणाम
हिन्दी साहित्य पहेली 104 यह भारतीय किताब 'पंचतंत्र' की है !
एक बार पंचतंत्र के रचयिता विष्णु शर्मा बच्चों के साथ खेल रहे थे। उन्हें बच्चों के साथ खेलने में बड़ा आनंद मिलता था। उनके साथ खेलते समय वह हर तरह की समस्या व परेशानी को भूल जाते थे। तभी उनका एक मित्र वहां आ पहुंचा। विष्णु शर्मा को बच्चों के साथ खेलते देखकर वह बोला,'पंडित जी, आप इतने महान विद्वान होकर भी बच्चों के बीच खेल रहे हैं? क्या आपको यह शोभा देता है? मुझे आप जैसे विद्वान को बच्चों के साथ खेलते देखकर अत्यंत अचरज हो रहा है।'यह सुनकर विष्णु शर्मा बोले,'क्यों, इसमें अचरज की क्या बात है? खेलने से दिमाग स्वस्थ रहता है। खेल के माध्यम से व्यक्ति अपनी पीड़ा और दुख को भूल जाता है।'इस पर उनके मित्र बोले, 'पर आप तो बड़े लेखक हैं । खेलने से आपका अमूल्य समय नष्ट नहीं होता? आप यह सोचिए न कि जितनी देर आप बच्चों के साथ खेल रहे हैं, उतनी ही देर में किसी अच्छी रचना का सृजन कर सकते हैं।'मित्र की बात पर विष्णु शर्मा मुस्कराने लगे और मित्र से बोले, 'तुम लेखक नहीं हो न, इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हो वरना तुम ऐसा कभी नहीं कहते।शायद तुम नहीं जानते कि बच्चों के साथ खेल कर, उनके बीच रहकर ही मैं उनके हाव-भाव को कुशलता से समझ कर अपनी रचना में उतार पाता हूं। बच्चों को जाने-समझे बिना भला उनके बारे में लिखना कैसे संभव है? अब तुम्हीं बताओ कि यदि तुम्हारा खाना खाने का मन हो और तुम्हें खाना बनाना न आता हो तो क्या तुम अच्छा खाना बना पाओगे?'मित्र बोला, 'नहीं पंडित जी, मैं आपकी बात का अर्थ समझ गया। आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। बच्चों के लिए लिखने से पहले वाकई उनके भाव और कल्पनाओं का ज्ञान जरूरी है।'यह कहकर उनका मित्र चला गया और विष्णु शर्मा फिर से बच्चों के साथ खेलने में रम गए।
यह ऐतिहासिक कृति 'पंचतंत्र' के फारसी अनुवाद संबंधित अन्य जानकारी आप गद्यकोश के इस लिंक पर जाकर पा सकते हैं ।
पंचतंत्र की कथाओं से संबंधित अन्य जानकारी गद्यकोश पर
2- और आज की पहेली में उत्तर भेजकर प्रतिभाग करने के लिये सराहनीय प्रतिभागी रही हैं
सुश्री vibha rani Shrivastava जी
3-नोट .सुश्री शारदा सुमनजी https://www.facebook.com/sharda.suman.5का उत्तर पहेली का परिणाम प्रकाशित होने के बाद प्राप्त हुआ है
इस लिये उनका नाम विजेताओ की सूची में नहीं सम्मिलित किया जा सका
आज की पहेली का सही उत्तर खोज कर साहित्य पहेली को प्रेषित कर इसमें सक्रिय भाग लेने के लिये हार्दिक आभार और शुभकामनाये
विजेताओं को बधाई !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयशवंत जी को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएं@अशोक जी आपने शारदा जी का नाम क्यूं सम्मिलित नहीं किया ?जबकि उनका उत्तर भी तो सही था .
नोट .सुश्री शारदा सुमन जी का उत्तर पहेली का परिणाम प्रकाशित होने के बाद प्राप्त हुआ है इस लिये उनका नाम विजेताओ की सूची में नहीं सम्मिलित किया जा सका
हटाएंमुझे सही समय की जानकारी हीं नहीं थी... आगे से ख़याल रखूँगी.
हटाएंबहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें