प्रिय ब्लॉग मित्रो,
आज हम जो पहेली आपके लिए लायें हैं वह पहले की पहेलियों से कुछ भिन्न प्रकार की है.आज की पहेली में हम लायें हैं कुछ पंक्तियाँ और आपको बताना है कि ये पंक्तियाँ किस प्रसिद्ध कवि की हैं और उनकी किस प्रसिद्ध रचना से ली गयी हैं तो अब प्रस्तुत हैं वे पंक्तियाँ-
"दुःख की पिछली रजनी बीच विकसता सुख का नवल प्रभात ;
एक पर्दा यह झीना नील छिपाए है जिसमे सुख गात.
जिसे तुम समझे हो अभिशाप,जगत की ज्वालाओं का मूल;
ईश का वह रहस्य वरदान कभी मत जाओ इसको भूल."
अब दीजिये उत्तर सर्वप्रथम और बन जाईये विजेता.ध्यान रखिये
"गिरते हैं शहसवार ही मैदान-इ-जंग में,
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले."
उत्तरों की प्रतीक्षा में......
Jayashankar prashad,kamayani
जवाब देंहटाएंजयशंकर प्रसाद जी की कामायिनी से लिया गया अंश है यह तो!
जवाब देंहटाएंजयशंकर प्रसाद (कामायनी)
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