प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज हम लायें हैं आपके लिए पहेली संख्या-६.तो हो जाइये कमर कस कर तैयार क्योंकि इस बार की पहेली थोड़ी कठिन है पर हम जानते हैं कि आपकी समझ के आगे कुछ भी कठिन नहीं.प्रश्न की पंक्तियाँ कहाँ से ली गयी हैं सबसे पहले और सही बताने वाले चिट्ठाकार को हम अपनी अगली ब्लॉग पोस्ट में विजेताघोषित करेंगे..
"शहर के उस ओर खंडहर की तरफ
परित्यक्त सूनी बावड़ी
के भीतर
ठन्डे अँधेरे में
बसी गहराइयाँ जल की........"
ब्रह्मराक्षस .........
जवाब देंहटाएंब्रह्मराक्षस,मुक्तिबोध कविता है..............
जवाब देंहटाएंगजानन माधव मुक्तिबोध की ब्रह्मराक्षस से से यह पंक्तियाँ उद्धृत की हैं आपने!
जवाब देंहटाएंब्रह्मराक्षस
गजानन माधव मुक्तिबोध
शहर के उस ओर खँडहर की तरफ़
परित्यक्त सूनी बावड़ी
के भीतरी
ठण्डे अँधेरे में
बसी गहराइयाँ जल की…
सीढ़ियाँ डूबी अनेकों
उस पुराने घिरे पानी में…
समझ में आ न सकता हो
कि जैसे बात का आधार
लेकिन बात गहरी हो।
बावड़ी को घेर
डालें खूब उलझी हैं,
खड़े हैं मौन औदुम्बर।
व शाखों पर
लटकते घुग्घुओं के घोंसले परित्यक्त भूरे गोल।
विद्युत शत पुण्यों का आभास
जंगली हरी कच्ची गंध में बसकर
हवा में तैर
बनता है गहन संदेह
अनजानी किसी बीती हुई उस श्रेष्ठता का जो कि
दिल में एक खटके सी लगी रहती।......
ब्रह्मराक्षस से मेरा उत्तर है
जवाब देंहटाएंवैसे आप क्या पूछना चाहते है समझने में दिक्कत आयी
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विज्ञान पहेली -4 आ गयी और विज्ञान पहेली -3 का जवाब देखे
ब्रह्मराक्षस
जवाब देंहटाएंशहर के उस ओर खंडहर की तरफ़
परित्यक्त सूनी बावड़ी
के भीतरी
ठण्डे अंधेरे में
बसी गहराइयाँ जल की…
सीढ़ियाँ डूबी अनेकों
उस पुराने घिरे पानी में…
समझ में आ न सकता हो
कि जैसे बात का आधार
लेकिन बात गहरी हो।
बावड़ी को घेर
डालें खूब उलझी हैं,
खड़े हैं मौन औदुम्बर।
व शाखों पर
लटकते घुग्घुओं के घोंसले परित्यक्त भूरे गोल।
विद्युत शत पुण्यों का आभास
जंगली हरी कच्ची गंध में बसकर
हवा में तैर
बनता है गहन संदेह
अनजानी किसी बीती हुई उस श्रेष्ठता का जो कि
दिल में एक खटके सी लगी रहती।
ब्रह्मराक्षस / गजानन माधव मुक्तिबोध
जवाब देंहटाएं(कविता संग्रह, "चांद का मुँह टेढ़ा है" से)
Kya shalini ji humara result pending me hi rahega kya...pass ya fail.
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